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बटलर और सीमित ओवर क्रिकेट कप्तानी का संघर्ष

इंग्लैंड के कप्तान चाहेंगे आने वाले समय में उनकी टीम वनडे क्रिकेट के पुराने रंग में लौटे

इंग्‍लैंड के कप्‍तान के लिए पिछले कुछ दिन बेहद व्‍यस्‍त रहे हैं  Getty Images

जॉस बटलर जब रविवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आए तो उनकी पीठ पर बैग लटका हुआ था। लंदन के अंडरग्राउंड में सफ़र कर रहे किसी विदेशी छात्र की तरह वह भी कहीं जाने की जल्दी में थे।

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इंग्लैंड के नए सफ़ेद-गेंद कप्तान के लिए पिछले कुछ सप्ताह अत्यधिक व्यस्त रहे हैं। ऐम्स्टर्डैम में मैच खेलने के बाद उन्हें बर्मिंघम टेस्ट के दौरान एजबैस्टन में ओएन मॉर्गन के स्थान पर कप्तान बनने के बाद पहली बार मीडिया के सामने लाया गया। इसके बाद 24 दिनों में 12 सफ़ेद-गेंद मैचों का सिलसिला शुरू हुआ जिसके अंतर्गत उन्हें साउथैंप्टन, बर्मिंघम, नॉटिंघम, साउथ लंदन, नॉर्थ लंदन, मैनचेस्टर, डरहम, फिर मैनचेस्टर और अब लीड्स जाना पड़ा। अगले हफ़्ते में वह ब्रिस्टल, कार्डिफ़ और दूसरी बार साउथैंप्टन में भी दिखेंगे।

इस सबके बाद जब वह घर लौटेंगे और जूते उतारकर आराम करेंगे तब एक बात ज़रूर खटकेगी और वह है इंग्लैंड का मौजूदा वनडे फ़ॉर्म। वैसे तो फ़िलहाल टी20 विश्व कप कुछ ही महीने दूर है और वनडे विश्व कप उसके ठीक एक साल बाद अगले वर्ष अक्तूबर में। ऐसे में ग़लतियों को सुधारने का पर्याप्त समय मिलेगा लेकिन कुछ चीज़ें होंगी जिन पर बटलर का ध्यान ज़रूर जाएगा।

साउथ अफ़्रीका के विरुद्ध सीरीज़ का आकलन करना आसान नहीं। पहले मैच में तपती गर्मी में साउथ अफ़्रीकी बल्लेबाज़ों ने इंग्लैंड को मैच से बाहर कर दिया लेकिन अगले मुक़ाबले में एक 29 ओवर के मुक़ाबले में विश्व चैंपियन ने ज़बरदस्त प्रत्याघात किया। ऐसे में शायद भारत के हाथ मिली 2-1 पराजय से काफ़ी बेहतर सीख ली जा सकती है। एक शक्तिशाली बल्लेबाज़ी क्रम जिसने बड़े स्कोर खड़ा करने की ताक़त के बलबूते पर पिछला विश्व कप जीता इस बार पांच मैचों में 270 का आंकड़ा केवल एक बार पार कर सका। केवल एक बल्लेबाज़ ने 27 से अधिक के औसत से रन बनाए और वह थे जॉनी बेयरस्टो, और केवल तीन अर्धशतक लगाने वाले बल्लेबाज़ों में बेयरस्टो के अलावा शामिल नाम थे जो रूट और ख़ुद बटलर।

बटलर ने कहा, "ऐसा लग रहा होगा कि बल्लेबाज़ी पर मेरी राय एक अटकी हुई सुई जैसी लग रही हो। हम जानते हैं कि बल्लेबाज़ी हमारा मज़बूत पक्ष रहा है और हमने अपने मानदंड के अनुसार खेल नहीं दिखाया है।"

इसमें विकेटों की भूमिका भी रही है। पिछले सात सालों में इंग्लैंड के वर्चस्व में सपाट पिचों ने बड़ा योगदान दिया है। डरहम में हार के बाद रूट का कहना था, "इस बार की पिचों पर एक अलग तरह की क्रिकेट देखने को मिली है। मुझे सफ़ेद गेंद से ज़्यादा टेस्ट सीरीज़ में लाल गेंद से खेलना पसंद आया। इस सफ़ेद गेंद में बहुत ज़्यादा हरकत है।" अच्छे बल्लेबाज़ ऐसी परिस्थितियों में अपनी गेम को बदल लेते हैं लेकिन इंग्लैंड के बल्लेबाज़ ऐसा नहीं कर पाए।

अगर किसी खिलाड़ी ने अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ाया तो वह थे रीस टॉपली जिन्होंने पांच मैचों में 12 के औसत और 4.28 की इकॉनमी से 11 विकेट लिए। उन्होंने रोहित शर्मा और शिखर धवन को दो-दो बार आउट किया और लॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ 24 पर छह विकेट में भी दोनों को पवेलियन भेजा। बटलर ने टॉपली को एक "शानदार खोज" बताया लेकिन ख़ुद को सही किया क्योंकि टॉपली इंग्लैंड के लिए 2015 से सफ़ेद-गेंद क्रिकेट टीमों का हिस्सा रहे हैं और 2016 के टी20 विश्व कप के लिए भारत भी गए थे।

यह साफ़ है कि इंग्लैंड 2019 से पहले के फ़ॉर्म से बहुत दूर है। उस दौरान टीम ने विश्व चैंपियन बनने से पहले चार साल में केवल दो वनडे सीरीज़ हारे थे। हालिया पराजित मैचों के बारे में यही चिंता है कि अगले विश्व कप चक्र में यह इतनी देर से आई हैं कि शायद प्रबंधन के पास इसे बदलने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलेगा। इन गतिविधियों में कोविड का भी हाथ रहा है - 2020 में अलग टीमों को खिलाया गया और 2021 में पाकिस्तान के विरुद्ध सीरीज़ में कुछ संक्रमण के केस के चलते एक अलग ही एकादश का चयन करना पड़ा था। शायद ऐसे मैचों में गेंदबाज़ी में पैनेपन की कमी एक बड़ी ख़तरे की घंटी थी।

शायद यह सारी बातें बहानों से बढ़कर कुछ नहीं लगे। इसके ऊपर आप वनडे क्रिकेट के महत्त्व को लेकर दुनियाभर के विवाद को ही ले लें। ऐसे में शायद बटलर के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही रहेगी। रणनीति और टीम चयन ऐसी बातें हैं जो वक़्त के साथ ठीक बैठ जाएंगी। फ़िलहाल उन्हें ख़ुद को और अपने साथियों को याद दिलाना होगा कि वनडे क्रिकेट अभी भी प्रासंगिक है।

Jos ButtlerEnglandEngland vs South AfricaSouth Africa Women tour of England

विदूशन अहंतराजा ESPNcricinfo में एसोसिएट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo स्‍थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।