क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया : टेस्ट को बचाने के लिए ज़रूरी है कम से कम 3 मैचों की श्रृंखला
निक हॉकले ने कहा है कि साउथ अफ़्रीका का न्यूज़ीलैंड में दूसरे दर्जे की टीम भेजना टेस्ट के लिए ख़तरे की घंटी है

टेस्ट क्रिकेट के भविष्य और उसके ऊपर चल रही चर्चाओं को ध्यान में रखते हुए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में कम से कम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेले जाने की वकालत करने की तैयारी कर रही है।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निक हॉकले ने यह माना है कि साउथ अफ़्रीका का न्यूज़ीलैंड में एक कमज़ोर टीम भेजना टेस्ट क्रिकेट के लिए ख़तरे की घंटी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत जैसे तीन बड़े देशों के इतर भी टेस्ट क्रिकेट को प्रासंगिक बनाए रखा जा सकता है।
मौजूदा विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के प्रावधानों के अनुसार एक टेस्ट सीरीज़ में कम से कम दो मैच खेलना अनिवार्य है। साउथ अफ़्रीका और भारत के बीच चल रही सीरीज़ के 1-1 की बराबरी पर समाप्त होने की संभावना ज़्यादा है। पिछली बार भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को छोड़कर कोई तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला 2018-19 में खेली गई थी, जब पाकिस्तान ने साउथ अफ़्रीका का दौरा किया था।
हॉकले ने SEN से कहा, "कम से कम तीन टेस्ट मैच प्राथमिकता में होने चाहिए। इसलिए हम इसकी वकालत करते रहेंगे। जहां तक घरेलू स्तर की टी20 श्रृंखलाओं की बात है तो हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि यह उन देशों में खेले जाने वाली श्रृंखलाओं के साथ ओवरलैप ना हो जहां ऐसी श्रृंखलाएं उनकी कमाई का अहम ज़रिया हैं।"
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने एसए20 लीग के चलते साउथ अफ़्रीका के राजस्व पर पड़े प्रभाव को स्वीकारा है लेकिन इसके अफ़्रीकी टीम का न्यूज़ीलैंड में अपनी दूसरे दर्जे की टीम को भेजने का फ़ैसला चर्चा को अलग स्तर पर ले गया है। साउथ अफ़्रीका ने इस पर ज़ोर देते हुए कहा है कि वह टेस्ट क्रिकेट के प्रति समर्पित हैं और आगे पूरी कोशिश करेंगे कि भविष्य में ऐसे टकराव की स्थिति उत्पन्न ना हो।
हॉकले ने कहा, "यह हम सभी के लिए ख़तरे की घंटी है। बच्चों और नए लोगों को क्रिकेट की तरफ़ आकर्षित करने में टी20 की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता लेकिन हमारा विश्वास है कि इन दोनों का अस्तित्व एक साथ बना रह सकता है। मुझे लगता है कि हम ऑस्ट्रेलिया में इस बात को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट हैं कि बिग बैश के दौरान भी हम अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को ही प्राथमिकता देंगे। और हम इस मसले पर आईसीसी के साथ आगे काम भी करेंगे।"
हॉकले इस बात को लेकर आत्मविश्वास से भरे हैं भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाहर भी देश टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को लेकर समर्पित हैं लेकिन इस प्रारूप का आर्थिक पक्ष बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, "आर्थिक चुनौती बड़ा कारण है। कई देशों में टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों से एक जैसा ही राजस्व प्राप्त होता है लेकिन टेस्ट में लगने वाला धन ज़्यादा होता है। हमारे सामने उन देशों की मदद करने की चुनौती है जो टेस्ट क्रिकेट के लिहाज़ से संघर्ष कर रहे हैं।"
ऐंड्र्यू मक्ग्लैशन ESPNcricinfo
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