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क्या साई सुदर्शन के रूप में भारत को टेस्ट क्रिकेट में अपना अगला नंबर तीन मिल गया है?

द्रविड़ और पुजारा की जगह को भरना इतना आसान नहीं है, लेकिन साई सुदर्शन ने इसकी झलक तो दिखाई है

साई सुदर्शन ने संभलकर शुरुआत के बाद लय हासिल की  Getty Images

पिछले साल के अंत में शुरू हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से लेकर अब तक भारत ने नंबर 3 पर पांच बल्लेबाज़ आज़माए हैं। कुल सात बार बदलाव हुए हैं: शुरुआत में शुभमन गिल के चोटिल होने पर देवदत्त पड़िक्कल को जगह मिली, फिर गिल लौटे। उसके बाद गिल को बाहर किया गया और केएल राहुल को लाया गया। फिर गिल लौटे, कप्तान बने और खाली हुए नंबर 4 पर खेले, जिससे नंबर 3 बी साई सुदर्शन को सौंपा गया। फिर करुण नायर ने दो टेस्ट खेले और अब यह स्थान फिर साई सुदर्शन के पास है।

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ऐसा लग रहा था कि मैनचेस्टर टेस्ट में अंतिम निर्णय साई सुदर्शन और नायर के बीच देर से लिया गया। अभ्यास सत्र में दोनों स्लिप में कैचिंग ड्रिल में थे और साई सुदर्शन ने गीले कवर पर खड़े होकर विज़ुअलाइज़ेशन किया। टेस्ट की सुबह हालात से मिले संकेत मिले-जुले थे। बादल और ढंकी पिच ने अतिरिक्त सीम का इशारा किया, लेकिन सूखी पिच पर दरारें दिख रहीं थीं, जिससे स्पिन की भी ज़रूरत थी।

आख़िरकार भारत ने दोनों विकल्पों को ध्यान में रखते हुए साई सुदर्शन और नायर में से एक को चुनने का निर्णय लिया। भारत ने सीरीज़ की शुरुआत में बनाए गए योजना पर लौटते हुए उन विशाल जूतों को भरने की कोशिश की जो राहुल द्रविड़ और चेतेश्वर पुजारा ने नंबर 3 पर पहने थे और इसके लिए चुना एक ऐसा बल्लेबाज़, जिसका प्रथम श्रेणी औसत 39.93 है।

1988 में WV रमन के बाद यह पहला मौका है जब भारत ने किसी 40 से कम औसत रखने वाले स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ को डेब्यू कराया है। आमतौर पर भारत में टेस्ट टीम के क़रीब पहुंचने के लिए बल्लेबाज़ को प्रथम श्रेणी में लगभग 60 का औसत चाहिए होता है। हाल ही में सूर्यकुमार यादव को इस नियम से छूट मिली, उनका औसत 42.33 है और उन्होंने एक टेस्ट खेला।

साई सुदर्शन का मामला अलग है। लगभग हर किसी ने उनकी तारीफ़ की है। रविचंद्रन अश्विन ने 17 साल के साई सुदर्शन के ख़िलाफ़ क्लब क्रिकेट खेला था और हैरान रह गए थे कि इतने कम उम्र में उनके पास एक ठोस गेम प्लान था। उन्होंने मिडविकेट क्षेत्र ख़ाली छोड़ा था, लेकिन साई ने स्पिन के विरुद्ध एक भी गेंद नहीं खेली, जब तक अश्विन ने फुल गेंद नहीं फेंकी।

दो साल बाद वही अश्विन तमिलनाडु प्रीमियर लीग की नीलामी में साई सुदर्शन के लिए बोली लगाते हुए नज़र आए। IPL में गुजरात टाइटन्स ने उन पर बड़ा दांव खेला। और जब राष्ट्रीय चयनकर्ता आपके प्रथम श्रेणी आंकड़ों को दरकिनार करते हुए आपको टेस्ट टीम में जगह दें, तो ज़रूर आप में कुछ ख़ास है। चयनकर्ताओं के अनुसार दो बातें हमेशा प्रमुख रहीं: उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता और रन बनाने की उनकी क्षमता।

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फिर भी टेस्ट क्रिकेट में छलांग लगाना आसान नहीं है। पहले टेस्ट में बेन स्टोक्स ने साई सुदर्शन को लेग साइड में कैच कराने की योजना जल्दी ही बना ली और पहले मैच में सुदर्शन ने दो बार लेग साइड पर आउट होकर इंग्लैंड को विकेट दे दिया। टेस्ट क्रिकेट निष्ठुर हो सकता है, उन्हें टीम संतुलन के लिए अगले दो टेस्ट से बाहर बैठना पड़ा।

अब दोबारा नंबर 3 पर लौटे साई सुदर्शन ने आसमान उछाल और मूवमेंट वाली पिच पर वही दो गुण दिखाए- प्रतिस्पर्धात्मकता और रास्ता ढूंढने की क्षमता।

साई सुदर्शन ने स्टोक्स और शॉर्ट बॉल के ख़िलाफ़ खेल को लेकर कहा, "यह वास्तव में बहुत अच्छा अनुभव था। जब विपक्षी टीम का सबसे अच्छा गेंदबाज़ पूरी ताक़त से गेंद फेंक रहा हो और आप टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हों, तो यह बेहतरीन अहसास होता है। इंग्लैंड में खेलते हुए आपको आक्रामकता के लिए तैयार रहना होता है और मैंने इसका पूरा आनंद लिया।"

स्टोक्स ने उन्हें सीधी लाइन और शॉर्ट गेंदों से सबसे ज़्यादा परेशान किया। जब साई सुदर्शन ने पुल खेलकर चौका मारा, तो स्टोक्स ने तालियां बजाकर उन्हें चिढ़ाने की कोशिश की। चूंकि साई सुदर्शन रन ले रहे थे, तो उन्होंने भी स्टोक्स को सामने से देखा। जैसा उन्होंने कहा, उन्होंने इस पल को भी एंजॉय किया।

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इस पारी को कई लोग धीमा कह सकते हैं, लेकिन साई सुदर्शन ने कम से कम पांच ऐसे शॉट खेले जो किसी भी हाइलाइट्स में दिखाए जा सकते हैं: दो पुल शॉट जो सामने का पैर ऊपर उठाकर खेले गए, जैसे गॉर्डन ग्रीनिज खेलते थे, स्टोक्स पर बैकफुट पंच और स्पिन के ख़िलाफ़ दो बेहतरीन कवर ड्राइव। जैसा उनके बारे में कहा गया है कि वह रास्ता ढूंढ लेते हैं।

बाउंड्री के बीच-बीच में उन्होंने कुछ संघर्ष भी झेले। हेडिंग्ली में जिस तरह से वह आउट हुए, वह थोड़ा दुर्भाग्यपूर्ण था। लेकिन मैनचेस्टर में जब वह फिर से लेग साइड पर गेंद छू बैठे, तो जेमी स्मिथ ने उनका कैच छोड़ दिया। उन्होंने कहा, "अगर वह कैच पकड़ लेते, तो मैं तुरंत बाहर चला जाता। बस इतना ही है।"

इस मैच में उनकी पारी भारत के लिए अहम रही क्योंकि इंग्लैंड ने पहले सत्र में हालात का पूरा फ़ायदा नहीं उठाया था और लंच के बाद वापसी कर रहे थे। साई सुदर्शन एक बार फिर ब्रेक के आसपास विकेट गिरने के बाद बल्लेबाज़ी करने आए। उन्होंने टीम के लिए वही काम किया जिसकी तलाश भारत को अपने नंबर 3 से थी- संकट में टिकना।

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी से शुरू हुई पिछली नौ टेस्ट में यह भारत की ओर से नंबर 3 पर पहला अर्धशतक था। भविष्य में साई सुदर्शन और अधिक लय में खेलेंगे। कभी-कभी क़िस्मत साथ नहीं देगी, लेकिन जिस दिन ऋषभ पंत पैर की चोट से बाहर हुए, उस दिन साई सुदर्शन ने जो ज़िम्मेदारी निभाई, उसने यह संकेत दिया कि भारत को शायद अपना अगला नंबर 3 मिल गया है।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में सीनियर राइटर हैं