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गाबा पहुंचने के बाद भावुक हुए शुभमन गिल

तीसरे टेस्ट से पहले भारतीय बल्लेबाज़ ने कहा कि पूरी टीम के साथ स्टेडियम में फिर से चलना और 2021 की जीत को याद करना बहुत ही भावुक कर देने वाला अनुभव था

Gill: We should consider this as a three-match series from now

Gill: We should consider this as a three-match series from now

The India batter outlines the challenges involved in playing a long Test series

जब भी 2021 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए गाबा टेस्ट का जिक्र किया जाता है तो लोगों के मन में सबसे पहले ऋषभ पंत का नाम आता है। हालांकि कई लोग अक्सर यह भूल जाते हैं कि शुभमन गिल ने भी उस मैच में एक अहम योगदान दिया था। हालांकि मौजूदा बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी के तीसरे टेस्ट से एक दिन पहले जब गिल प्रेस कांफ़्रेंस के लिए आए तो उन्होंने उस मैच की यादों को एकबार फिर से ताज़ा कर दिया और यह बताया कि वह अब तक उस मैच को नहीं भूले हैं।

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सिर्फ़ 21 साल की उम्र में अपने तीसरे टेस्ट में खेलते हुए वह शायद ऑस्ट्रेलिया के सबसे चुनौतीपूर्ण मंच पर उतरे। सिडनीमें ड्रॉ कराने के बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन ने यह याद दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी कि गाबा उनके लिए सबसे बड़ा गढ़ है। लेकिन गिल ने ऐसा प्रदर्शन किया मानो वह उसी टेस्ट के लिए बने हों।

गिल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन धमाके की तरह होता है, क्योंकि जब वे गेंद को मारते हैं तो मैदान गूंज उठता है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि उनकी शॉट्स को आंखें बंद करके भी पहचाना जा सकता है, क्योंकि उनका कनेक्शन बेहद साफ़ और सटीक होता है।

उस मैच में 329 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए उन्होंने मिचेल स्टार्क की गेंद को बैकफु़ट पर जाकर कवर्स की दिशा में सीमा रेखा के पार भेजा तो कॉमेंट्री कर रहीं इंग्लैंड की पूर्व क्रिकेटर ईशा गुहा ने कहा, "क्रंच्ड! बल्ले की आवाज़ सुनिए। वाह शुभमन गिल वाह!" गिल ने पारी की शुरुआत में 91 रन बनाकर वह आधार तैयार कर दिया था, जिससे भारत ने आगे चमत्कारिक जीत हासिल की।

गिल ने इस साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गाबा टेस्ट से पहले कहा, "जब मैं यहां आया तो निश्चित रूप से बहुत ही नॉस्टैल्जिक (भावविभोर) फील हुआ। पूरी टीम के साथ स्टेडियम में फिर से चलना और 2021 की जीत को याद करना बहुत ही भावुक कर देने वाला अनुभव था।"

अपनी नैसर्गिक प्रतिभा के अलावा गिल बल्लेबाज़ी की जटिलताओं को भी बखू़बी समझते हैं। वह जानते हैं कि कहां चीज़ें ग़लत हो सकती हैं और इन्हें सुधारने के लिए वह नेट्स पर घंटों मेहनत करते हैं। वे यह भी समझते हैं कि कहां चीज़ें सही हो सकती हैं।

भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने हाल ही में बताया कि कैसे 2021 गाबा टेस्ट के अंतिम दिन चाय के समय गिल, ऋषभ पंत के पास गए थे और कहा था कि ऑस्ट्रेलिया शायद नए गेंद के आने तक मार्नस लाबुशेन की लेग स्पिन का सहारा ले सकता है और उस समय का फायदा उठाना चाहिए। (हालांकि लाबुशेन ने सिर्फ़ एक ही ओवर फेंका।)

इस दौरे पर गिल भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में से एक हैं। हालांकि पर्थ टेस्ट से दो दिन पहले ट्रेनिंग के दौरान वे चोटिल हो गए और पहला टेस्ट नहीं खेल सके थे। एडिलेड में उनकी वापसी पिंक बॉल टेस्ट की चुनौती के साथ हुई। गिल ने पहली पारी में 31 रन बनाए, जिनमें 20 रन बाउंड्री के जरिए आए, लेकिन फिर एक सीधी गेंद को मिस कर दिया और पगबाधा आउट हो गए।

गिल ने कहा, "जब आप मैदान पर होते हैं तो सबसे बड़ी चुनौती होती है कि आप अपना खेल वैसे खेल पाएं, जैसे आप खेलना चाहते हैं, भले ही दूसरे छोर पर कुछ भी हो रहा हो या स्कोरकार्ड पर कुछ भी दिख रहा हो। पहली पारी में मैं इसी वजह से चूक गया क्योंकि दूसरे छोर पर जो हो रहा था, उसका दबाव मैंने खु़द पर ले लिया। "एक ऐसा समय आया, जब मुझे स्ट्राइक नहीं मिली। शायद मैंने चार ओवर में केवल एक गेंद का सामना किया और फिर अगली गेंद जो मैंने खेली वह फ़ुलर डिलीवरी थी और मैं उसे मिस कर गया। लेकिन टेस्ट मैच में ये चुनौतियां होती हैं। हो सकता है कि आपको तीन-चार ओवर तक स्ट्राइक न मिले या फिर आपको लगातार 18 गेंदों का सामना करना पड़े।"

अच्छी शुरुआत मिलने के बाद भी अपनी पारी को बड़ा नहीं बनाना गिल की टेस्ट औसत को 30 मैचों के बाद 36.45 तक सीमित रखती है। 57 पारियों में से 33 बार वे 20 का आंकड़ा पार कर चुके हैं, लेकिन उनमें से आधे से अधिक पारियां पचास रन से पहले ही समाप्त हो गईं।

एडिलेड में उन्होंने इस समस्या का कारण पिंक बॉल टेस्ट की डायनेमिक्स को बताया। उन्होंने कहा, "हम ज़्यादा पिंक बॉल टेस्ट नहीं खेलते हैं और रात में खेलते हुए गेंद की सीम पोज़ीशन और हैंड पोज़ीशन को देखना थोड़ा कठिन होता है। बल्लेबाज़ के लिए यह थोड़ा अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।"

गिल ने आगे कहा, "मुझे लगता है कि यहां जिस तीव्रता के साथ टेस्ट मैच खेल खेले जाते हैं, वह सबसे कठिन चीज़ों में से एक है। पांच दिनों तक उस तीव्रता को बनाए रखना ही ऑस्ट्रेलिया का दौरा इतना मुश्किल बनाता है। मुझे लगता है कि मानसिक तीव्रता और मानसिक फ़िटनेस ऑस्ट्रेलिया में काफ़ी आवश्यक होती है।"

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