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सिराज के स्पेल की कहानी : उच्च तीव्रता, कम इनाम, बड़ा प्रभाव

वह बल्ले को बीट कर रहे हैं, धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं और साबित कर रहे हैं कि प्रभाव हमेशा विकेटों से नहीं मापा जाता

Siraj: Been bowling well, but luck hasn't been with me

Siraj: Been bowling well, but luck hasn't been with me

The India seamer gives updates on his rhythm and the lower order wanting to contribute with the bat in away Tests

2020 के बॉक्सिंग डे टेस्ट में मोहम्मद सिराज के पदार्पण के बाद से, केवल पैट कमिंस और मिचेल स्टार्क ही विशेषज्ञ तेज़ गेंदबाज़ के रूप में उनके 39 टेस्ट मैचों से ज़्यादा टेस्ट मैच खेल पाए हैं। केवल कमिंस, स्टार्क, जसप्रीत बुमराह और कगिसो रबाडा ने ही उनके 113 विकेटों से ज़्यादा विकेट लिए हैं।

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हालांकि, उनके बारे में उतनी चर्चा नहीं होती। इसकी एक वजह यह है कि इस बीच में शीर्ष पांच तेज़ गेंदबाज़ों में 30 से ज़्यादा औसत वाले गेंदबाज़ों में वह अकेले हैं। 2024-25 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में सिराज अच्छे दिखे, लेकिन तेज़ गेंदबाज़ी के अनुकूल परिस्थितियों में उनकी औसत 31.15 रहा। जहां पर बुमराह, जॉश हेज़लवुड और स्कॉट बोलैंड की औसत केवल 13 से ज़्यादा थी।

सही मायनों में केवल गेंदबाज़ी औसत ही सिराज की गेंदबाज़ी को पूरी तरह से नहीं दर्शाता। सिराज ने जितने भी टेस्ट मैच खेले हैं, उनमें तेज़ गेंदबाज़ी में उन्होंने 28.29 की औसत से विकेट लिए हैं, जो उनके 30.88 के औसत को थोड़ा बढ़ा देता है। इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत से ही उन्हें ज़्यादा क़‍िस्मत का साथ नहीं मिला है।

विकेटों के अलावा, उनके आंकड़े एक बेहतरीन टेस्ट गेंदबाज़ की ओर इशारा करते हैं। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी में सिराज ने हर चार गेंदों पर एक ग़लत शॉट खिलवाया, जो कि काफ़ी अच्छा है, लेकिन उन्हें लगभग हर दस गेंदों पर एक विकेट मिला, जबकि दूसरे गेंदबाज़ हर आठ गेंदों पर ऐसा कर रहे थे। उनकी गति कम नहीं होती, उनके पास आउटस्विंग और वॉबल सीम डिलीवरी का मिश्रण है, वह गुड लेंथ पर गेंदें डालते रहते हैं, लेकिन वह बुमराह नहीं हैं, जो अपनी इच्छानुसार विकेट निकाल लेते हैं।

सिराज के लिए यह क़‍िस्मत के साथ देने का इंतज़ार करने जैसा है। उन्हें पता है कि इन दो सीरीज़ में उन्हें क़‍िस्मत का पूरा साथ नहीं मिला है। उन्होंने कहा, "मैं बहुत अच्छी गेंदबाज़ी कर रहा हूं, लेकिन क़‍िस्मत मेरे साथ ज़्यादा नहीं रही है।" उन्होंने आगे कहा, "एक गेंदबाज़ होने के तौर पर मैं हर बार जब भी अच्छी गेंदबाज़ी करता हूं, विकेट चाहता हूं, लेकिन आपको खुद से कहना होगा कि अगर इस मैच में नहीं, तो अगले मैच में ज़रूर विकेट मिलेंगे।"

"ऊपर वाला भी देख रहा है। अगर उसने मुझे यहां तक पहुंचाया है, तो आगे भी ले जाएगा। अगर विकेट नहीं मिले तो इतना परेशान मत हो। पिछले मैच में भी, जब मैंने जो रूट को बीट किया, बल्‍ले के किनारे से गेंद निकाली, सब कुछ किया, लेकिन बस एक ही चीज़ की कमी थी, वह था उसका विकेट, जो मुझे नहीं मिला। लेकिन मुझे खु़द से कहना होगा कि इसे आसान रखो और अच्छी गेंदें फ़ेंकते रहो और फ‍िर परिणाम ज़रूर आएंगे।"

चौथे दिन रूट के ख़‍िलाफ़ उस स्पेल में सिराज ने 23 गेंदों में नौ ग़लत शॉट खिलाए। उनसे पूछा गया कि क्या वह अपने विकेटों को देखकर सोचते हैं कि क्या उन्हें बदलाव करने की ज़रूरत है और शायद थोड़ी फु़लर या सीधी गेंदें डालनी चाहिए, क्योंकि जब आपको नतीज़ों के आधार पर आंका जाता है, तो आप बेचैन हो सकते हैं।

इस मामले में वह बुमराह से काफ़ी मेल ख़ाते हैं। उन्होंने कहा, "अगर मैं ज़ोर लगाकर डालूंगा, तो रन लुटा दूंगा। मेरी योजना लगातार अच्छा प्रदर्शन करने और अच्‍छी जगह में गेंद डालते रहने की है। अगर मुझे विकेट लेने हैं, तो मैं वहीं से लूंगा। अगर मैं सिर्फ़ दबाव बनाने की कोशिश करूंगा, तो इससे हमें दूसरे छोर से विकेट मिल सकते हैं। इसलिए उस समय मेरा ध्यान विकेटों की ओर नहीं जाता।"

सिराज के कार्यभार का प्रबंधन न कर पाने के बारे में भी कुछ कहा जा सकता है क्योंकि उनके आस-पास के अन्य गेंदबाज़ों को हमेशा बदल दिया जाता है। हालांकि यह सिराज के दिल की बात है, कभी-कभी एक ब्रेक क़माल कर सकता है, लेकिन उनके पास वह सुविधा नहीं है। सिराज ने कहा, "मैं भगवान का शुक्रगुज़ार हूं कि उन्होंने मुझे स्वस्थ रखा है। कार्यभार एक बात है और यह नियमानुसार लिखा है कि सिराज ने इतने ओवर फ़ेंके हैं, लेकिन मेरे लिए यह बस एक और मौक़ा है। मैं अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं और देश के लिए मैच जिताने में मदद करना चाहता हूं।"

"मैं जितने ज़्यादा मैच खेल सकता हूं, खेलना चाहता हूं और बस अपना 100 प्रतिशत देना चाहता हूं। जब मैं मैदान पर उतरूं, तो मुझे ऐसा नहीं लगना चाहिए कि मैं और ज़्यादा कर सकता था, चाहे नतीज़ें कुछ भी हों।"

सिराज अपनी बल्लेबाज़ी को लेकर कम दार्शनिक हैं। लॉर्ड्स में आख़‍िरी बल्लेबाज़ के तौर पर उन्होंने 64 मिनट तक बल्लेबाज़ी की और रवींद्र जाडेजा के साथ 23 रन जोड़कर भारत को लक्ष्य से 22 रन के अंदर पहुंचा दिया। उनके आउट होने से इस सीरीज़ की सबसे यादगार तस्वीर उभरी : वह अपने घुटनों के बल बैठे हुए थे, क्‍योंकि बैकफु़ट डिफ़ेंस में थोड़ा सा उलझने के बाद बोल्ड हो गए थे और इंग्लैंड के खिलाड़ी जश्न मनाते हुए उन्हें उठाने की कोशिश कर रहे थे।

सिराज ने कहा, "गेंद को मिडिल करने के बाद आउट होना, ख़राब लगता है। जिस तरह से हम बल्लेबाज़ी कर रहे थे, मुझे कभी नहीं लगा कि मैं आउट हो सकता हूं। वहां बल्लेबाज़ी करने से मुझे इतना आत्मविश्वास था कि मैं तभी आउट हो सकता हूं जब मैं कोई ग़लती करूं। दुर्भाग्य से, मैं गेंद को मिडिल करने के बाद भी आउट हो गया। यह दिल तोड़ देने वाला लम्‍हा था।"

जब सिराज से पूछा गया कि दिल टूटने का दर्द उनके साथ कितने समय तक रहा, तो उन्होंने कहा, "काफ़ी समय तक। मुझे याद है 2021 में लॉर्ड्स में मैंने आखिरी विकेट लिया था। तब मैं इसी स्थिति में था। मैं बहुत भावुक इंसान हूं। जड्डू भाई ने खूब संघर्ष किया, जस्सी भाई ने भी 54 गेंदों तक संघर्ष किया, लेकिन आख़‍िरकार इतनी मेहनत के बाद भी हम हार गए।"

"एक समय तो ऐसा लग रहा था कि हम 80 रनों से हार जाएंगे। फिर हमने कड़ी टक्कर दी। हम चायकाल के बाद भी मैच को ले गए। इससे ज़्यादा दुख होता है। अगर हम 80 रनों से हार जाते, तो कोई बात नहीं थी। इतने क़रीब पहुंचकर हारना दिल तोड़ने वाला है। लेकिन कुछ देर बाद मैंने खु़द से कहा कि सीरीज़ अभी ख़त्म नहीं हुई है। अभी दो टेस्ट और बाक़ी हैं। ये मैच मज़ेदार होंगे।"

सिराज इस सीरीज़ में अब तक सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं, लेकिन उनकी औसत अभी भी 32 की है, जो इंग्लैंड के सभी मुख्य तेज़ गेंदबाज़ों से बेहतर है, लेकिन बुमराह और आकाश दीप जितनी अच्छी नहीं है। अगर वह इस स्थिति को पलटकर बाक़ी मैचों में मैच में निर्णायक योगदान दे सकें और सिर्फ़ दूसरों की प्रशंसा करने वाले गेंदबाज़ से बढ़कर कुछ कर सकें, तो यह कितना फ़ायदेमंद होगा। विकेटों के मामले में उन्हें अभी बहुत कुछ कॉलम भरने हैं।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में वरिष्‍ठ लेखक हैं।