देबायन : स्मृति की कलाकारी ने सेमीफ़ाइनल में चार चांद लगा दिए
भारत की ओपनर जिस तरह खेल रहीं थीं, भारत के लिए 200 का आंकड़ा भी संभव लग रहा था

शनिवार के सेमीफ़ाइनल में जब शेफ़ाली वर्मा ने सोफ़ी एकलस्टन के ख़िलाफ़ मिड ऑन के ऊपर प्रहार करते हुए पारी की अपनी पहली बाउंड्री लगाई तब छठा ओवर ख़त्म होने को था। दूसरे छोर पर स्मृति मांधना 23 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा करते हुए भारत के लिए महिला टी20 अंतर्राष्ट्रीय में सबसे तेज़ अर्धशतक के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ चुकीं थीं।
स्मृति ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के हर प्रारूप में कई यादगार पारियां खेली हैं। हालांकि इंग्लैंड के ख़िलाफ़ आज खेली गई 32 गेंदों पर 61 रनों की पारी दो कारणों से भिन्न लगी। आम तौर पर उनकी बल्लेबाज़ी में नज़ाकत और टाइमिंग प्रधान होतीं हैं लेकिन इस मैच में उतनी ही मात्रा में आक्रमकता भी नज़र आई। और सफ़ेद गेंद की क्रिकेट में अक्सर स्मृति पारी की शुरुआत में एक सहायक भूमिका निभाना पसंद करतीं हैं लेकिन शनिवार के दिन उन्होंने पूरी तरह से मंच पर कब्ज़ा कर लिया था।
राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार स्वाभाविक पिच पर खेले गए इस मैच में गेंदबाज़ों के लिए जितनी मदद मिलनी थी वह पहले आधे घंटे के खेल में ही होने वाली थी। ऐसे में कैथरीन ब्रंट और इसी वॉन्ग जैसे प्रभावशाली गेंदबाज़ों के विरुद्ध भारत को अच्छे शुरुआत की तलाश थी। ब्रंट के पहले ओवर में स्मृति के स्ट्रेट ड्राइव में कोई अंदेशा नहीं था कि आगे क्या तूफ़ान आने वाला है। इंग्लैंड कप्तान नैट सीवर ने जब ऐलिस कैप्सी को दूसरे ओवर में गेंद थमाई, तब भी स्मृति ने दो चौक्के लगाए लेकिन उनमें कुछ असाधारण नहीं दिखा।
इसके बाद जब ब्रंट दूसरे ओवर के लिए आईं और विकेटकीपर एमी जोंस स्टंप्स पर आकर खड़ी हुईं, वहां से स्मृति ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। उन्होंने मन बना लिया कि पिच में अधिक गति की कमी में वह अपने शॉट्स में ही गति ला सकतीं हैं। ब्रंट के विरुद्ध दो चौक्कों में से एक बैकवर्ड स्क्वायर की दिशा में नियंत्रण के लिए झुकते हुए खेल दिया गया। वॉन्ग का स्वागत मिडविकेट के ऊपर एक विशाल छक्के के साथ हुआ। कप्तान सीवर के पहले ओवर में एक धीमी गेंद को पिक करते हुए उन्होंने ज़ोर से मिडविकेट के ऊपर छह रन के लिए मारा, तो अगली ही गेंद पर नज़ाकत के साथ गेंद को कीपर के ऊपर से स्कूप करके चार रन बटोरे।
स्मृति ने एकलस्टन और लेगस्पिनर सेरा ग्लेन के पहले ओवरों में भी बड़े शॉट्स लगाए और जब उनकी और शेफ़ाली की साझेदारी सात ओवर में 73 रन बना चुकी थी तब शायद भारत के समर्थकों को लगा होगा कि ऐसे बड़े मैच में पहली बार भारत 200 का आंकड़ा पार कर जाए। ऐसे में धीमी गति की गेंदों पर पहले शेफ़ाली और फिर स्मृति का आउट होना निराशाजनक ज़रूर था, लेकिन यह याद रखिए कि स्मृति जिस फ़ॉर्म में थीं उन्हें लैप शॉट खेलते हुए कोई जोखिम नहीं दिखाई दे रहा था।
स्मृति दुनिया की सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में एक हैं और वह जिस मंशा से मैदान पर उतरीं थीं वहां उनके लिए डिफ़ेंड करना या रक्षात्मक शॉट खेलना पराजय के समान होता। एक कलाकार जब लय में दिखतीं हैं तब सिर्फ़ बैठ कर उनके हुनर का आनंद लेना चाहिए। तर्क-वितर्क से ग़लती निकालने से वह आनंद का अनुभव कम सा हो जाता है।
देबायन सेन हिंदी में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड हैं।
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