2027 विश्व कप के तेज़ गेंदबाज़ों की रेस में हर्षित ने लिया पहला कदम
रांची की सपाट पिच पर उन्होंने नई गेंद का शानदार इस्तेमाल किया और बल्लेबाज़ों को अपनी विविधता से परेशानी में डाला

किसी भी प्रारूप में भारत की बेस्ट प्लेइंग इलेवन की शुरुआत जसप्रीत बुमराह के साथ होती है। 2027 विश्व कप में वह गेंदबाज़ी आक्रमण की अगुवाई करेंगे और 10 ओवर की जादुई गेंदबाज़ी का आश्वासन भी देंगे।
दूसरे नंबर पर मोहम्मद सिराज हैं। हालांकि, लिमिटेड ओवर्स की क्रिकेट में उनकी जगह पक्की नहीं दिख रही है। उन्हें चैंपियंस ट्रॉफ़ी में मौक़ा नहीं मिला था, लेकिन कुछ सालों पहले एशिया कप फ़ाइनल में श्रीलंका के ख़िलाफ़ उन्होंने गेंद से आग उगला था।
सितंबर में लगी चोट के बाद अब वापसी के लिए तैयार हार्दिक पांड्या विदेशी परिस्थितियों में टीम का बैलेंस बनाने के लिए काफ़ी अहम होंगे। इससे एक विशेषज्ञ तेज़ गेंदबाज़ की जगह बचेगी जिसके लिए हर्षित राणा, अर्शदीप सिंह और प्रसिद्ध कृष्णा के बीच लड़ाई होगी। इन सबको अभी काफ़ी सीखना है, लेकिन IPL की वजह से वे सफेद गेंद की क्रिकेट में दबाव वाली परिस्थितियों से परिचित हैं।
रांची में भी माहौल दबाव वाला था और राणा ने इस मौक़े पर अपनी काबिलियत दिखाई। उनके एक ही ओवर में दो विकेट के कारण 350 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए साउथ अफ़्रीका का स्कोर 11/3 हो गया था। रायन रिकलटन डिफेंसिव शॉट खेलते हुए क्लीन बोल्ड हुए तो वहीं क्विंटन डी कॉक ड्राइव करते हुए कीपर के हाथों लपके गए।
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भारत के बल्लेबाज़ी कोच सितांशु कोटक ने कहा, "मेरे हिसाब से हर्षित को काफ़ी श्रेय जाता है। शुरुआती विकेट लेने के लिए क्योंकि मुझे लगता है कि इतनी ओस में उनके लिए रन बनाना काफ़ी आसान हो जाता।"
"वह गेंद को अच्छे से मूव करा रहे थे। पारी की शुरुआत में वह सही जगह पर गेंद डाल रहे थे क्योंकि कूकाबूरा की गेंद पहले चार या पांच ओवरों तक ही स्विंग होती है। मेरे हिसाब ने उन्होंने इसका पूरा लाभ लिया।"
इसके बाद भी राणा के 10 ओवरों से 65 रन आए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह बल्लेबाज़ों को परेशान कर रहे थे। स्टंप पर निशाना लगा रहे थे। फिर हेलमेट पर। फिर गति में कमी कर रहे थे। वाइड जा रहे थे। यॉर्कर डाल रहे थे। वाइड या धीमी गेंदें डाल रहे थे।
राणा अपनी इकॉनमी की कीमत पर इस रोल को निभा रहे हैं और भारत इसके लिए तैयार है क्योंकि उनके पास दूसरे छोर से दबाव बनाने के लिए बुमराह और कुलदीप यादव जैसे गेंदबाज़ हैं। उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि चीज़ें सही नहीं होने पर भी किस तरह राणा बिखरे नहीं। डेवाल्ड ब्रेविस ने उन्हें नो-लुक सिक्स लगाया और अगले ही ओवर में राणा ने उन्हें आउट किया। जब कॉर्बिन बॉश ने उनकी धीमी गेंद को स्टैंड में भेजा तो वह दांत पीसते दिखे। इसके बाद अच्छे यॉर्कर के साथ उन्होंने मोमेंटम तोड़ा।
साउथ अफ़्रीका, नामीबिया और जिम्बाब्वे में होने जा रहे विश्व कप की अपेक्षा भारत में तेज़ गेंदबाज़ी की परिस्थितियां काफ़ी अलग हैं। मार्को यानसन ने पहले वनडे के बाद इस पर बात भी की जब उन्होंने कहा कि उन्हें ख़ुद को याद दिलाना पड़ रहा था कि बल्लेबाज़ी के दौरान उन्हें झुककर रहना है।
दो साल पहले भारत ने सेंचुरियन में गति और उछाल का लाभ लेने के लिए प्रसिद्ध को टेस्ट टीम में मौक़ा दिया था। हाई ऑर्म एक्शन से गेंद रिलीज़ करने और सतह को जोर से हिट करने की उनकी क्षमता को हथियार के तौर पर देखा गया था क्योंकि पिछले दौरे पर साउथ अफ़्रीका ने ऐसी ही रणनीति से उन्हें हराया था। भले ही इसका परिणाम बहुत अच्छे से नहीं मिल पाया लेकिन यह गलत रणनीति नहीं थी।
अर्शदीप की स्किल पारंपरिक है और बाएं हाथ का उनका एंगल अलग अंतर पैदा कर सकता है। डेथ में भी वह काफ़ी अच्छे रहते हैं। साउथ अफ़्रीका को जब 24 गेंदों में 38 रन चाहिए थे तो 47वें ओवर में विकेट मेडेन निकाला था।
अलगप्पन मुथु ESPNcricinfo में सब-एडिटर हैं
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