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ग़म से गूंज तक: क्रिकेट के मैदान पर पूर्वोत्तर की ऐतिहासिक गाथा

विश्व कप 2025 में भारत ने एक मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकलते हुए कमाल की जीत हासिल की और इसमें दर्शकों और जुबीन के संगीत की भी एक भूमिका थी

भारतीय टीम ने एक बेहतरीन जीत दर्ज की  ICC/Getty Images

महिला वनडे विश्व कप 2025 के पहले मुक़ाबले के दिन गुवाहाटी का ACA स्टेडियम, क्रिकेट का अखाड़ा कम और असम की सामूहिक आत्मा का आईना ज़्यादा लग रहा था। यह एक ऐसा ऐतिहासिक दिन था जब शोक, क्रिकेट और संस्कृति की त्रिवेणी एक साथ बह निकली।

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महिला विश्व कप के किसी भी लीग मैच की अब तक की सबसे बड़ी भीड़, रिकॉर्ड तोड़ 22,843 दर्शकों की उपस्थिति में यह मैच एक अनूठे भावनात्मक विरोधाभास के बीच शुरू हुआ। पूरा शहर अपने सबसे प्रिय बेटे दिवंगत गायक जुबीन गर्ग के निधन के ग़म में डूबा था। यहां तक कि दुर्गा पूजा जैसे बड़े त्योहार के दौरान भी पूरी ख़ामोशी छाई थी। ऐसे माहौल में इतने दर्शकों का स्टेडियम तक आना ही बहुत बड़ी बात थी।

असम क्रिकेट के अध्यक्ष तरंगा गोगोई मैच की पूर्व संध्या ESPNcricinfo से कहा, "मुझे ख़ुद ऐसा लग रहा है कि मेरे परिवार का एक सदस्य मेरे साथ नहीं है। हमारा पूरा शहर अभी बहुत दुख में हैं। ऐसे समय में दर्शकों को स्टेडियम तक लेकर आना मुश्किल काम है, लेकिन हम इसके लिए कुछ विशेष प्रयास कर रहे हैं।"

इन्हीं प्रयासों के तहत ICC और BCCI ने एक ऐसा क़दम उठाया जिसने इस खेल को और बड़ा बना दिया। उद्घाटन समारोह को एक जश्न की तरह शुरू करने के बजाय, इसे जुबीन को समर्पित करने का फ़ैसला किया गया। यह एक फ़ैसला था, मानो क्रिकेट एक दिन के लिए जुबीन को याद करते हुए बिताएगा।

5000 विशेष पास और 10,000 कॉम्पलिमेंट्री पास वितरित किए गए ताकि जुबीन के फ़ैंस इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बन सकें। BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने ICC मीडियो को दिए गए एक बयान में कहा, "यह मैच ऐसे समय में हो रहा है, जब जुबीन गर्ग के लिए शोक और दुर्गा पूजा (महा अष्टमी) एक साथ चल रही है। हम चाहते थे कि उद्घाटन समारोह में 'मिट्टी के सपूत' को श्रद्धांजलि दी जाए।"

इस तरह भारतीय क्रिकेट इतिहास में यह मैच अविस्मरणीय बन गया।

शुरुआत में माहौल ग़मगीन रहा, जुबीन की धुनें आंखों में आंसू ले आईं, लेकिन जैसे ही मैच शुरू हुआ, शोक धीरे-धीरे समर्थन में बदलने लगा। दर्शक केवल श्रद्धांजलि देने नहीं आए थे, वे अपनी टीम को चियर करने आए थे। हर चौके-सिक्सर पर तालियां गूंज रही थीं, लेकिन सबसे बड़ा भावनात्मक उबाल आना अभी बाक़ी था।

जब भारतीय टीम 126 के स्कोर पर छह विकेट गंवाकर पूरी तरह से मुश्किल में फंस गई थी, तब गुवाहाटी की जनता ने अपनी भूमिका को दर्शकों से ज़्यादा निभाना शुरू कर दिया। यह वह निर्णायक क्षण था जब जुबीन का संगीत, संघर्ष के लिए एक प्रेरणा बन गया। हर प्रयास, हर रन के लिए अमनजोत कौर और दीप्ति शर्मा को जमकर चीयर किया गया। इस समय हर ब्रेक पर जुबीन के गाने बज रहे थे।

इस ज़बरदस्त फ़ाइटबैक को स्टैंड्स से देख रहे दिगंत ने कहा: "आज हम जुबीन दा को इतने बड़े मंच से श्रद्धांजलि दे रहे हैं और अगर ऐसे मैच में हमारी टीम हार जाए तो किसी को भी अच्छा नहीं लगेगा। हम इस दिन को आने वाले सालों में ऐसे नहीं याद करना चाहते।"

अमनजोत और दीप्ति डटी रहीं और दर्शक भी डटे रहे। उनकी साहसी 103 रनों की साझेदारी ने भारत को 269 के स्कोर तक पहुंचाया।

दिगंत की साथी बरनाली ने कहा, "आज भारत अगर यह मैच जीतता है तो पूरा देश ख़ुश होगा ही, लेकिन हमारे शहर और पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए यह एक प्रेरणा की तरह होगा। ऐसे टूर्नामेंट का यहां आयोजित होना और इस तरह से जुबीन दा को सम्मान देना इस खेल को हमारे और क़रीब लाएगा। हमारी टीम की लड़कियों को ऐसे खेलते देख हमारे इलाके की और भी लड़कियों को इस खेल की तरफ़ आकर्षित करेगा।"

कुल मिला कर भारत-श्रीलंका के बीच खेला गया यह मैच केवल स्कोरकार्ड की कहानी नहीं था। यह गुवाहाटी के हज़ारों लोगों के लिए अपने ग़म को सामूहिक शक्ति में बदलने का एक अनुभव था। 22,843 की रिकॉर्ड भीड़, जुबीन की विरासत और महिला क्रिकेट की जीत - इन तीनों ने मिलकर यह साबित कर दिया कि क्रिकेट में कुछ ऐसा है, जो कभी-कभी जीवन और संस्कृति का बहुत बड़ा प्रतीक बन जाता है।

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राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं