दो महीने इंग्लैंड में बिताने के बाद भारत निश्चित तौर पर इस दौरे पर पांच टेस्ट मैच की सीरीज के लिए बेशक बेहतर तैयार है, लेकिन भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली को लगता है कि मेहमान टीम अपनी सीमा तब तक पार नहीं करेगी जब तक उन्हें नहीं लगेगा कि यह बात अब उनके बस में नहीं रही है। कोहली ने कहा कि पटौदी ट्रॉफी को जीतने से ज्यादा उनके लिए इन परिस्थितियों में जीत दर्ज करना है जो उनके मुनासिब नहीं हैं। बता दें कि भारतीय टीम ने पिछली बार 2007 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में यह सीरीज जीती थी।
यह कोहली की इंग्लैंड में चौथी सीरीज और कप्तान के तौर पर दूसरी सीरीज है। वह 2011 में युवराज सिंह के रिप्लेसमेंट के तौर पर सबसे पहली बार यहां पहुंचे थे, लेकिन एक भी मैच नहीं खेल पाए थे। 2014 में, जेम्स एंडरसन ने उनको इतना परेशान किया कि वह खुद को दुनिया में अकेला महसूस करने लगे थे। चार साल बाद कोहली दोनों टीमों में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बनकर उभरे, जो अकेले 500 से ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे, भले ही भारतीीय टीम यह सीरीज 1-4 से हार गया लेकिन यह ही सब कोहली के इन आंकड़ों की कहानी कहते हैं।
अब तीन साल बाद, कोहली टीम को इस सीरीज में जीत का दावेदार बताया जा रहा है और ऐसी टीम के खिलाफ जिनके पास बेन स्टोक्स, जोफ्रा आर्चर और क्रिस वोक्स नहीं होंगे। भारतीय मीडिया के साथ सोमवार को बातचीत के दौरान पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने भी कहा कि भारत की जीत की संभावना 4-0 भी हो सकती है अगर परिस्थितियां अगस्त और सितंबर में भारत की गर्मियों की तरह रहें।
वैसे कोहली इससे अलग सोचते हैं, क्योंकि जब उनसे मंगलवार को इंग्लैंड की सरजमीं पर सीरीज जीतने के बारे में पूछा गया तो वह भावशून्य पड़ गए।
कोहली ने कहा कि यह सवाल तो वाकई बनता है। उन्होंने कहा कि मैंने कभी भी किसी शिखर को पाने या किसी मील का पत्थर को छूने के बारे में नहीं सोचा। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में मेरे लिए हर मुकाबला ही एक मौके के तौर पर रहा, जहां पर मेरी औरे व्यक्तित्व की परीक्षा हो और यह भी देखनी की कि मैं इस स्तर पर लंबे समय तक बने रहने के लिए मानसिक रुप से कितना मजबूत हूं। हालांकि, चीजें इस सीरीज में भी जुदा हो सकती हैं, लेकिन हम इस सीरीज में भी उसी जुनून, उसी प्रतिबद्धता और उसी विश्वास के साथ खेलने जा रहे हैं जिसके साथ हम हर सीरीज में खेलते हैं।
भारतीय कप्तान ने कहा कि कोई भी सीरीज दूसरी से ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन मैं इन चीजों में विश्वास नहीं रखता हूं क्योंकि तब आप समझना चाहते हो जो आपके दिमाग में होता है। यह खेल के प्रति ईमानदारी नहीं है। हम सभी क्रिकेट में चुनौतियों का सामना करना चाहते हैं, हम ऐसी परिस्थितियों में जीतना चाहते हैं जो हमारे पक्ष में नहीं हैं। यही वह चुनौती है जो मैं देखता हूं।
भारतीय टीम इस देश में दो जून से है और यह टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप खेलने की वजह से यहां पहले ही पहुंच गई थी। फाइनल के बाद इस टीम को तीन सप्ताह का आराम मिला, इसके बाद उन्होंने डरहम में अभ्यास मैच खेला। यह वह समय था जिसमें भारतीय टीम को इंग्लैंड के मौसम के अनुकूल ढलने का समय मिला।
कोहली ने कहा कि हम बेशक पहले से ज्यादा इस बार तैयार हैं। परिस्थितियां हमें मौका देती हैं कि हम सबसे पहले मौसम के अनुकल ढलें, क्योंकि यह यहां पर बहुत तेजी से बदलता रहता है। यहां अचानक से धूप खिल जाती है, बादल छा जाते हैं। कैसे पिच बर्ताव करेगी, कैसे गेंद हवा में घूमेगी और किस लेंथ पर गेंद आएगी, यह कुछ ऐसी चीजें हैं जिसको हमारी टीम ने इंग्लैंड में खेलते हुए पहले भी अनुभव किया है और हमें अब इसमें परिपक्व होना होगा।
यह बस खुद को ऐसे मौकों पर उभारकर लाने का मौका है और यह बस खुद पर विश्वास के साथ ही आता है और हां आप ऐसी परिस्थतियों का बेसब्री से इंतजार करते हैं जहां आपके सामने चुनौतियों का अंबार लगा हो। जब तक हमें जवाब नहीं मिल जाता है हम उन सभी सवालों का जवाब ढूंढते रहेंगे, जो हम पर उठे हैं। अगर आप खुद को विपरित परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं कर सकते हैं तो आप कतई इस स्तर पर लंबा खेलने के लायक नहीं हो।
यही वे वजह थीं कि हम 2018 में इंग्लैंड की सरजमीं पर सीरीज हारे थे। कोहली ने भी इसको अच्छे से स्वीकारा, लेकिन कोहली ने कहा कि एक टीम के तौर पर हम बेहतर करने की सोचते हैं। हमने अच्छा नहीं किया था और यही वह खेल का हिस्सा है जिसमें हमें बेहतर करने की जरूरत है कि अगर चीजें आपके पक्ष में नहीं जा रही हों तो आप कैसे गलतियों को सुधार सकते हो। यही टेस्ट क्रिकेट है कि आपको परिस्थितियों को भुनाना भी होगा और जब चीजें विपरीत चली जाएं तो अपनी ओर पलटना भी होगा, क्योंकि एक टीम के तौर पर हर सत्र आपके पक्ष में नहीं होने वाला है। अगर चीजें कभी आपके पक्ष में नहीं रहती हैं तो आपको टेस्ट क्रिकेट में उन्हीं चीजों को बेहतर करना होता है और टेस्ट मैच को जीतना होता है। यह मुश्किल समय में खुद को आगे लाकर प्रदर्शन करने का समय है।