साउथ ज़ोन 213 (विहारी 63, मुलानी 3-29) और 230 (विहारी 42, वॉशिंगटन 37, डी जाडेजा 5-40) ने वेस्ट ज़ोन 146 (शॉ 65, कावेरप्पा 7-53) और 222 (पांचाल 95, सरफ़राज़ 48, कौशिक 4-36, साई किशोर 4-57) को 75 रनों से हराया
"मैं सुबह उठा और सबसे पहले पर्दे खोले और आसमान की ओर देखा"
हनुमा विहारी जानते थे कि साउथ ज़ोन के लिए दलीप ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में बचे पांच विकेट लेना आसान नहीं होगा। उन्हें अभी भी 116 रन बचाने थे, लेकिन
प्रियांक पांचाल पिछले दिन 92 रनों पर नाबाद थे और वह अपने कौशल से चिन्नास्वामी की पिच पर टिके हुए थे और मैच किसी भी ओर जा सकता था।
विहारी की दुआएं काम आई और बेंगलुरु का मौसम ऐसा हुआ कि बादल छा गए और इसने तेज़ गेंदबाज़ों को एकदम से मैच में ला दिया।
विधवत कावेरप्पा ने अपने पहले मैच की पहली पारी में ही 53 रन देकर सात विकेट लिए और तारीफ़ पाई। उन्होंने दिन के दूसरे ओवर में ही पांचाल को आउट करा दिया।
साउथ के रास्ते की बड़ी बाधा दूर हो गई। वहां से ऐसा लगने लगा मानो जीत पहले से ही तय है। सटीकता और अच्छी तरह से तैयार की गई गेंदबाज़ों योजनाओं के कारण वेस्ट की बल्लेबाज़ी की ताक़त कम हो गई।
बायें हाथ के स्पिनर
आर साई किशोर ने पांच में से तीन विकेट लिए। उन्होंने फ़्लाइट से निचले क्रम के बल्लेबाज़ों को बड़ा शॉट खेलने के लिए ललचाया। यह इस बात का संकेत था कि पूरे मैच में तेज़ गेंदबाज़ों ने कितनी अच्छी गेंदबाज़ी की क्योंकि बल्लेबाज़ स्पिन के ख़िलाफ़ मौक़े की तलाश में थे।
लेकिन दुर्भाग्य से वे इसको भुना नहीं सके।
धमेंद्रसिंह जाडेजा मिडऑफ़ पर स्लॉग करते हुए आउट हुए तो चिंतन गाजा मिडविकेट पर शॉट लगाते हुए आउट हुए। वहीं अतीत शेठ आउट होने वाले आख़िरी बल्लेबाज़ रहे जो बड़ा शॉट लगाने को देख रहे थे। साई किशोर 57 रन पर चार विकेट के आंकड़े के साथ लौटे और उन्होंने मैच में बेहद कम गेंदबाज़ी की।
तेज़ गेंदबाज़
वी कौशिक ने काफ़ी प्रभावित किया। चौथे दिन के आख़िर में उन्होंने बेहद अच्छी गेंदबाज़ी की और तीन गेंद के अंदर चेतेश्वर पुजारा और सूर्यकुमार यादव के विकेट निकालकर मैच में बड़ा अंतर पैदा कर दिया।
30 वर्षी कौशिक भले ही देर से चमके लिए उनके प्रदर्शन ने बताया कि घरेलू क्रिकेट में कर्नाटका की क्या अहमियत है और इस मैच में प्लेयर ऑफ़ द मैच कावेरप्पा के साथ वह कर्नाटका के लिए बेहतरीन गेंदबाज़ी यूनिट बनते हैं।
इस मैच में जो 20 में से 16 विकेट कर्नाटका के गेंदबाज़ों ने लिए। कावेरप्पा ने पहली पारी में 53 रन देकर सात विकेट लेकर करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और मैच को सेटअप किया और कौशिक ने दूसरी पारी में उस समय काम किया जब टीम को विकेट की सबसे अधिक ज़रूरत थी।
इस साल अपना पहला आईपीएल खेलने वाले वैशाख ने अपनी गति और शॉर्ट बॉल रणनीति से प्रभावित किया। इससे उन्होंने पृथ्वी शॉ को पहली पारी में आउट किया जब वह 65 रन बना चुके थे। साउथ ज़ोन नॉर्थ ज़ोन के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में वैशाख की बेहतरीन गेंदबाज़ी की वजह से पहुंचे जहां उन्होंने 76 रन देकर पांच विकेट लिए।
पेपर पर वेस्ट का बेहतर बल्लेबाज़ी लाइन था लेकिन साउथ ने साबित किया कि क्रिकेट मैदान पर खेला जाता है। आगे इंग्लैंड में काउंटी खेलने के लिए जाने वाले पुजारा ने चार पारियों में 28, 133, नौ और 15 रन बनाए। भारत के टी20 उप कप्तान ने निराश किया और चार पारियों में केवल एक अर्धशतक लगाया।
देवधर ट्रॉफ़ी की जगह इंग्लैंड में खेलना चुनने वाले शॉ ने सात पारियों में 26, 25, 65 और 7 रन बनाए। यह संकेत है कि शॉ कितना पीछे पहुंच चुके हैं और एशियन गेम्स के लिए चुनी गई दूसरे दर्जे की टीम में भी जगह नहीं बना पाए। शॉ की ही तरह सरफ़राज़ ख़ान भी ख़ास नहीं कर सके और शनिवार को बनाए गए उनके 48 रन उनकी एकमात्र प्रभावित करने वाली पारी रही।
चोटों की वजह से कई सीरीज़ में नहीं खेलने वाले वॉशिंगटन सुंदर के लिए दो लगातार मैच खेलना एक जीत की तरह है। यह अलग बात है कि उन्हें अधिक ओवर करने को नहीं मिले लेकिन उन्हें जब भी मौक़ा मिला उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाज़ी की और सभी अचंभित रहे कि यहां कि तरह पहले नंबर सात से ऊपर बल्लेबाज़ी क्यों नहीं की।
जैसे ही विहारी ने ट्रॉफ़ी उठाई और साउथ ने जीत की तस्वीर के लिए पोज़ दिया तो उन्होंने तेज़ी से चिल्लाया 'ये दोस्ती नहीं तोड़ेंगे'। यह बताता है कि कैसे भी रेड, ग्रीन, ब्लू टीम का टूर्नामेंट कराने से अच्छा ज़ोनल प्रारूप है।
विहारी ने कहा, "खिलाड़ियों को इस प्रारूप से भावना जुड़ती है। यहां ऐसा नहीं लगता है कि हम अलग प्रदेशों से आ रहे हैं। यह अलग महसूस कराता है।"
और वाक़ई ऐसा है।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।