पुराने स्टांस के साथ अय्यर की बल्लेबाज़ी का नया अध्याय
एडिलेड की अतिरिक्त उछाल वाली पिच पर श्रेयस ने 77 गेंदों में बहुमूल्य 61 रन बनाए
श्रेयस अय्यर का मानना है कि ज़्यादा सीधा खड़े होकर खेलने की पुरानी शैली में लौटने से उन्हें अतिरिक्त उछाल का सामना करने में मदद मिली है। उनका यह "नया" स्टांस पहले इस्तेमाल किए गए स्टांस का ही संशोधित रूप है। उन्होंने इस स्टांस को घरेलू क्रिकेट, ऑस्ट्रेलिया ए के ख़िलाफ़ और अब ऑस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज़ के दौरान अपनाया है। भारत के कई बल्लेबाज़ एडिलेड में खेले गए दूसरे वनडे में हरी पिच पर संघर्ष कर रहे थे, लेकिन वहीं अय्यर ने मुश्किल परिस्थितियों में 77 गेंदों पर 61 रन बनाकर पारी को संभाला।
तेज़ और शॉर्ट गेंदों के ख़िलाफ़ अय्यर का खेल हमेशा चर्चा का विषय रहा है। टेस्ट और T20 टीम में जगह न होने के कारण उन्होंने इस दौरान अपने खेल पर काम किया ताकि अतिरिक्त उछाल का बेहतर सामना कर सकें। उन्होंने कहा, "पिछले साल से मैं चाहता था कि जिन परिस्थितियों में उछाल उम्मीद से ज़्यादा हो, वहां मैं सीधा खड़ा होकर खेलूं।"
"उसके आधार पर मैंने अपने कोच के साथ काम किया और हमने यह नई तकनीक विकसित की। यह मेरे खेल के अनुरूप बैठी। बचपन में जब मैं खेलता था तो मेरा स्टांस ज़्यादातर सीधा ही रहता था। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न पुरानी तकनीक पर वापस जाया जाए और देखा जाए कि यह कितनी असरदार है।"
"मैंने ख़ुद पर भरोसा किया और वहीं से मैंने इस तकनीक को घरेलू मैचों में आज़माना शुरू किया। अब तक मैं इसी स्टांस के साथ खेल रहा हूं।"
अय्यर ने बचपन से ही इस तरह के सीधा खड़े होकर खेलने वाले स्टांस के साथ बल्लेबाज़ी की है, लेकिन पीठ की चोटों ने शायद उन्हें कुछ बदलाव करने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा, "मुंबई में जब हम लाल मिट्टी की विकेटों पर खेलते हैं। वहां उछाल सामान्य से ज़्यादा होता है। ऐसे में सीधा स्टांस काफ़ी मददगार रहता है।"
"आपको समय-समय पर बदलाव करते रहना पड़ता है क्योंकि हर विकेट एक जैसी नहीं होती। जो भी विकेट की मांग है। उसके हिसाब से स्टांस बदलना पड़ता है। मैंने इतने तरह के स्टांस अपनाए हैं कि अब मैं लगभग हर स्थिति में एडजस्ट कर सकता हूं।"
Shreyas Iyer: 'Losing in this manner definitely hurts'
The India batter addresses the media after the second ODIअय्यर ने आख़िरी बार भारत के लिए मार्च में UAE में खेले गए चैम्पियंस ट्रॉफ़ी के दौरान खेला था। उसके बाद उन्होंने IPL, दो प्रथम श्रेणी मैच और फिर ऑस्ट्रेलिया ए के ख़िलाफ़ तीन वनडे मैचों में भारत ए की कप्तानी की। इसी बीच उन्हें यह एहसास हुआ कि उनकी बॉडी इस समय प्रथम श्रेणी क्रिकेट का दबाव झेलने के लिए तैयार नहीं है, जिसके चलते उन्होंने BCCI से छह महीने के लिए रेड-बॉल क्रिकेट से ब्रेक मांगा।
उन्होंने कहा, "IPL के बाद जब मैंने रेड-बॉल क्रिकेट खेला तो महसूस हुआ कि अगर मैं लंबे समय तक फ़ील्डिंग करूं तो मेरी ऊर्जा घटने लगती है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जो तीव्रता चाहिए होती है, मैं उसे बनाए नहीं रख पा रहा था। वनडे में एक दिन का आराम मिल जाता है जिससे रिकवरी आसान रहती है, लेकिन टेस्ट में ऐसा नहीं होता। इसी वजह से मैंने वह फ़ैसला लिया और BCCI को बताया।"
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.