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बुमराह : मैं अपना काम करता रहूंगा, भारत को आगे लेकर जाने का प्रयास करता रहूंगा

भारतीय तेज़ गेंदबाज़ ने शानदार प्रदर्शन के बाद वर्कलोड और पुरानी चोटों को लेकर उठे सवालों को ख़ारिज किया

मांजरेकर: रोमांचक जंग है जारी, बुमराह की वजह से एडवांटेज भारत के पास

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लीड़्स में खेले जा रहे इंग्लैंड vs भारत के पहले टेस्ट के तीसरे दिन का लेखा जोखा संजय मांजरेकर के साथ

जसप्रीत बुमराह ने भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में वहीं से शुरुआत की जहां ऑस्ट्रेलिया दौरे पर छोड़ा था। पहले से ही ऑपरेशन हो चुकी कमर में स्ट्रेस रिएक्शन के बावजूद बुमराह ने गेंदबाज़ी आक्रमण की कमान संभाला और मैच के सबसे ख़तरनाक गेंदबाज़ों में से एक दिखे। जब वह बाहर थे, तब यह चिंता बनी हुई थी कि क्या बुमराह की गेंदबाज़ी का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल किया गया और क्या वह चोट से ठीक से वापसी कर पाएंगे।

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बुमराह ने अपनी मेडिकल स्थिति हमेशा अपने और क़रीबी लोगों तक सीमित रखी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना था कि इस तरह की एक और चोट उनके टेस्ट करियर के लिए अंतिम साबित हो सकती है। इन तमाम अटकलों से बुमराह प्रभावित नहीं हैं। उन्होंने कहा, "मैं इस पर नियंत्रण नहीं रख सकता कि लोग क्या लिखते हैं। न ही मैं किसी को यह सिखाना चाहता हूं कि मेरे बारे में क्या लिखें और क्या नहीं। हर किसी को अपनी बात कहने की आज़ादी है। मैं यह समझता हूं कि हमारे देश में क्रिकेट कितना लोकप्रिय है, और यह भी कि मेरे नाम से हेडलाइन बनाने से व्यूअरशिप बढ़ती है। लेकिन दिन के अंत में, इससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। क्योंकि अगर मैं इन बातों को दिमाग़ में बिठा लूं, तो मैं खु़द उस पर यक़ीन करने लग जाऊंगा। मुझे अपनी सोच और अपने तरीक़ों से आगे बढ़ना है, न कि दूसरों की उम्मीदों से।"

"मैं हमेशा से भारत के लिए खेलना चाहता था। मैंने अपने यक़ीन पर भारत के लिए खेला है। हर फ़ॉर्मेट में खेला है। मुझे हमेशा लोगों से 'ना' ही सुनने को मिला है। पहले कहा गया कि तुम खेल ही नहीं पाओगे, फिर कहा गया कि छह महीने ही चलोगे, फिर आठ महीने… और देखते ही देखते मैंने 10 साल इंटरनेशनल क्रिकेट में बिता दिए। IPL भी 12-13 साल से खेल रहा हूं।"

"अब भी लोग कहते हैं कि ये चोट आख़िरी साबित होगी। वो इंतज़ार करते रहें लेकिन मैं उस बारे में नहीं सोचूंगा। मैं अपना काम करता रहूंगा। हर तीन-चार महीने में कोई नई हेडलाइन आ जाएगी, लेकिन आप देखेंगे कि मैं तब तक खेलता रहूंगा जब तक मेरी तक़दीर में लिखा है। मैं अपनी ओर से पूरी तैयारी करता हूं, बाक़ी भगवान पर छोड़ देता हूं। जो भी बरकत (समृद्धि या कृपा) भगवान ने मुझे दी है, मैं उसे आगे ले जाने की कोशिश करता हूं, और भारतीय क्रिकेट को भी आगे ले जाने की कोशिश करता हूं।"

अपनी पिछली चोट के बाद उन्होंने यह नज़रिया ज़रूर अपनाया है कि खु़द को कितना ज़्यादा पुश करना है, इसकी सीमा तय हो। उन्होंने टीम मैनेजमेंट को पहले ही बता दिया था कि वह इस सीरीज़ के सभी टेस्ट मैच नहीं खेल पाएंगे। यही वजह रही कि उन्होंने कप्तानी से भी इनकार कर दिया

यह पहले ही साफ़ कर दिया गया था कि वह केवल तीन टेस्ट खेलेंगे, तो इस वजह से इन मैचों की अहमियत और बढ़ सकती है, क्योंकि उनके पास खुद को साबित करने के लिए कम मौके़ होंगे। लेकिन बुमराह के लिए ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, "आप ये नहीं सोच सकते कि भविष्य में क्या होने वाला है। जब आप मैदान में होते हैं तो आप अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं। उस वक़्त मैं विकेट को समझने की कोशिश करता हूं। देखता हूं क्या हो रहा है, मेरे पास क्या विकल्प हैं, बल्लेबाज़ कौन है, वह क्या सोच रहा है, मैं उसे कैसे मात दे सकता हूं। मैं इन सब चीज़ों के बारे में उसी पल सोचता हूं। मैं यह नहीं सोच रहा होता कि कितने मैच खेलने हैं या आगे क्या होगा। मेरा पूरा ध्यान इस टेस्ट मैच पर है। जब मैच ख़त्म हो जाएगा, तब बाक़ी समीकरणों के बारे में सोचूंगा।"

उन्होंने कहा कि अपेक्षाएं एक अतिरिक्त बोझ बन सकती हैं जिसे वह ढोना नहीं चाहते। बुमराह ने कहा, "मैं रात को खु़द से एक सवाल पूछता हूं। क्या मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया? अगर जवाब हां होता है, तो मैं शांति से सो जाता हूं।"

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