"वा वा वा (शाबाश) वरुण! इनको नहीं पता तुम क्या गेंदबाज़ी कर रहे हो"
यूएई की धीमी पिचें उनके लिए बेहद मूफ़ीद रहेंगी, जहां बल्लेबाज़ों को उनकी गेंदों को समझ पाना चुनौती रहेगी

"वा वा वा (शाबाश) वरुण! इनको नहीं पता तुम क्या गेंदबाज़ी कर रहे हो।"
आईपीएल देखते हुए दिनेश कार्तिक की स्टंप माइक पर तमिल में कही गई यह पंक्तियां आप सुन चुके होंगे। कार्तिक ऐसा वरुण चक्रवर्ती की गेंदबाज़ी के दौरान कई बार बोलते हैं। यह दर्शाता है कि वरुण वास्तव में कितने रहस्यमय गेंदबाज़ हैं। और यह रहस्य अर्थात 'मिस्टरी' सिर्फ़ उनकी गेंदबाज़ी तक ही सीमित नहीं है। वरुण शुरुआत में तमिल नाडु के अगले बड़े विकेटकीपर-बल्लेबाज़ बनना चाहते थे। यानि अगले कार्तिक। असफल होने पर उन्होंने वास्तुकला अपनाया। इसी दौरान उन्होंने तमिल सिनेमा में अदाकारी का भी प्रयास किया। कुछ वक़्त तक उन्होंने छोटे फ़िल्म और वीडियो का संपादन भी किया।
ऐसे में एक मोड़ आया जब वरुण फिर से क्रिकेट के दीवाने बने और उन्होंने वास्तुकला को छोड़ दिया। चोटिल होने पर वह अपने मध्यम तेज़ गेंदबाज़ी का सपना पूरा नहीं कर पाए लेकिन फिर उन्होंने चेन्नई की गलियों में सीखी कैरम बॉल के साथ कुछ प्रयोग किए। चेन्नई के निम्न स्तरीय क्रिकेट में वह लगातार नई गेंदें अपने गेम में जोड़ते गए। मिस्टरी स्पिनर बनने का राह वरुण के लिए कतई आसान नहीं था और अब उनके कंधे और घुटने भी बहुत लचीले नहीं रहे। फिर भी वरुण का 'X-फ़ैक्टर' उन्हें इस विश्व कप में भारतीय टीम का अहम हिस्सा बनाता है।
आप वरुण की गेंदबाज़ी के गति के चलते उन्हें पिच से नहीं पढ़ सकते। दुबई और अबू धाबी के बड़े मैदान और शारजाह का धीमा विकेट उनको और सहायता देंगे। यूएई में खेलते हुए 23 टी20 मुक़ाबलों में उन्होंने 20.89 के औसत और 6.35 की इकॉनमी से 28 विकेट झटके हैं। भारत में आठ मैचों में आठ विकेट लेने में उनकी इकॉनमी है 8.19 प्रति ओवर।
हाल ही में आईपीएल वेबसाइट पर आंद्रे रसल के साथ एक बातचीत के दौरान वरुण ने कहा, "मुझे अबू धाबी जैसी सपाट पिच पसंद है। चेन्नई में गेंद अधिक स्पिन लेती है और यह मुझे रास नहीं आती।" रसल ने जवाब में कहा कि वरुण शायद पहले स्पिनर हैं जिन्होंने स्पिन लेने वाली विकेट को अपना पसंद नहीं बताया। दरअसल वरुण पारंपरिक स्पिनर हैं ही नहीं। उनका अधिकतर क्रिकेट 18 गज के विकेट पर टेनिस बॉल के साथ खेला गया है। फलस्वरूप उनकी गेंदबाज़ी एक मध्यम तेज़ गति के गेंदबाज़ जैसी है जो अच्छे लेंथ पर लगभग 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गेंद को पटकते हैं और हलके से टर्न से बल्लेबाज़ को छकाते हैं।
यही वजह है कि आईपीएल के दूसरे चरण में वरुण इतने घातक सिद्ध हुए। फ़ाइनल से पहले मैचों में उनकी इकॉनमी निरंतर सात से नीचे की रही। वरुण एक अनोखे स्पिनर हैं जो आख़िर के डेथ ओवर्स में भी सुरक्षात्मक गेंदबाज़ी कर सकते हैं। पिछले दो आईपीएल में आख़िर के चार ओवेर में न्यूनतम 75 गेंद डालने वाले गेंदबाज़ों में वरुण से बेहतर इकॉनमी (8.76) सिर्फ़ चार खिलाड़ियों का है।
वैसे तो राहुल चाहर भी अच्छे लेंथ से गेंद को दोनों ओर स्पिन करा सकते हैं। भारत के लिए बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के सामने आर अश्विन भी एक बहुमूल्य विकल्प हैं। लेकिन अपनी गेंदबाज़ी में विविधता के चलते सबसे मज़बूत कड़ी बनेंगे वरुण जिन्होंने आईपीएल से पहले एक आठवें वेरिएशन पर काम किया है लेकिन अब तक मैच में उसका उपयोग नहीं किया है।
श्रीलंका में वरुण के पदार्पण से पहले कोलकाता नाइट राइडर्स के स्पिन बोलिंग कोच कार्ल क्रो ने कहा था, "आईपीएल में मैंने देखा है भारतीय बल्लेबाज़ मिस्टरी स्पिन से लेकर परंपरागत स्पिन के सभी प्रारूप अच्छे से खेलते हैं। विदेशी खिलाड़ियों के साथ ऐसा नहीं है। कुछ व्यक्ति विशेष, जैसे जॉस बटलर, स्पिन को संभाल सकते हैं। लेकिन विश्व कप जैसे मंच में जब भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर के बल्लेबाज़ों का मिस्टरी स्पिन से सामना होगा तो उनके होश उड़ सकते हैं।"
चार साल पहले वरुण का तमिल नाडु प्रीमियर लीग में निचले क्रम के बल्लेबाज़ की हैसियत से डेब्यू हुआ था। उन्होंने अपने दोस्तों को चेपॉक में बुलाया था लेकिन उनका खेल इतना साधारण रहा कि उनके मित्र उनकी खिल्ली उड़ाने लगे। रविवार को विश्व कप में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ संभवत: वरुण रवींद्र जाडेजा के साथ भारत के लिए स्पिन गेंदबाज़ी की बागडोर संभालेंगे। यह उनके जीवन में एक बड़ा परिवर्तन होगा।
देवरायण मुथु ESPNcricinfo में सब-एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।
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