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धवन-शॉ के सहारे दिल्ली कैपिटल्स ने चेन्नई को रौंद डाला

रैना का अर्धशतक गया बेकार, पंत ने अपनी कप्तानी की शुरुआत जीत से की

दिल्ली कैपिटल्स 190 रन पर 3 (धवन 85, शॉ 72) ने चेन्नई सुपर किंग्स 188 रन पर 7 (रैना 54, मोईन 36, आवेश 2-23) को सात विकेट से हराया
इस मैच को अगर कमबैक मैच कहा जाए तो गलत नहीं होगा, पृथ्वी शॉ आईपीएल में लाजवाब फॉर्म के साथ वापसी कर रहे थे, तो दूसरी ओर सुरेश रैना भी चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) में वापसी कर रहे थे। दिल्ली के तेज गेंदबाज ने नई गेंद से काफी अच्छा प्रदर्शन किया जिससे सीएसके के ओपनर शुरुआत में ही चलते बने और इसके बाद बल्लेबाजी में गहराई और रैना के अर्धशतक की वजह से टीम एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचने में कामयाब रही।
शॉ और शिखर धवन ने धमाकेदार शुरुआत की और पावरप्ले में ही बिना किसी नुकसान के 65 रन तक बना दिए। इस बीच दिल्ली को एक मात्र झटका तब लगा जब 138 रनों की यह ओपनिंग साझेदारी 14वें ओवर में जा टूटी। धवन ने शुरुआत में निडरता के साथ बल्लेबाजी की, जिससे शॉ को शुरुआत में क्रीज पर समय बिताने का मौका मिल गया। शॉ के आउट होने के बाद भी धवन ने ऊंचे स्‍ट्राइक रेट के साथ रन बनाए। दिल्‍ली की रणनीति में यह दो मुख्‍य प्‍वाइंट्स रहे।
बात गहराई की...
इस मैच में सीएसके की बल्लेबाजी में गहराई पर बात हो रहीं थी, जहां ड्वेन ब्रावो को नौवें नंबर पर बल्लेबाजी करनी थी। वैसे इसकी परीक्षा पहले ही मैच में हो गई, जहां पर क्रिस वोक्स और आवेश खान ने नई गेंद को अच्छा स्विंग कराया। दोनों ने स्विंग का फायदा उठाने के लिए फुल लेंथ पर गेंदबाजी की। आवेश ने पहले फाफ डुप्लेसी को आउट किया और वोक्स ने ऋतराज गायकवाड़ को चलता कर दिया और अचानक से बल्लेबाजी में गहराई का कोई मतलब नहीं लगने लगा, लेकिन धन्यवाद देना होगा रैना और मोई अली को, जिन्होंने सीएसके को 2.1 ओवर में सात रन पर दो विकेट से पावरप्ले के अंत तक 33 रनों तक पहुंचा दिया।
बल्लेबाजी में गहराई मायने रखती है
हालांकि, मध्य ओवर में सीएसके के लिए मुश्किल होने लगी, जहां पर दोनों बायें हाथ के बल्लेबाजों को ऑफ स्पिनरों का सामना करना था। यह ज्‍यादातर मोईन थे जिन्‍होंने रविचंद्रन अश्विन के पहले ओवर में लगातार दो चौके लगाए और और फ‍िर दूसरे में दो लगातार छक्‍के लगा दिए। जब मोई अश्विन पर रिवर्स स्वीप मारने के प्रयास में आउट हुए, तब तक वह सीएसके को रास्ते पर ले आए थे। रैना ने भी अमित मिश्रा और अश्विन पर आक्रामक शॉट खेलने शुरू कर दिए, जिसके बाद दिल्ली को अपने तेज गेंदबाजी आक्रमण पर वापस लौटना पड़ा, लेकिन रैना ने मार्कस स्टॉयनिस का स्वागत भी दो छक्कों से किया और इसी के साथ उन्होंने अपना अर्धशतक भी पूरा कर लिया।
जब विकेट गिरते रहे
टॉम करन और आवेश ने डेथ ओवरों से पहले ही सीएसके की बल्लेबाजी को धीमा करने में सफलता पा ली थी। करन ने अंबाजी रायुडू को धीमी गेंद पर पवेलियन भेजा, एमएस धोनी आवेश की पहली ही गेंद पर पुल मारने के चक्कर में गेंद के विकेटों पर खा बैठे। वहीं रैना भी दूसरा रन लेने के चक्कर में रन आउट हो गए। 14 से 18 ओवर के बीच सीएसके ने मात्र 38 रन ही बनाए थे। यह सिर्फ विकेट नहीं थे, यह एक अच्छी डिफेंसिव गेंदबाजी थी, जिसने बल्लेबाजों को बांधे रखा। सैम करन की मुला​कात 19वें ओवर में अपने भाई टॉस से हुई और उन्होंने इस ओवर में दो छक्के और एक चौका लगाकर सीएसके को 178 रन तक पहुंचा दिया था, 20 ओवर की समाप्ति तक सीएसके 188 रन बनाने में कामयाब रही लेकिन वानखेड़े की सपाट पिच पर यह स्‍कोर कम ही था।
धवन-शॉ की जुगलबंदी
आईपीएल शुरू होने से पहले कोच रिकी पोंटिंग ने शॉ को कुछ थ्रो डाउन जरूर कराए होंगे। पोंटिंग ने यह बताया था कि शॉ जब फॉर्म में नहीं होते हैं तो उन्‍हें बल्‍लेबाजी करना पसंद नहीं है, लेकिन जब वह फॉर्म में होते हैं तो फ‍िर उन्‍हें ट्रेनिंग से दूर रखना मुश्किल हो जाता है और वह पिछले कुछ समय से रन बना रहे हैं। हालांकि, विजय हजारे ट्रॉफी के वो रन वहां आए जहां पर कोई नहीं देख रहा था। शॉ सबको दिखाना चाहते थे कि वह वापस आ गए हैं और उन्‍होंने दूसरी गेंद का सामना करते ही यह दिखा दिया था, जहां पर उन्‍होंने दीपक चार पर पुल लगाकर चौका लगाया था।
धवन ने पहली ही गेंद से अपना रुप दिखा दिया था, जब उन्‍होंने चाहर पर चौका लगाया, लेकिन उन्‍होंने चौथे ओवर में सैम पर एक चौका और छक्‍का जड़कर बता दिया कि वह आज रुकने वाले नहीं हैं। पांचवें ओवर में शॉ भी पीछे नहीं रहे और उन्होंने शार्दुल ठाकुर के ओवर में तीन चौके जड़ दिए। पावरप्ले के बाद कुछ ओवर धीमा खेलने के बाद शॉ ने स्पिनरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। शॉ प्रति गेंद दो रन बना रहे थे, जिसने धवन को और भी खुलकर खेलने का मौका दे दिया और उनके आउट होने के बाद तो धवन ने 150 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए।
एक समय ऐसा भी आया जब यह दोनों ही शतक के करीब पहुंचते दिख रहे थे। शॉ को 51 रनों में से 28 रन अपना शतक पूरा करने के लिए चाहिए थे, लेकिन वह ब्रावो की एक धीमी गति की गेंद पर पवेलियन लौट गए। इसके बाद धवन ने किसी गेंद को नहीं रुककर खेला। उन्होंने आखिरी 10 गेंद में 20 रन बना लिए और अब धवन को 22 रन में से 15 रन अपना शतक पूरा करने के लिए चाहिए थे, लेकिन वह ठाकुर की यॉर्कर पर पवेलियन लौट गए। इसके बाद आठ गेंद शेष रहते दिल्ली ने जीत अपने नाम कर ली।

सिद्धा​र्थ मोंगा में ESPNcricinfo असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के एसोएिसएट सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।