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एक मुंबईकर, जिसने एक सपना पूरा करने के लिए सपनों की नगरी को छोड़ा था

एजाज़ ने 10 विकेट लेने का ऐतिहासिक कारनामा वहां पर किया, जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया था

एजाज़ ने 47.5 ओवर अकेले गेंदबाज़ी करते हुए 119 रन देकर 10 विकेट झटके  •  BCCI

एजाज़ ने 47.5 ओवर अकेले गेंदबाज़ी करते हुए 119 रन देकर 10 विकेट झटके  •  BCCI

एजाज़ पटेल जब आठ साल के थे, तब उनके माता-पिता बेहतर ज़िंदगी की तलाश में मुंबई से न्यूज़ीलैंड चले गए थे। हर भारतीय माता-पिता की तरह वे भी एजाज़ को बेहतर शिक्षा देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सबसे पहले एजाज़ को एक बढ़िया स्कूल में डाला। एजाज़ को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसके उम्र के कीवी लड़के गुणा-भाग तक नहीं कर पाते।
25 साल बाद एजाज़ की मुंबई में वापसी हुई है। अब न्यूज़ीलैंड के लोग सोच रहे होंगे कि भारतीय बल्लेबाज़ उनकी लेंथ को कैसे नहीं पकड़ सके। वह 144 साल के टेस्ट इतिहास में पारी के सभी 10 विकेट लेने वाले सिर्फ़ तीसरे खिलाड़ी बने। हालांकि शायद वह ऐसा करके हारने वाले पहले खिलाड़ी भी बनें।
एजाज़ ने 47.5 ओवर अकेले गेंदबाज़ी करते हुए 119 रन देकर 10 विकेट झटके, जबकि दूसरे छोर से 62 ओवर में 188 रन खर्च हुए। दूसरे छोर की गेंदबाज़ी देखकर आपको ऐसा लगेगा कि जैसे यह मैच एक फ़्लैट विकेट पर खेला जा रहा है। पूरी पारी के दौरान भारतीय बल्लेबाज़ों ने 88.1% की नियंत्रणता के साथ बल्लेबाज़ी की, वहीं एजाज़ के ख़िलाफ़ यह प्रतिशत गिरकर 81.46% हो गया। एजाज़ ने औसतन हर 5.39 गेंद पर बल्लेबाज़ से गलतियां करवाई, जबकि अन्य गेंदबाज़ ऐसा 13.8 गेंद पर ही कर सके।
10 विकेट लेना कभी आसान नहीं होता। इसके लिए अच्छी गेंदबाज़ी के साथ-साथ आपको भाग्य की भी ज़रूरत होती है। आपको अपनी टीम के अन्य गेंदबाज़ों से बहुत बेहतर होना होता है। एजाज़ निश्चित रूप से अन्य गेंदबाज़ों से बहुत बेहतर थे।
कानपुर टेस्ट में स्पिनरों के मुक़ाबले तेज़ गेंदबाज़ों के बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद कीवी टीम प्रबंधन ने अपने स्पिनरों पर भरोसा दिखाया क्योंकि उन्हें टेस्ट मैच खेलने के लिए भारत से अच्छे विकेट नहीं मिल सकते थे। उन्होंने उन तीनों स्पिनरों को मौक़ा दिया, जिन्होंने पहला टेस्ट खेला था।
मुंबई आने पर इस फ़ैसले का परिणाम भी दिखा। कानपुर के मुक़ाबले एजाज़ यहां पर अपने लेंथ से अधिक नहीं भटके। उन्होंने टर्न, स्पिन, ड्रिफ्ट, डिप सब हासिल किया। कई गेंदें तो ऐसी जगह से भी टर्न हुईं, जहां पर पिच टूटी हुई नहीं थी, वहीं कई गेंदें सीधी भी निकली।
एजाज़ ने बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ के रूप में अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी। वह अंडर-19 के दिनों में टिम साउदी के साथ सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे। 5 फ़ीट 8 इंच के एजाज़ जब शार्ट गेंद करने की कोशिश करते तो वह अपनी गति खो देते थे।
न्यूज़ीलैंड के पूर्व खिलाड़ी दीपक पटेल ने उन्हें स्पिन गेंदबाज़ बनने में मदद की। हर ट्रेनिंग सेशन से पहले दीपक, एजाज़ से पूछते थे कि वह स्पिन गेंदबाज़ी के बारे में कितना जानते हैं, हर बार एजाज़ को महसूस होता था कि वह इस बारे में अधिक नहीं जानते हैं। उन्होंने एक-एक स्पिन स्किल पर घंटों अभ्यास किया। जब तक वह किसी चीज़ को पूरा नहीं सीख जाते, वह अगले स्टेप पर आगे नहीं बढ़ते थे। उन्हें पता था कि टेस्ट गेंदबाज़ी इसी का नाम है।
10 विकेट लेने के बाद ब्रॉडकास्टर ने जब इंटरव्यू में उनसे सबसे फ़ेवरिट विकेट के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह विकेट नहीं अच्छे गेंदों की बात है और उन्होंने इस पारी के दौरान काफ़ी अच्छी गेंदें डाली।
मुंबई में अब भी एजाज़ का बड़ा परिवार रहता है, जो भाग्य पर विश्वास करता है। 25 साल बाद भाग्य पर उनका यह विश्वास उनके सामने ही सच साबित हुआ है।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर दया सागर ने किया है।