Features

इंग्लैंड में रोहित शर्मा ने कैसे बदला अपना 'खेल'?

किसी भी आक्रामक बल्लेबाज़ के लिए अपनी शैली में ऐसा 'क्रांतिकारी परिवर्तन' करना कतई भी आसान नहीं है

क्या यह शर्मा जी ही हैं?  AFP/Getty Images

अगर गेंद ऑफ़ स्टंप के बस थोड़ा सा बाहर पिच होती है, तो इसे छोड़ा जाए या खेला जाए, बल्लेबाज़ के लिए यह निर्णय लेना आसान नहीं होता। ऐसी गेंदों को छोड़ना, छक्के मारने जितना ही रोमांचक होता है।

Loading ...

दोनों के लिए आपको बेहतर निर्णायक होने की ज़रूरत होती है। जहां एक से आपको छह रन मिलते हैं, वहीं दूसरे से आप क्रीज़ पर लंबे समय तक टिकना सुनिश्चित करते हैं। इसी तरह अगर आप अंदर की ओर आती गेंदों को सीधे बल्ले से रोकते हैं तो आपको एक अलग सुख का अनुभव मिलता है।

रोहित शर्मा को इंग्लैंड में बल्लेबाज़ी करते हुए देखना ऐसे ही सुख का अनुभव देने वाला था। वह सफ़ेद गेंद के तो मंझे हुए खिलाड़ी हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में ख़ासकर विदेशी ज़मीन पर उन्हें अभी भी अपनी छाप छोड़ने की ज़रूरत थी। जहां रोहित ने घरेलू टेस्ट मैचों में अपने नैसर्गिक आक्रामक तरीक़े से बल्लेबाज़ी की, वहीं इंग्लैंड में उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी में 'क्रांतिकारी परिवर्तन' लाया। उन्होंने बाहर जाती गेंदों को छोड़ने का फैसला किया, जो कि उनके स्वभाव के एकदम विपरीत था और जिसे पहले वह बहुत ही कम किया करते थे।

रोहित शर्मा ने सीरीज़ का रुख़ बदल दिया : लक्ष्मण

'सफ़ेद गेंद से तीन दोहरे शतक लगाने वाले रोहित अब लाल गेंद में भी माहिर'

रोहित ने इसके लिए ख़ुद को चुनौती दी, अलग तरह का तकनीक और खेल अपनाया व सफल भी रहे। उन्हें पता था कि यह दौरा उनके टेस्ट करियर को एक अलग दिशा दे सकता है।

वह इंग्लैंड में बिल्कुल अलग ही बल्लेबाज़ नज़र आए। हालांकि, इसमें सबसे बड़ा जोख़िम यह था कि अगर आप असफल होते हैं, तो दोष आप पर ही आएगा कि आपने क्यों अपना स्वाभाविक आक्रामक खेल छोड़ा। आप ख़ुद भी इसके लिए अपने आप को माफ़ नहीं कर पाते। हालांकि रोहित ने यह जोख़िम लिया और सफल भी हुए।

रोहित शर्मा ने अपनी तकनीक में क़ाबिल-ए-तारीफ़ एडजस्टमेंट किया है : मनिंदर सिंह

'केएल राहुल ने भी इस दौरे पर अपनी प्रतिभा के साथ इंसाफ़ किया'

उन्होंने निर्णय लिया कि जब तक गेंद एकदम से आगे नहीं गिरेगी, वह ड्राइव के लिए नहीं जाएंगे। वहीं जब भी गेंद बाहर गिरेगी, वह उसे छोड़ते जाएंगे और जब गेंद शरीर या स्टंप के क़रीब आएगी तो उसे वह रक्षात्मक तरीक़े से सीधे बल्ले से खेलेंगे। उन्होंने सैम करन और मोईन अली जैसे गेंदबाज़ों को चिन्हित किया ताकि रन भी समय-समय पर आते रहे। पूरे दौरे पर उनका अनुशासन कुछ उसी तरह से था, जो सचिन तेंदुलकर ने 2004 के अपनी 241 रनों की पारी में सिडनी में दिखाया था।

टेस्ट क्रिकेट की ख़ूबसूरती यह है कि आप छोटी-छोटी चीज़ों से मोहब्बत करने लगते हैं - बाहर निकलती गेंदों को छोड़ना या उसे पिच पर ही सीधे बल्ले से रोक देना। मैं यह नहीं कह रहा कि सीमित ओवर की क्रिकेट में यह मजा नहीं है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट अलग ही विधा है और यहां दिखाया हुआ खेल लोगों के दिलों पर अलग ही छाप छोड़ता है। यह बिल्कुल ही आध्यात्मिक है। अगर एक बार आप इसका अनुभव कर लेते हैं, तो इससे अधिक संतुष्टि देने वाला और कुछ नहीं होता।

हम सभी सोच कर आए थे कि लंबी पारी खेलना है : रोहित

'तीसरे दिन भी हम इसे जारी रखेंगे और बड़ा स्कोर बनाएंगे'

इंग्लैंड के इस दौरे पर जो रोहित ने कर दिखाया, वह यह भी संकेत देता है कि सीमित ओवर का सफल क्रिकेटर होने के बावजूद वह क्रिकेट के सबसे लंबे फ़ॉर्मेट में भी अपनी गहरी छाप छोड़ने की इच्छा रखते हैं।

Rohit SharmaIndiaEnglandICC World Test ChampionshipIndia tour of England

आकाश चोपड़ा पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज़ हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के दया सागर ने किया है