प्रसिद्ध कृष्णा की समस्या का समाधान उनके ही पास है
भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जिनके पास टेस्ट क्रिकेट में क़ामयाब होने के सारे गुण हैं, वह फ़िलहाल अपने नियंत्रण पर काम कर रहे हैं
How might India shape their attack for second Test?
Sid Monga wants to see India go with the more aggressive bowling options at Edgbaston after being unable to take 20 wickets in the first Testलीड्स पर , प्रसिद्ध कृष्णा टेस्ट इतिहास के ऐसे पहले गेंदबाज़ बन गए थे जिसने अपनी दोनों पारियों (कम से कम 15 ओवर) में छह से ज़्यादा की इकॉनमी से रन ख़र्च किए हों। भारत की तरफ़ से भी वह एक टेस्ट में सबसे महंगी इकॉनमी से रन देने वाले गेंदबाज़ बन गए। यह सब एक ऐसे मैच में हुआ जहां भारत के नाम एक और भूल जाने वाला कीर्तिमान जुड़ गया, प्रथम श्रेणी मुक़ाबले में पांच शतक लगाने के बावजूद हार झेलने वाली भारत पहली टीम बन गई।
लीड्स में प्रसिद्ध को उनके मनमुताबिक़ नतीजा क्यों नहीं मिला, यह जानना ज़्यादा मुश्किल नहीं है। पहली पारी में उन्होंने महज़ 24 गेंद ही 6-8 मीटर वाले गुड लेंथ बैंड पर डाली, जबकि जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज हर पांच में से एक गेंद गुड लेंथ बैंड पर डाल रहे थे। दोनों ही गेंदबाज़ों ने अपनी आधी गेंदें गुड लेंथ पर ही डाली। जब वह गुड लेंथ पर डाल रहे थे तो उनकी इकॉनमी 3.75 की थी।
इसके बाद भी उन्होंने शॉर्ट ऑफ़ गुड लेंथ पर ही डाली : 51 गेंदें जो उन्होंने 8-10 मीटर वाले बैंड पर डाली उसमें उन्होंने 53 रन ख़र्च किए और एक विकेट हासिल किया। जबकि 10-12 मीटर बैंड पर प्रसिद्ध ने 17 गेंदें फेंकी और इस दौरान उन्होंने 34 रन भी लुटाए और विकेट के लिए भी तरसते रहे। यह गेंदें सीमित ओवर क्रिकेट में देखने को मिलती हैं जब प्रसिद्ध फैली हुई फ़ील्ड में डिफ़ेंसिव रवैये से गेंदबाज़ी करते हैं। लेकिन लीड्स पर इन गेंदों पर बल्लेबाज़ों का प्रहार जारी था, इसके अलावा जो उन्होंने शॉर्ट ऑफ़ लेंथ भी डाली वह भी वैसी नहीं थी जो एक गेंदबाज़ को करना चाहिए। उनकी गेंद कंधों के पास नहीं पहुंच रही थी, लेकिन जैसे ही वह एक आदर्श बाउंसर डाल रहे थे, जो 12-14 मीटर बैंड पर थी, वहां नतीजे प्रसिद्ध के पक्ष में गए : उन्होंने 11 गेंदों पर दो जमे हुए बल्लेबाज़ों को पवेलियन की राह दिखाई।
यह पढ़कर और जानकर हताशा हाथ लगती है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि प्रसिद्ध के पास वह सारी प्रतिभाएं मौजूद हैं जो उन्हें एक आदर्श टेस्ट गेंदबाज़ बना सकती हैं। भारतीय गेंदबाज़ों में उनका रिलीज़ प्वाइंट सबसे ऊंचा है, जो उन्हें उछाल के साथ-साथ बेहतर सीम मूवमेंट भी प्रदान करता है। हां, उनकी रफ़्तार भले ही ख़तरनाक न हो लेकिन उनकी औसत रफ़्तार 136.54 की है जो उन्हें घातक बना सकती है। हालांकि एक समय उन्होंने 147.46 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से भी गेंद डाली थी।
प्रसिद्ध दूसरी पारी में ज़रूर कुछ बेहतर दिखे थे, उन्होंने अपनी आधी गेंदें 6-8 मीटर वाले बैंड पर डालीं थी और उन्हें इन गेंदों पर 4.93 की इकॉनमी से एक विकेट मिला था। पहली पारी की तुलना में प्रसिद्ध दूसरी पारी में ज़्यादा घातक दिखे थे, लेकिन तब तक पिच में जान नहीं बची थी और न ही वह टूट रही थी। लेकिन फिर भी प्रसिद्ध को रन न लुटाने का एक रास्ता खोजना ही होगा। फिर चाहे वह अपनी लाइन या लेंथ में सुधार करना हो या फिर अलग-अलग बल्लेबाज़ों के लिए अलग-अलग रणनीति के साथ गेंदें डालना हो।
हमें यह याद रखना चाहिए कि यह उनका सिर्फ़ चौथा टेस्ट था लेकिन फिर भी यह बहाना नहीं हो सकता। प्रसिद्ध भी इस बात को जानते हैं और उन्होंने कहा, "अगर मैं पहली पारी को देखूं, तो मैं ज़्यादा छोटी गेंदें डाल रहा था। 6-8 मीटर का बैंड आदर्श होता है, मैं यही कह सकता हूं। हालांकि दूसरी पारी में मैं थोड़ा बेहतर था, लेकिन तब विकेट धीमी हो चुकी थी इसलिए मुझे कुछ गेंदें थोड़ी पीछे डालनी पड़ी। तो हां यह सच है कि मैं उस लेंथ पर गेंदबाज़ी नहीं कर रहा था जहां मुझे करनी चाहिए थी।"
इसके अलावा भी वहां कुछ और चीज़ें थीं जिससे गेंदबाज़ों को मुश्किलें हो रही थी। प्रसिद्ध ने आगे कहा, "वहां एक तरफ़ स्लोप [ढाल] था, और सच कहूं तो इसमें ख़ुद को ढाल पाने में मुझे काफ़ी समय लग गया। मुझे एक पेशेवर खिलाड़ी के तौर पर हालातों में जल्दी ही ढल जाना चाहिए था, मैं इसकी पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूं। उम्मीद है कि मैं अगली बार यहां बेहतर करूंगा।"
नेट्स पर भी यह देखने को मिला कि गेंदबाज़ी कोच मोर्ने मॉर्केल और प्रसिद्ध आपस में बातचीत कर रहे थे, और मॉर्केल उन्हें समझा रहे थे कि सही लाइन और लेंथ क्या होनी चाहिए। प्रसिद्ध भी गेंद को ऊपर रखते हुए अपनी लेंथ को सही करने पर काम कर रहे थे। एक और लंबे क़द के तेज़ गेंदबाज़ इशांत शर्मा के साथ भी ऐसी ही समस्या हुई थी जिसे उन्होंने बाद में ससेक्स के लिए खेलते हुए कोच जेसन गिलेस्पी के साथ मिलकर दुरुस्त किया। गिलेस्पी ने इशांत को समझाया था कि पारंपरिक अभ्यास से अलग हटकर वह पिच के बारे में न सोचें बल्कि बल्लेबाज़ों के घुटने के पास [नी रॉल] पैड्स पर निशाना लगाएं।
यह एक ऐसा प्रोसेस है जो चलता रहेगा, लेकिन इकॉनमी इसी तरह बढ़ती रही तो प्रसिद्ध के लिए सही नहीं होगा। प्रसिद्ध को कोई रास्ता निकालना होगा कि कैसे रनों पर अंकुश लगाया जा सके। प्रसिद्ध ने कहा कि इस मैच को लेकर उन्होंने कई लोगों से बात की है और वह पूरी कोसिश करेंगे कि इसपर नियंत्रण लाया जा सके। उन्होंने कहा, "मैं पूरी कोशिश करूंगा कि अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकूं, मुझे लगता है मैं सीख भी रहा हूं। अब यह मुझपर है कि इससे कैसे उबरता हूं और मैं यही कोशिश कर रहा हूं।"
कोच गौतम गंभीर ने भी प्रसिद्ध का समर्थन किया है, लीड्स में हार के बाद उन्होंने कहा था कि प्रसिद्ध में अनुभव की कमी है लेकिन उनमें वह सारी क़ाबिलियत मौजूद है जो उन्हें टेस्ट का बेहतरीन गेंदबाज़ बना सकती है। हालांकि यह चुनौती आसान नहीं होने वाली : बैज़बॉल पिच सपाट ही मिलने वाली हैं, और अगर बुमराह भी किसी दो टेस्ट में नहीं रहते हैं तो फिर दिक़्क़तें बढ़ने ही वाली हैं। ऐसे में प्रसिद्ध पर ही निर्भर है कि वह कैसे अपनी समस्या का समाधान तलाशते हैं और कितने जल्दी।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में वरिष्ठ लेखक हैं।
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.