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हमने सही समय पर अपनी पारी घोषित की थी - द्रविड़

भारत को नहीं लगता कि उनकी टीम ने बहुत देर तक बल्लेबाज़ी की

भारत में भारत के ख़िलाफ़ ऐसा प्रदर्शन करना न्यूज़ीलैंड की क़ाबिलियत दर्शाता है : जाफ़र

भारत में भारत के ख़िलाफ़ ऐसा प्रदर्शन करना न्यूज़ीलैंड की क़ाबिलियत दर्शाता है : जाफ़र

'दूसरी पारी में अक्षर पटेल को जल्दी आक्रमण पर लाया जा सकता था और ज़्यादा गेंदबाज़ी दी जानी चाहिए थी'

जब कोई टीम भारतीय टीम की तरह जीत के क़रीब आती है और विपक्षी टीम अपने लक्ष्य से 100 रन से अधिक दूर होती है। साथ ही अगर ख़राब रोशनी खेल में खलल डाले तो दिमाग तुरंत पारी की घोषणा से पहले भारत की आख़िरी साझेदारी पर जाता है। उस दौरान लगभग तीन रन प्रति ओवर की रन गति के साथ 20 ओवर तक बल्लेबाज़ी की गई। हालांकि भारत के कोच राहुल द्रविड़ ने कहा कि न्यूज़ीलैंड को खेल से बाहर करने के लिए वे रन बेहद महत्वपूर्ण थे। हालांकि भारतीय टीम को यह बिल्कुल नहीं लगता कि टीम ने ग़लत समय पर अपनी पारी घोषित की। पारी घोषित करने के बाद न्यूज़ीलैंड को लगभग तीन रन प्रति ओवर की दर से 284 रन बनाने थे।

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द्रविड़ से पूछा गया कि क्या ऋद्धिमान साहा और अक्षर पटेल उस साझेदारी में थोड़ी तेज़ी से रन बनाते हुए,भारत को अतिरिक्त आधे घंटे का समय दे सकते थे। द्रविड़ ने कहा, 'मुझे ऐसा नहीं लगता। पारी घोषित होने के आधे घंटे पहले तक हम दबाव में थे और मुझे लग रहा था कि उस समय तक तीनों परिणाम संभव थे।"

"अगर इमानदारी से कहूं तो साहा ने एक मुश्किल समय में बढ़िया बल्लेबाज़ी की। उस समय उनकी गर्दन में दर्द था। अगर वह उस समय आउट हो गए होते तो न्यूज़ीलैंड को 2.2 या 2.3 के रन दर से 110 ओवरों में 240-50 रन बनाने की आवश्यकता होती। इसी कारणवश हमें अक्षर और साहा के बीच उस साझेदारी की आवश्कता थी।"

द्रविड़ ने कहा कि अगर अर्धशतकीय पारी खेलने वाले श्रेयस अय्यर का विकेट चाय से पहले नहीं गिरा होता तो हम एक अलग रणनीति के साथ बल्लेबाज़ी करते। द्रविड़ ने कहा, "हमने चाय से ठीक पहले श्रेयस को खो दिया। उस समय हमारी टीम का स्कोर सात विकेट के नुकसान पर 167 रन था और उस समय हम मुश्किल में थे। इसी कारणवश हमें उस साझेदारी की अत्यंत आवश्यकता थी। पारी घोषित करने से 45 मिनट पहले तक हम दबाव में थे।"

साथ ही हमारे फ़ैसले के पीछे सबसे बड़ा निर्णायक कारक पिच की परिस्थितियां थी। द्रविड़ ने कहा, "पिच पर शायद कम उछाल था। यह धीमी भी थी और यहां ही टर्न भी नहीं था। आप शायद पांच दिनों में भारतीय परिस्थितियों में इन विकेटों पर उम्मीद करते हैं कि पिच टूट जाएगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ।"

आगे उन्होंने कहा कि आम तौर पर चौथे और पांचवें दिन एक स्पिनर के रूप में आप बल्लेबाज़ों को चुनौती दे सकते हैं। आप उम्मीद करते हैं कि स्पिनर्स की गेंदों पर बाहरी और भीतरी किनारा लगेगा लेकिन यहां गेंद कैरी ही नहीं कर रही थी। नज़दीकी खिलाड़ियों ने शायद कैच लेकर किसी बल्लेबाज़ को आउट किया हो। इस पिच पर बल्लेबाज़ को आउठ करने का बस दो ही तरीका था -एलबीडब्ल्यू और बोल्ड।"

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैंं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।