स्मृति मांधना और 'फ़ील' की खोज
मांधना ने 2019 के बाद पहला शतक लगाया

डब्ल्यू वी रमन स्मृति मांधना को एक सहज व्यक्ति के रूप में याद रखते हैं। वह अपने खेल को आसान रखती थीं, ज़्यादा बात करने की आदी नहीं थीं और उनका अभ्यास भी आसान रहता था। 'सोनी स्पोर्ट्स इंडिया' के साथ स्मृति के ख़राब फ़ॉर्म के दिनों की बात करते हुए भारतीय महिला टीम के कोच रह चुके रमन बोले, "उनके दिमाग़ में यही रहता था कि वह एक सीनियर खिलाड़ी हैं और उन्हें टीम को अच्छी शुरुआत देनी है।"
यह उन दिनों की बात है जब 2017 विश्व कप के बाद स्मृति के फ़ॉर्म में काफ़ी उतार चढ़ाव देखने को मिले थे। साल 2018 में आईसीसी की सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर चुनी गई स्मृति ने 2019 की शुरुआत भारत के पहले ही मैच में 105 बनाकर की लेकिन उसके बाद 48 अंतर्राष्ट्रीय पारियों में वह शतक नहीं बना सकीं। शुक्रवार के सैकड़े से पहले 12 ऐसी पारियां थीं जहां वह अर्धशतक को शतक में तब्दील नहीं कर पाईं और ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ एलिस पेरी का पैर क्रीज़ के बाहर नहीं पड़ता तो स्मृति एक आसान कैच थमाकर 13वीं बार भी शतक से वंचित रहती।
बारिश से प्रभावित लगातार दूसरे दिन के खेल के बाद स्मृति ने कहा, "मुझे ख़राब गेंदों से बहुत डर लगता है। वह गेंद मेरे लिए दिन का दूसरा ही गेंद था और वह भी फ़ुल टॉस। मुझे लगा सारी रात मानसिक तैयारी के बाद क्या मैं फिर से फ़ुल टॉस पर आउट हो गई? हमारे हिसाब से कैच में कोई कमी नहीं थी लेकिन नो बॉल का कॉल आश्चर्य की बात थी।"
स्मृति ने ऑस्ट्रेलिया में खेलते हुए महिला टेस्ट में विदेशी बल्लेबाज़ द्वारा सर्वाधिक स्कोर के 72 वर्षीय रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 127 बनाए। आज वह एक ऐसी बल्लेबाज़ नज़र आईं जो पहले दिन के 80 नाबाद को शतक में परिवर्तित करने के लिए दृढ निश्चय करके आईं थीं।
मैच के दौरान उन्होंने 'सेवेन क्रिकेट' को कहा, "मुझे आज और ख़ुशी इस बात की थी कि मैं कई बार 80 और 90 के स्कोर पर आउट हुई हूं। मैं आज एकाग्रचित थी कि मुझे सैंकड़ा पार करना है। मुझे दुःख है मैंने एक बड़ा स्कोर बनाने का मौक़ा गंवाया लेकिन अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हूं।"
स्मृति ने यह भी बताया कि जब उनका फ़ॉर्म ख़राब चल रहा था, तब कैसे वह अपने बड़े भाई श्रवण और व्यकितगत कोच अनंत तम्ब्वेकर के साथ अपनी पुरानी पारियों की समीक्षा किया करती थीं।
उन्होंने कहा, "2018 से इस साल तक मैं अपने पसंदीदा अंदाज़ में बल्लेबाज़ी नहीं कर पा रही थी। मैंने इस वक़्त अर्धशतक भी बनाए लेकिन मैं लगातार अपने बल्लेबाज़ी में 'फ़ील' खोज रही थी। मैंने इसके लिए अपने पुराने वीडियो भी देखे कि क्या मैं कुछ अलग करने लगी हूं? कई बार ऐसे दौर आते हैं, जब आप इस सब पर सोचना बंद कर देते हैं, पर इस सीरीज़ में मेरी बल्लेबाज़ी में सुधार देखने को मिल रहा है। यह जो समय उस 'फ़ील' को पाने में लग गया है मैं उसकी भरपाई करना चाहती हूं।"
स्मृति के पास पिंक बॉल से अभ्यस्त होने के लिए बस दो नेट सेशन का समय था लेकिन भारत अगर इस टेस्ट में एक मज़बूत स्थिति में है तो उसका श्रेय स्मृति की पारी की गति को जाता है। शुक्रवार को उन्होंने सात चौके लगाए अर्थात उनकी 216 गेंदों की पारी में 23 बॉउंड्री शामिल थे। पेरी की गेंदबाज़ी में 52वें ओवर में लगातार चौकों की मदद से स्मृति अपने शतक पर पहुंची और अपने हेलमेट को उतार कर दोनों हाथ फैलाए और अपने पीठ के पीछे अपने नाम की ओर इशारा किया।
स्मृति के शतक का आंकलन करते हुए रमन ने बताया कैसे वह उन्हें क्रीज़ पर समय व्यतीत करने की सलाह देते थे। उनके अनुसार स्मृति का गेम ही ऐसा था कि रन अपने आप बनते जाते और खोए हुए समय की भरपाई हो जाती थी।
इस टेस्ट के पहले दो दिनों के आधार पर ऐसा लगता है शायद उन खोए हुए शतकों की भी भरपाई जल्दी ही हो जाएगी।
ऑन्नेशा घोष ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं, हिंदी अनुवाद ESPNcricinfo के सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा हेड देबायन सेन ने किया है
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