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बड़े सितारों की अनुपस्थिति में भारतीय बल्लेबाज़ी के रवैये में आ रहा है बदलाव

नए बल्लेबाज़ 135-140 के स्ट्राइक रेट से 80 बनाने की बजाय 180 के स्ट्राइक रेट से 30 रन बनाकर ख़ुश हैं

विराट कोहली की अनुपस्थिति में दीपक हुड्डा ने सुर्ख़ियां बटोरी हैं  Associated Press

टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी में बदलाव आ रहा है। पेशेवर कुश्ती के गौंटलेट मैच की तरह जहां बड़े सितारे चोट, कार्यभार या टेस्ट मैचों के कारण टीम से बाहर हैं, नए बल्लेबाज़ों ने आकर सटीक टी20 क्रिकेट खेला है। वह पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 135-140 के स्ट्राइक रेट से 80 रन बनाने को नहीं देख रहे हैं बल्कि वह 180 के स्ट्राइक रेट से 30 रन बनाकर ख़ुश हैं।

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साउथैंप्टन में खेले गए टी20 मैच के बाद रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों एक साथ चयन के लिए उपलब्ध होंगे। इस मैच में दीपक हुड्डा, सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या ने अपने स्थानों को बचाए रखने का भरपूर प्रयास किया। वैसे तो हार्दिक के स्थान को कोई ख़तरा नहीं है क्योंकि वह टीम में इकलौते तेज़ गेंदबाज़ी करने वाले ऑलराउंडर हैं।

इन खिलाड़ियों के अलावा भी सभी ने तेज़ी से रन बनाने का कार्य किया। टॉप सात बल्लेबाज़ों में से छह खिलाड़ियों ने पहली पांच गेंदों में कम से कम एक बाउंड्री लगाई। हुड्डा ने पहली तीन गेंदों पर मोईन अली के ख़िलाफ़ दो छक्के लगाकर इंग्लैंड की रणनीति को बिगाड़ने का काम किया। सूर्यकुमार ने पहली गेंद को स्वीप करते हुए चौका लगाया। वह मोईन को किफ़ायती ओवर डालने का मौक़ा ही नहीं दे रहे थे।

अक्षर पटेल ने फिर एक बार यह सुनिश्चित किया कि फ़िनिशर दिनेश कार्तिक सही समय पर क्रीज़ पर आए। इस दौरान अक्षर ने भी अपने हाथ खोले और तीसरी ही गेंद पर चौका लगाया और कुल मिलाकर 142 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाज़ी की।

भारत की पारी का अंत ठीक से नहीं हुआ क्योंकि अंतिम तीन ओवरों में हर्षल पटेल एक छोर पर फंसे रहे लेकिन शुरुआती ओवरों में उनके आक्रामक रवैये के कारण टीम ने 198 रन बनाए। और तो और हर दिन आपका आठवें नंबर का बल्लेबाज़ संघर्ष नहीं करेगा।

अगर विराट कोहली अपने खेलने के अंदाज़ को नहीं बदल पाते हैं तो टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं के लिए समस्या होगी  BCCI

यह अंदाज़ इस टीम के लिए सूर्य की नई किरण है जिसने दिखाया है कि वह इस प्रकार की बल्लेबाज़ी करने का दम-खम रखती है लेकिन इसका उपयोग केवल करो-या-मरो वाले मैचों में किया जाता है। इसी वजह से इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सीरीज़ के पहले मैच में यह अंदाज़ अपनाना और वह भी पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय लेने के बाद, सराहनीय बात है।

भारतीय कप्तान रोहित ने पोस्ट मैच प्रेज़ेंटेशन में माइकल ऐथरटन को कहा, "हमने इस चीज़ (अंदाज़) के बारे में काफ़ी बात की हैं।" ऐथरटन ने पावरप्ले में आक्रामक होने का सवाल पूछा था लेकिन रोहित ने बल्लेबाज़ी के दौरान टीम के नए रवैये की बात की।

रोहित ने कहा, "हम एक निश्चित दृष्टिकोण अपनाना चाहते हैं। यह किसी दिन काम करेगा और कभी नहीं भी लेकिन आपको हमेशा इसे दोहराने के लिए ख़ुद को प्रेरित करना होगा। इसी वजह से यह बहुत कठिन है क्योंकि आप के लिए हर दिन आकर एक ही चीज़ को दोहराना आसान नहीं है।"

उन्होंने आगे कहा, "हमने इस विषय पर बात की हैं और सभी खिलाड़ियों को इस विचारधारा को अपनाना होगा। केवल एक या दो खिलाड़ी नहीं बल्कि पूरे बल्लेबाज़ी क्रम को एकजुट होकर समझना होगा कि टीम किस दिशा में जाना चाहती हैं। मुझे लगता है कि सभी खिलाड़ी एक संदेश को समझ चुके हैं।"

अब एक बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है : अंतिम दो मैचों के लिए विराट कोहली किसकी जगह लेंगे? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोहली एकादश में पहली पसंद के खिलाड़ी नहीं होंगे? यह कहना तो ग़लत होगा कि कोहली के पास टी20 मैचों के लिए सही विचारधारा नहीं है।

वह अवश्य जानते हैं कि उन्हें क्या बदलाव करने हैं और वह इसके लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं, विशेषकर मध्य ओवरों में स्पिन के विरुद्ध। यह दो मैच उनके लिए अहम होंगे।

साथ ही यह पेशेवर कुश्ती नहीं है और ना ही कोहली कोई विलेन है। लोगों का कहना है कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप के लिए टीम में निश्चित होना चाहिए क्योंकि गति और उछाल के विरुद्ध वह पारंगत हैं।

इसके अलावा एक छोटे टूर्नामेंट में उन बल्लेबाज़ों की आवश्यकता होती हैं जो मौजूदा परिस्थितियों में खेलने के पुराने अनुभव को काम पर लगा सकें। अगर कोहली आगामी मैचों में निरंतरता नहीं दर्शा पाते हैं तो टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं के लिए समस्या बढ़ जाएगी।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।