लाबुशेन : तब रन बनाना अच्छा लगता है जब आप 100 प्रतिशत अच्छा महसूस नहीं कर रहे हों
ऑप्टस स्टेडियम ऑस्ट्रेलिया के नंबर तीन बल्लेबाज़ के लिए घर के बाहर दूसरे घर की तरह

किसी क्वींसलैंडर के लिए पर्थ का प्यार कम ही देखने को मिलता है, जैसे मार्नस लाबुशेन करते हैं। लेकिन उनका पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की राजधानी और इसके नए स्टेडियम से प्यार चलता जा रहा है, क्योंकि अब उन्होंने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ पहले टेस्ट के पहले दिन नाबाद 154 रनों की पारी खेल डाली।
लाबुशेन ने पर्थ स्टेडियम में तीन ही बार टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज़ी की है और 143, 50 और अब नाबाद 154 रन की पारी खेली है और यह स्थान उनको उनके घर ब्रिसबेन की याद दिलाता है।
लाबुशेन ने कहा, "मुझे यह मैदान पसंद है। मुझे पर्थ में खेलना पसंद आ रहा है क्योंकि यहां की परिस्थिति ब्रिसबेन की ही तरह हैं। और मुझे कुछ सफलता ब्रिसबेन में भी मिली हैं तो ऐसे मैदान पर आना बहुत अच्छा लगता है जहां का विकेट बहुत समान है।"
लाबुशेन घर में टेस्ट रिकॉर्ड भी बना रहे हैं। घर में 20 या उससे अधिक पारियां खेलने वाले सभी दिग्गज ऑस्ट्रेलियाई में केवल सर डॉनल्ड ब्रैडमैन का ही औसत लाबुशेन के 69.28 से ज़्यादा है, जहां उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में अपने आठ में से सात शतक लगाए हैं।
पिछले साल जुलाई में गॉल में श्रीलंका के ख़िलाफ़ अपने विदेशी शतक के सूखे को ख़त्म करने वाले लाबुशेन ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट क्रिकेट के अपने रिदम में बहुत आसानी से आ गए।
सुबह का सत्र उनके लिए मुश्किल रहा, उन्होंने अच्छे से गेंद को छोड़ा और दबाव को अच्छे से झेला क्योंकि वेस्टइंडीज़ के तेज़ गेंदबाज़ फ्रंट और बैकफुट पर उनकी लगातार परीक्षा ले रहे थे।
उस मुश्किल समय को निकालने के बाद उन्होंने बाद में वेस्टइंडीज़ के गेंदबाज़ों की ग़लतियों का फ़ायदा उठाया।
लाबुशेन ने कहा, "गाबा में अधिक खेलने का फ़ायदा मुझे मिला क्योंकि आप जानते हो कि टनल समाप्त होने पर रोशनी आने वाली है। परिस्थिति के बारे में पता होने की वजह से मदद मिली क्योंकि ब्रिसबेन की भी ऐसी ही बाउंसी विकेट हैं।"
"आप बस गेंद को जाने देते हो। आप खेल की समझ रखते हो, दूसरे मैदान की तरह टैंपो तेज़ नहीं होता है। आप कई गेंदों को नहीं हिट कर रहे हो। आप कई गेंद को जाने देते हो। यह सब चीज़ मदद करती हैं और इसके बाद लंच और टी के बाद आप दबाव दूसरी टीम पर बढ़ा सकते हो, वे शॉर्ट लेंथ करते थे और फुलर करते थे जिससे हमें रन बनाने के मौक़े मिले।"
लाबुशेन की यह पारी बिना लक के नहीं आई। दो बार बल्ले का बाहरी किनारा लेकर गेंद स्पिल में गई, एक बार जेसन होल्डर गेंद नहीं लपक पाए तो दूसरी बार स्लिप के ऊपर से गेंद निकल गई। रॉस्टन चेज़ की गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर कीपर जॉशुआ डीसिल्वा की कोहनी से लगी और स्लिप के ऊपर से निकल गई। वह दिन के अंत में डीप प्वाइंट पर लपकी जाती लेकिन तेजनारायण चंद्रपॉल परछाई की वजह से गेंद को मिसजज कर गए।
लाबुशेन अब अपने स्कोर को आगे बढ़ाने की सोचेंगे और अपने दूसरे दोहरे शतक की ओर जाएंगे।
लाबुशेन ने कहा, "जब भी आप दिन का अंत 150 पर करते हो तो अगला स्टॉप 200 ही होता है। मैं बस अपनी प्रक्रिया के साथ ही जाऊंगा और जितना लंबा हो सके खेलने का प्रयास करूंगा। अगर मैं ऐसा करता हूं तो मैं वहां तक पहुंच जाऊंगा। लेकिन आपको गेंद दर गेंद देखना होग और अगर 200 आता है तो अच्छा होगा, लेकिन सबसे जरूरी यह है कि ज़्यादा से ज़्यादा रन बने जिससे हमें पहली पारी में अच्छे रन मिल सकें और वेस्टइंडीज़ को दबाव में लाया जा सके।"
ऐलेक्स मैल्कम ESPNcricinfo में एसोसिएट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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