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आक्रमण के साथ-साथ बचाव में भी माहिर हैं ऋषभ पंत

रक्षात्मक बल्लेबाज़ी के रास्ते का रुख़ करते हुए उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपना सबसे धीमा अर्धशतक बनाया

अपने अनोखे अंदाज़ में शॉट लगाते हुए ऋषभ पंत  •  PA Photos/Getty Images

अपने अनोखे अंदाज़ में शॉट लगाते हुए ऋषभ पंत  •  PA Photos/Getty Images

इस पूरी सीरीज़ के दौरान ऋषभ पंत के इर्द-गिर्द बहुत चर्चा हुई है। हर बार जब वह बल्लेबाज़ी करने आते हैं तो कॉमेंट्री बॉक्स में उनके बारे में काफ़ी कुछ कहा जाता है। इस बार वह क्या करेंगे? क्या वह जेम्स एंडरसन के सामने कदमों का इस्तेमाल करेंगे? क्या वह उन्हें रिवर्स स्वीप लगाएंगे? क्या वह हाथ में टूथपिक और मुंह में सिगार लिए आधी पिच पर खड़े होकर गेंदबाज़ी का सामना करेंगे? और बहुत कुछ।
हर बार उनके आउट होने के अंदाज़ की आलोचना की गई है। वह इसलिए क्योंकि वह मैच की अहम स्थिति पर अपना विकेट गंवा रहे हैं। ट्रेंट ब्रिज पर वह कवर ड्राइव के प्रयास में अतिरिक्त उछाल से चकमा खा गए और शॉर्ट कवर पर कैच थमा बैठे। भारत उस समय 40 रनों से पीछे था। लॉर्ड्स की पहली पारी में उन्होंने रवींद्र जाडेजा के साथ 49 तो जोड़े लेकिन मार्क वुड की गेंद पर हाथ खोलने के प्रयास में कीपर के हाथों कैच आउट हुए। उनके आउट होने के बाद भारत का निचला क्रम केवल 34 रन और जोड़ पाया। दूसरी पारी में भी वह बाहर जाती गेंद पर डिफेंस की कोशिश में विकेटों के पीछे लपके गए।
हेडिंग्ले की पहली पारी में 78 ऑलआउट में उन्होंने कवर पर गेंद को धकेलने का प्रयास किया और गेंद को बाहरी किनारे के साथ विकेटकीपर की ओर खेल बैठे। दूसरी पारी में शरीर से दूर की गेंद को खेल गए और इस बार तीसरी स्लिप में कैच आउट हुए। भारत की पारी 215/3 से 278 के स्कोर पर सिमट गई। अगर वह कम आक्रामक स्ट्रोक पर आउट होते तो तेज़ गेंदबाज़ी के लिए अनुकूल परिस्थितियों में उनके खेलने की क्षमता पर सवाल उठते। लेकिन क्योंकि वह पूरे आक्रामक अंदाज़ से खेल रहे हैं, इन परिस्थितियों में उनकी अक्षमता और लापरवाही दोनों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इसलिए जब वह रविवार को बल्लेबाज़ी करने के लिए ओवल के मैदान पर उतरे तब एक बात तो तय थी कि धमाका ज़रूर होने वाला है - फिर चाहे वह इंग्लैंड के गेंदबाज़ों पर भारी पड़े या भविष्य में पंत को मिलने वाले मौक़ों पर। पंत के पास इस सीरीज़ की सबसे बढ़िया पिच और बल्लेबाज़ी के लिए सबसे बेहतरीन हालात थे जहां बाद में जसप्रीत बुमराह भी एक सॉलिड बल्लेबाज़ के तौर पर खेल रहे थे। इंग्लैंड ने 100 ओवरों से अधिक गेंदबाज़ी कर ली थी और उनके दो प्रमुख गेंदबाज़ एंडरसन और ऑली रॉबिन्सन थक चुके थे। हालांकि मैच एक नाज़ुक मोड़ पर था। भारत के पास 200 रनों की बढ़त थी लेकिन उसने अपने कप्तान का विकेट खो दिया था।
दूसरी पारी में पंत ने लोगों की उम्मीदों से विपरीत प्रदर्शन किया। वह अपने करियर में पहली बार ऐसा नहीं कर रहे थे, उन्हें सभी को आश्चर्यचकित करने की आदत सी हो गई है। उन्होंने सहजता के साथ बल्लेबाज़ी करते हुए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपना सबसे धीमा अर्धशतक पूरा किया। ऐसा करने के लिए उन्होंने रक्षात्मक बल्लेबाज़ी वाले रास्ते का रुख़ किया था। पंत की शैली के हिसाब से यह पारी अलग थी लेकिन इसका मोल बहुत ज़्यादा था।
ऐसा नहीं है कि पंत को अपने डिफ़ेंस पर विश्वास नहीं है। यहां ऐसी पिच थी जहां वह अपने डिफ़ेंस पर भरोसा कर सकते थे। बात सिर्फ़ यह थी कि वह कब तक ख़ुद को आक्रमण करने से रोक पाएंगे और हमें पता चल गया कि वह लंबे समय तक ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने अपनी 33वीं गेंद पर पहली बार कोई आक्रामक शॉट खेला जब क्रेग ओवर्टन की गेंद पर उन्होंने पुल लगाया। यहां तक की उनके बल्ले से पहली बाउंड्री 54वीं गेंद पर आई। एक अच्छे बच्चे की तरह उन्होंने 89 गेंदों तक एंडरसन को रिवर्स स्वीप लगाने की भी कोशिश नहीं की। तब तक शार्दुल ठाकुर अपनी राह पर चल पड़े थे और पंत यह शॉट खेलने का ख़तरा ले सकते थे। यहां तक कि पंत की पारी का इकलौता छक्का भी तब आया जब दूसरा रन पूरा करते समय फ़ील्डर ने ओवरथ्रो किया और चार अतिरिक्त रन उन्हें मिल गए।
हालांकि दूसरी पारी में पंत ने विकेटों के बीच तेज़ दौड़कर कई मौक़ों पर सिंगल चुराए। ऐसा करते हुए उन्होंने मिड ऑफ़ और मिड ऑन के फ़ील्डरों के नाक में दम कर दिया। बीच बीच में वह विकेट का बचाव करते हुए अपने पुराने अंदाज़ में वापस भी जा रहे थे। भारत के बल्लेबाज़ी कोच विक्रम राठौर ने पंत की इस पारी की तारीफ़ की। उन्होंने कहा, "जिस स्थिति में वह बल्लेबाज़ी करने उतरे थे, वहां हमें एक साझेदारी की ज़रूरत थी। उन्होंने ज़िम्मेदारी के साथ बल्लेबाज़ी की। हम हमेशा बात करते हैं कि वह किस अंदाज़ से बल्लेबाज़ी करेंगे। आज उन्होंने परिस्थिति को समझा और सूझबूझ के साथ पारी को आगे बढ़ाया। यह पारी उन्हें बहुत आत्मविश्वास देगी।"
पंत की बल्लेबाज़ी और आत्मविश्वास की कमी का एक साथ एक वाक्य में बहुत कम बार प्रयोग होता है। हालांकि जब वह 50 रनों पर पहुंचे तब वह थोड़े सहमे हुए लगे। शायद ऐसा धीमा अर्धशतक लगाने में उनको थोड़ा कम मज़ा आया।

उस्मान समिउद्दीन ESPNcricinfo में सीनियर एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।