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तेज़ गेंदबाज़ों ने मुश्किल दौर में श्रीलंका को दिलाई ख़ुशी

1-0 की सीरीज़ जीत के हीरो रहे मैथ्यूज़, चांदीमल, असिथा और रजिता

असिथा फ़र्नांडो ने दूसरे टेस्ट में 10 विकेट अपने नाम किए  AFP/Getty Images

घरेलू राजनीतिक गतिविधियां और उसके फलस्वरूप बिजली और महंगाई के मुद्दों से परेशान श्रीलंका के लोगों को शायद ही बांग्लादेश में हो रहे टेस्ट सीरीज़ में कोई ख़ास रुचि रही होगी। हालांकि अगर वह दूसरे टेस्ट में 10 विकेटों की जीत का स्कोरकार्ड देखेंगे तो इस कठिन समय में भी उनके चहरे पर मुस्कान ज़रूर होगी।

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भारत के एक मुश्किल दौरे के बाद और घर पर ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ दो बड़ी सीरीज़ से पहले इस दौरे को एक ऐतिहासिक जीत के तौर पर लिया जाएगा। वैसे श्रीलंका एक समय बांग्लादेश को आसानी से हराया करता था लेकिन वह दिन अब अतीत में हैं।

ऐंजेलो मैथ्यूज़ और दिनेश चांदीमल की अगुआई में बल्लेबाज़ों का प्रदर्शन निरंतर रहा। लगभग सभी बल्लेबाज़ों ने किसी न किसी मोड़ पर टीम की मदद की। हालांकि इस सीरीज़ का सबसे बड़े सरप्राइज़ रहा तेज़ गेंदबाज़ों का प्रदर्शन। श्रीलंका के लिए टेस्ट इतिहास में असिथा फ़र्नांडो केवल दूसरे तेज़ गेंदबाज़ बने जिन्होंने एक टेस्ट में 10 विकेट लिए। उनसे पहले यह मौजूदा तेज़ गेंदबाज़ी कोच चामिंडा वास ने 1995 और 2001 में किया था। कसुन रजिता ने पहली पारी में पांच विकेट लिए थे और उन्होंने और फ़र्नांडो ने मैच में कुल 17 विकेट लिए।

विकेटकीपर निरोशन दिकवेला ने मैच के बाद कहा, "यह ऐसे विकेट थे जो हमें पिछली बार नहीं मिले थे। गेंद स्पिन और उछाल दोनों लेती थी। इस बार विकेट काफ़ी सपाट और बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल थे। तेज़ गेंदबाज़ों ने ख़ुद अपने प्लान बनाए और उसी के मुताबिक़ गेंदबाज़ी की। इन विकेटों पर स्पिनर के लिए ख़ास मदद नहीं थी और इसलिए तेज़ गेंदबाज़ों ने यहां इतना अच्छा किया। यह श्रीलंका के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ हैं और इसीलिए इस दौरे का हिस्सा हैं। सारे तेज़ गेंदबाज़ अच्छी तैयारी के साथ आए थे और उन्होंने मौक़े का पूरा फ़ायदा उठाया।"

स्पिन गेंदबाज़ों को केवल एक ही विकेट मिला और इससे सीरीज़ में स्पिन को सिर्फ़ तीन ही विकेट मिले। न्यूनतम 180 ओवर डाले गए किसी भी सीरीज़ में श्रीलंका की ओर से यह स्पिन से लिए गए दूसरे सबसे कम विकेट हैं। श्रीलंका की इस जीत में अनुभव और युवा का अच्छा मिश्रण था। मैथ्यूज़ को अपनी निरंतरता के लिए प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ का पुरस्कार मिला और चांदीमल ने चार सालों में अपना पहला शतक जड़ा। दोनों ने मिलकर ढाका में छठे विकेट के लिए 199 रन जोड़े जिसमें दोनों के तरीक़े अलग थे। मैथ्यूज़ ने अपने डिफ़ेंस पर भरोसा जताया और उनके हर शॉट को आप सुरक्षात्मक ड्राइव का ही कोई रूप कह सकते हैं। बांग्लादेश की नीची उछाल भरी विकेटों पर इस शैली से सीधे बल्ले से खेलने से आप ख़ूब सारे रन बना सकते हैं।

इस सीरीज़ में सर्वाधिक रन बनाने के मामले में ऐंजेलो मैथ्यूज़ और दिनेश चांदीमल शीर्ष दो स्थानों पर रहे  AFP/Getty Images

चांदीमल अपनी बल्लेबाज़ी में चिर परिचित आक्रामकता लौटाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्पिनरों के विरुद्ध क़दमों का इस्तेमाल किया और स्क्वेयर कट और ड्राइव का भी अच्छा उपयोग किया। कप्तान दिमुथ करुणारत्ना, ओशादा फ़र्नांडो, कुसल मेंडिस और धनंजय डीसिल्वा ने भी नियमित योगदान दिए।

तेज़ गेंदबाज़ो का प्रदर्शन सबसे चौंकाने वाली बात थी। विश्वा फर्नांडो के स्थान पर खेल रहे रजिता ने चटगांव में टीम को वापसी कराने में बड़ी भूमिका अदा की। उन्होंने और असिथा ने तीव्रता से गेंदबाज़ी की और कोच क्रिस सिल्वरवुड ने दोनों की गर्मी में ऊर्जावान गेंदबाज़ी की जमकर तारीफ़ की। इस अनुभव का ढाका में सही काम आया।

दोनों ने सात से भी कम ओवर में सीम का बढ़िया उपयोग करते हुए बांग्लादेशी बल्लेबाज़ी को हिला कर रख दिया। मुशफ़िकुर रहीम और लिटन कुमार दास के रन अगर आप हटा लें तो बाक़ी के बल्लेबाज़ों ने पहली पारी के 365 के स्कोर में केवल 49 रन बनाए। दिकवेला ने कहा, "पहली पारी में पिच पर तेज़ गेंदबाज़ों के लिए मदद थी और हमने शुरुआती पांच विकेट जल्दी लिए लेकिन बाद में विकेट लेने में विफल रहे। दूसरी पारी में उछाल में दोहरापन था। हमने सहज दिशा और लंबाई पर गेंदबाज़ी करने की कोशिश की। असिथा की गति पर शॉर्ट गेंद उनके लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली थी। हमारे ड्रेसिंग रूम में हमें पता था हम उनके पुछल्ले बल्लेबाज़ों से केवल एक विकेट दूर थे।"

रजिता और फ़र्नांडो के प्रदर्शन के विपरीत श्रीलंका के स्पिनरों ने निराश किया। यह केवल दूसरी बार हुआ कि श्रीलंका के स्पिनरों को 80 ओवर डालते हुए सिर्फ़ एक विकेट मिला हो। बांग्लादेश द्वारा इस प्रदर्शन का फ़ायदा न उठा पाना श्रीलंका के तेज़ गेंदबाज़ों की कोशिशों को सही संदर्भ देता है।

अगले दो साल में सिल्वरवुड और वास की देखरेख में यह दोनों गेंदबाज़ बेहतर ही होंगे और इससे और तेज़ गेंदबाज़ों को भी आगे आने का प्रोत्साहन मिलेगा। श्रीलंका के लिए ऐसा नहीं है कि सारे पहलू सीधे साधे हैं। फिर भी अपनी पहली सीरीज़ के बाद सिल्वरवुड भविष्य को लेकर काफ़ी उत्साहित ही होंगे।

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मोहम्मद इसाम (@isam84) ESPNcricinfo के बांग्लादेशी संवाददाता हैं।