जानिए : क्यों भारत और पाकिस्तान के बीच मैच में डेथ ओवरों में पांच फ़िल्डर 30 गज़ के घेरे के अंदर रहे?
आईसीसी का नया धीमा ओवर रेट नियम, जिसने रविवार को भारत बनाम पाकिस्तान मैच में अहम भूमिका निभाई

क्या भारत और पाकिस्तान अंतिम ओवरों में अपनी फ़ील्ड के साथ अधिक आक्रामक हो रहे थे?
दोनों टीमों का ओवर रेट इतना धीमा था कि उन्हें पेनाल्टी का सामना करना पड़ा। दोनों टीमों की गेंदबाज़ी के दौरान अंतिम तीन ओवरों में उन्हें एक अतिरिक्त फ़ील्डर को 30 गज़ के घेरे के अंदर रखना पड़ा।
यह नियम क्या है? और यह कब लागू हुआ?
यह नियम जनवरी 2022 से लागू किया गया। आसान शब्दों में कहें तो जो भी ओवर पारी लिए निर्धारित 85 मिनटों के समय के बाद शुरू होता है, उसमें चार की बजाय पांच फ़ील्डरों को 30 गज़ के घेरे में रखना पड़ता है। जब गेंदबाज़ी टीम पहली गेंद डालने को तैयार होती है, तब ओवर को शुरू हुआ माना जाता है।
85 मिनट ही क्यों?
इच्छित ओवर रेट 14.11 ओवर प्रति घंटे यानि 4 मिनट 15 सेकंड प्रति ओवर का है। इसके अनुसार 20 ओवर डालने के लिए आपको 85 मिनट का समय दिया जाता है। अगर मैच 18 ओवरों का है तो 18वां ओवर 76 मिनट और 30 सेंकड में शुरू हो जाना चाहिए।
बारिश के कारण छोटी हुई पारी में तो परेशानी होती होगी। ख़ासकर तब जब पारी के बीच में रुकावट आती है।
यह एक अच्छा अवलोकन है, लेकिन आईसीसी ने इसके लिए प्रावधान किया है। यदि विलंबित या बाधित पारी में तीन या अधिक ओवर खो जाते हैं, तो गेंदबाज़ी टीमों को पारी समाप्त होने तक अंतिम ओवर शुरू करने की स्थिति में होना चाहिए। और 10 ओवर से कम की पारी में, ऐसा कोई दंड नहीं है, जब तक कि टीम पर मैच में रुकावट आने से पहले ही धीमे ओवर रेट का जुर्माना लग गया हो।
लेकिन पाकिस्तान के कई खिलाड़ी ऐंठन (क्रैंप) से जूझ रहे थे। यह कैसा न्याय है?
मैदान पर चिकित्सा कर्मियों द्वारा दिए गए उपचार जैसी कई अन्य चीज़ों के लिए समय की छूट दी जाती है। इसमें चोटिल खिलाड़ी को रिप्लेस करना, तीसरे अंपायर की मदद लेना और अंपयार के अनुसार फ़ील्डिंग टीम के नियंत्रण के बाहर की चीज़ें शामिल हैं।
भारत-पाकिस्तान मैच में हारिस रउफ़ का उपचार होने के तुरंत बाद रवींद्र जाडेजा ने ग्लव्स बदलने में महत्वपूर्ण समय ज़ाया किया। क्या फ़ील्डिंग टीम को इस बात की भी छूट मिलती है?
हां, यह घटना भी फ़ील्डिंग टीम के नियंत्रण के बाहर है। और तो और अगर अंपायर मानते हैं कि बल्लेबाज़ जानबूझकर समय बर्बाद कर रहा है, तो बर्बाद हुए समय को ओवर रेट की गणना करते समय बल्लेबाज़ी टीम को दी गई समय की छूट से काटा जाता है। इसके अलावा वह "अनुचित खेल" के तहत जुर्माने का पात्र बनता है।
यह एक ऐसी समस्या पैदा करता है जिसका समाधान आईसीसी के नियमों में नहीं है। अगर पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम समय बर्बाद करती है तो उसे गेंदबाज़ी के दौरान पेनाल्टी का सामना करना होगा। लेकिन लक्ष्य का पीछा करते समय अगर बल्लेबाज़ समय बर्बाद करता है, तो उसका क्या?
क्या इसका मतलब यह है कि विकेट लेना अच्छा विचार नहीं है क्योंकि बल्लेबाज़ों को बाहर से मैदान के अंदर आने में समय लगता है?
जी नहीं, एक बार जब आप पांच विकेट ले लेते हैं, आने वाले हर विकेट पर आपको एक अतिरिक्त मिनट की छूट मिलती है। और अगर आप किसी टीम को ऑलआउट करते हैं तो पारी को उसी समय समाप्त माना जाता है।
टीमों को कैसे पता चलेगा कि उन्हें कितने मिनटों की छूट मिली है?
गेंदबाज़ी के छोर पर खड़ा अंपायर फ़ील्डिंग टीम के कप्तान, बल्लेबाज़ और दूसरे अंपायर को पारी की समाप्ति के निर्धारित समय की जानकारी देता है। खेल में आई प्रत्येक रुकावट के बाद पुनर्निर्धारित समापन समय बताने की इस प्रक्रिया को दोहराया जाता है। अंपायर छठे से नौवें विकेट के लिए मिली छूट के अलावा (इसका ध्यान टीमों को स्वयं रखना होता है), अंपायर इन सभी पक्षों को खेल के समय में मिली सभी छूट के बारे में बताएगा।
प्रशंसकों को कौन बताएगा कि आख़िर क्या हो रहा है?
आईसीसी के नियमों के अनुसार : "कम से कम हर आधे घंटे में तीसरा अंपायर फ़ील्डिंग टीम के वर्तमान ओवर रेट (साथ ही आवश्यक ओवर रेट के साथ उसकी तुलना) की जानकारी देगा जिसे स्कोरबोर्ड अथवा रिप्ले स्क्रीन पर प्रकाशित किया जाएगा।"
यह सब ठीक है और अच्छा है, लेकिन मैच पूरी तरह से मनोरंजक था। अगर ओवर समय पर पूरे नहीं होते हैं तो क्या फ़र्क़ पड़ता है? क्या हमें ओवर-रेट के लिए मैच के बीच में ऐसी पेनाल्टी की आवश्यकता है?
प्रशंसकों द्वारा टी20 मैच के जल्द ख़त्म होने की इच्छा और लंबे मैच के कारण ब्रॉडकास्टर को दर्शकों की संख्या में हुए नुक़सान के अलावा अगर कोई मैच लंबा चलता है तो धीमी गति से ओवर डालकर टीमें प्रतिस्पर्धात्मक लाभ उठा सकती है। आपको सोच विचार करने के लिए अधिक समय मिलता है, आपको ख़राब फ़िटनेस या योजना का जुर्माना नहीं भरना पड़ता है। साथ ही आप अच्छी लय में चल रहे बल्लेबाज़ का ध्यान भंग कर सकते हैं। यह टेनिस की तरह है जहां निर्धारित समय के भीतर खिलाड़ी को अगले प्वाइंट के लिए सर्विस करनी होती है।
अब क्या यह नियम बहुत कठोर है और क्या इससे हास्यास्पद परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं, जहां एक टीम तेज़ गेंदबाज़ों की बजाय पार्ट-टाइम स्पिनरों को गेंद थमाती है, यह देखने लायक होगा। इसकी समीक्षा खेल के ठेकेदारों को करनी होगी।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर अफ़्जल जिवानी ने किया है।
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