आंकड़े - क्या घर पर अपना प्रभुत्व दोबारा हासिल कर पाएंगे भारतीय बल्लेबाज़?
2021 के बाद से भारतीय बल्लेबाज़ों की औसत में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है

पिछले कुछ वर्षों से टेस्ट क्रिकेट में भारत को घर पर हराना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। ख़ुद आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं, 2013 की शुरुआत से लेकर अब तक भारत ने घर पर 40 टेस्ट मैच जीते हैं जबकि सिर्फ़ चार में ही उसे हार का सामना करना पड़ा है। दूसरे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया है, जिसे घर पर 41 में जीत तो मिली है लेकिन सात मैचों में उसे हार भी नसीब हुई है।
इस दौर में (2013-20) अधिकतम समय भारत की बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों ही विपक्षी टीम पर हावी रही है, इस अवधि में भारत ने 28 मैच जीते थे जबकि एक मैच में उसे हार नसीब हुई थी। इस दौरान बल्ले के साथ भारत ने प्रति विकेट औसतन 44.05 रन बनाए थे और 23.30 की औसत से गेंदबाज़ों ने विकेट लिए थे। सिर्फ़ 2015 का ही साल था जब भारत ने घर पर प्रति विकेट 40 से कम रन बनाए। साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ भारत ने चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला में प्रति विकेट औसतन 25.27 रन बनाए थे।
(इन आंकड़ों में एक्स्ट्रा के ज़रिए आए रनों को शामिल नहीं किया गया है जबकि गेंदबाज़ी में सिर्फ़ गेंदबाज़ द्वारा लिए गए विकेट ही शामिल किए गए हैं।)
2021 से इन आंकड़ों में बदलाव आए हैं। भारत में खेले गए 17 टेस्ट मैचों में भारतीय बल्लेबाज़ों ने प्रति विकेट औसतन 33.40 रन बनाए हैं। इस अवधि में भारत और विदेशी टीमों के शीर्ष सात बल्लेबाज़ों की औसत भी 39.18 से 31.65 पर पहुंची है।
2016 से 2020 की अवधि और 2021 से लेकर अब तक घर पर खेले गए टेस्ट में विराट कोहली की औसत में भी भारी गिरावट देखने को मिली है। कोहली ने 2016 से 2020 के दौरान 22 टेस्ट मैचों में 86.17 की औसत से खेलते हुए 10 शतक जड़े थे। लेकिन इसके बाद उन्होंने 11 टेस्ट मैचों में 34.47 की औसत से रन बनाए हैं और उनके नाम सिर्फ़ एक शतक हैं।
जबकि रोहित शर्मा ने 2016-20 की अवधि में 10 टेस्ट मैचों 101.10 की औसत से रन बनाने हुए चार शतक लगाए थे। जबकि इसके बाद रोहित ने घर पर खेले 15 टेस्ट मैचों में 44.87 की औसत से 4 शतक लगाए हैं। पिछले चार वर्षों में यशस्वी जायसवाल के ही आंकड़े प्रभावी हैं।
लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ी की औसत में आई गिरावट की वजह है। इसका जवाब तेज़ गेंदबाज़ी और स्पिन के ख़िलाफ़ उनके आंकड़ों को खंगालने पर मिल सकता है। 2016-20 के दौरान उन्होंने तेज़ गेंदबाज़ों के विरुद्ध 47.36 और स्पिन के ख़िलाफ़ 63.36 की औसत से रन बनाए। जबकि इसके बाद तेज़ गेंदबाज़ी के विरुद्ध भारतीय बल्लेबाज़ों की औसत में अधिक बदलाव देखने को नानी मिला जय लेकिन स्पिन के ख़िलाफ़ उनकी औसत 41 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज करते हुए 37.56 पर आ गई है।
हालिया समय में बल्लेबाज़ी के आंकड़े भारत के लिए चिंताजनक हैं लेकिन पिछली घरेलू टेस्ट श्रृंखला में दो दोहरा शतक लगाकर धमाल मचाने वाले जायसवाल और 56 की औसत से 450 रन बनाने वाले गिल से सभी को उम्मीदें ज़रूर होंगी।
घर पर आगामी पांच टेस्ट मैचों में भारतीय बल्लेबाज़ों से हालिया प्रदर्शन की तुलना में अधिक बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद होगी। अगर कोहली वापस लय में आ जाते हैं और रोहित, जायसवाल और गिल के साथ जुगलबंदी बैठ जाती है तब भारत घर पर बल्लेबाज़ी में अपने प्रभुत्व को दोबारा हासिल भी कर सकता है।
एस राजेश ESPNcricinfo के स्टैट्स एडिटर हैं
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