टेस्ट क्रिकेट में और बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं शुभमन गिल
गिल ने कहा कि कप्तान बनने पर एक बल्लेबाज़ के तौर पर भूमिका नहीं बदलती है

इस साल फ़रवरी मार्च में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घरेलू टेस्ट श्रृंखला से पहले टेस्ट में शुभमन गिल की औसत 30 से थोड़ी ही अधिक थी। लेकिन नंबर तीन पर नौ पारियों में बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने 56.50 की औसत से 452 रन बनाए, जिसमें दो शतक और दो अर्धशतक शामिल थे।
दलीप ट्रॉफ़ी में गिल इंडिया ए का नेतृत्व करने जा रहे हैं, जहां गुरुवार को उनकी टीम बेंगलुरु में इंडिया बी के विरुद्ध अपना पहला मैच खेलेगी। गिल ने बताया कि उन्होंने अपने प्रदर्शन में सुधार के लिए अपनी बल्लेबाज़ी में किस तरह के बदलाव किए थे।
गिल ने कहा, "मैंने अपने डिफ़ेंस पर, ख़ास तौर पर स्पिनर्स के ख़िलाफ़ अधिक काम किया। अगर घुमावदार पिच पर आपके पास अच्छा डिफ़ेंस नहीं है तो इससे आपका खेल प्रभावित हो सकता है। अधिक T20 क्रिकेट होने के कारण और अधिक बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल पिचों पर खेलने की वजह से समय के साथ कहीं न कहीं आपका रक्षात्मक खेल प्रभावित हो जाता है। इसलिए इंग्लैंड के ख़िलाफ़ श्रृंखला में मेरा ध्यान इसी बिंदु पर सुधार करने पर केंद्रित था।"
गिल ने कहा कि विशाखापट्टनम टेस्ट में 104 रनों की पारी खेलने के बाद एक टेस्ट बल्लेबाज़ के रूप में उनका आत्मविश्वास बढ़ गया था। वह अमूमन नंबर तीन पर खेलने के लिए टीम प्रबंधन से मांग करते आए थे। हालांकि गिल ने कहा कि एक टेस्ट बल्लेबाज़ के रूप में अभी उन्हें और बेहतर करने की ज़रूरत है।
"इसमें कोई शक मैं अब तक उस हिसाब का प्रदर्शन नहीं कर पाया हूं जैसी मैं ख़ुद से अपेक्षा रखता हूं। लेकिन हमें अब एक के बाद एक 10 टेस्ट मैच खेलने हैं तो मुझे उम्मीद है कि मैं इस दौरान अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतर पाऊंगा।"
"एक कप्तान के तौर पर आपको अपने खिलाड़ियों को समझना चाहिए"
पिछले कुछ महीनों में गिल को कप्तानी के भी अवसर मिले हैं। उन्होंने IPL में गुजरात टाइटंस (GT) की कप्तानी करने के साथ साथ ज़िम्बाब्वे दौरे पर पांच T20 मैचों की श्रृंखला में भी भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। गिल ने कहा कि उन्होंने कप्तान के तौर पर अतिरिक्त दबाव महसूस नहीं किया।
गिल ने कहा, "एक बल्लेबाज़ के तौर पर मेरी भूमिका नहीं बदलती। अगर मैं कप्तान या उपकप्तान हूं तब भी मेरा लक्ष्य रन बनाना होता है और यह भी कि हर संभव तरीके से टीम के लिए योगदान दे सकूं। अगर आप कप्तान या उपकप्तान हैं तो आपको खिलाड़ियों को समझने में अधिक सक्षम होना चाहिए। कई बार ऐसा भी होता है कि आपके साथ खेलने वाले खिलाड़ी वो होते हैं जिनके साथ आप बचपन और एज ग्रुप क्रिकेट के समय से ही क्रिकेट खेलते आ रहे होते हैं। तो ज़ाहिर तौर पर आपको अलग महसूस नहीं होता और उनके साथ खेलने में मज़ा भी आता है। और अगर आप अपनी कप्तानी का आनंद उठा पा रहे हैं तो यह ज़रूरी हो जाता है कि उसकी झलक आपके प्रदर्शन में भी दिखाई दे।"
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