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बेहतरीन फ़ॉर्म में चल रहे पड़िक्कल जीतना चाहते हैं रणजी ट्रॉफ़ी

पिछले कुछ समय से पड़िक्कल अपने स्वास्थ्य से काफ़ी परेशान थे लेकिन अब वह पूरी तरह से फ़िट हैं

तमिलनाडु के ख़िलाफ़ शतक लगाने के बाद पड़िक्कल  PTI

तमिलनाडु के ख़िलाफ़ देवदत्त पड़िक्कल 88 के निजी स्कोर पर खेल रहे थे। यहां से शतक तक पहुंचने के लिए उन्होंने विपक्षी टीम के कप्तान आर साई किशोर के ख़िलाफ़ पहले एक सिक्सर लगाया और फिर दो चौके लगाए। अपने शतक का जश्न मनाते हुए, पड़िक्कल ने हवा में पंच करते हुए पहले ज़ोरदार हुंकार भरी और फिर अपने बल्ले को हवा में लहराते हुए, दर्शकों का अभिवादन स्वीकार किया।

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पड़िक्कल ने अपनी इस पारी के दौरान तमिलनाडु के हर रणनीति का करारा जवाब दिया। एक बार तो संदीप वॉरियर का बाउंसर उनके हेलमेट और कंधे पर भी लगा लेकिन इसका जवाब उन्होंने हुक करते हुए दिया। इसके बाद जब एम मोहम्मद ने फुलर लेंथ की गेंद करते हुए, स्टंप पर अटैक करना चाहा तो पड़िक्कल ने बोलर के सिर के ऊपर से शॉट खेला। इसके बाद साई किशोर ख़ुद लांग ऑन पर फ़ील्डिंग करने गए लेकिन पड़िक्कल ने उनके सिर के ऊपर से भी शॉट खेला।

इसके बाद स्पिनरों के ख़िलाफ़ भी पड़िक्कल ने जो भी रिस्क लिया, वह उन्होंने काफ़ी सोच समझ कर लिया। पड़िक्कल ने कहा, "मैं सिर्फ़ इसका इंतेज़ार कर रहा था कि उनके स्पिनर कब गेंद को फ्लाइट कराएंगे। अजित राम और साई किशोर बहुत शानदार गेंदबाज़ हैं। इसी कारण से मैं थोड़ा इंतज़ार कर रहा था। एक बात यह भी है कि जब आपके पास मौक़ा आएगा, तो आपको उन गेंदों पर रन बटोरना ही होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप फंसे रह जाएंगे।"

जब मयंक अग्रवाल को उनके 20 के निजी स्कोर पर साई किशोर ने आउट किया तो, उसके बाद पड़िक्कल बल्लेबाज़ी करने आए थे। ऐसे तो पड़िक्कल एक ओपनिंग बल्लेबाज़ हैं लेकिन हालिया समय में उन्होंने नंबर तीन पर काफ़ी बल्लेबाज़ी की है।

पड़िक्कल ने कहा, "हमारे टीम का यही प्लान है। मुझे नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी करने में कोई समस्या नहीं है और मुझे ओपनिंग करने में भी कोई समस्या नहीं है। इसलिए इससे वास्तव में कोई बड़ा अंतर नहीं पड़ता है। इसलिए मैं सिर्फ़ यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि मैं जहां भी बल्लेबाज़ी करूं, टीम के लिए योगदान दूं।"

"मैं टीम को जीत दिलाने में मदद कर रहा हूं। कर्नाटका के लिए रणजी ट्रॉफ़ी जीतना ही मेरा अंतिम पुरस्कार है। अगर आप व्यक्तिगत रूप से अच्छा प्रदर्शन करते हैं, और आपकी रणजी ट्रॉफ़ी नहीं जीत रहे हैं तो रन बनाने का कोई मतलब नहीं है।''देवदत्त पड़िक्कल

पिछले दो वर्षों में आंतों की गंभीर समस्या ने पड़िक्कल की फ़ॉर्म और फ़िटनेस को काफ़ी प्रभावित किया है। 2022-23 सीज़न में वह सात रणजी पारियों में 37.14 की औसत से केवल 260 रन ही बना सके। पूरी फ़िटनेस हासिल करने के बाद पड़िक्कल ने अब बल्ले से भी शानदार प्रदर्शन किया है। वह 50 ओवर की विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में पांच पारियों में 155 की औसत और 120.46 की स्ट्राइक रेट से 465 रन के साथ कर्नाटका के शीर्ष रन बनाने वाले खिलाड़ी थे। उन्होंने इस सीज़न में छह प्रथम श्रेणी मैचों में चार शतक लगाए हैं।

पड़िक्कल ने कहा, ''ईमानदारी से कहूं तो पिछले कुछ वर्षों में मैं बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था। इस वजह से मेरा प्रदर्शन स्वाभाविक रूप से गिरता जा रहा था। लेकिन मुझे हमेशा से विश्वास था कि मेरे बल्ले से रन निकलेंगे। अब जब मैं अपनी फ़िटनेस और स्वास्थ्य के मामले में पूरी तरह से वापसी कर चुका हूं। इससे मैं काफ़ी ख़ुश हूं।"

"मैं टीम को जीत दिलाने में मदद कर रहा हूं। कर्नाटका के लिए रणजी ट्रॉफ़ी जीतना ही मेरा अंतिम पुरस्कार है। अगर आप व्यक्तिगत रूप से अच्छा प्रदर्शन करते हैं, और आपकी रणजी ट्रॉफ़ी नहीं जीत रहे हैं तो रन बनाने का कोई मतलब नहीं है।''

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