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उतार-चढ़ाव से भरा उमेश यादव का दशक

वह भारत के सबसे तेज़ गेंदबाज़ के रूप में टीम में आए थे पर अब एकादश में जगह बनाने के लिए संघर्ष करते हैं

मुझे भरोसा है कि हम बड़ा स्कोर बनाएंगे: उमेश यादव

मुझे भरोसा है कि हम बड़ा स्कोर बनाएंगे: उमेश यादव

'विकेट से जब मदद न मिले तो आपको कुछ अलग करना होता है'

नवंबर में उमेश यादव टेस्ट क्रिकेट में 10 साल पूरे करने जा रहे हैं। रविचंद्रन अश्विन और इशांत शर्मा उस समय भी टीम का हिस्सा थे और आज भी टीम का हिस्सा हैं। इन दोनों के विपरित यादव की गेंदबाज़ी में आपको वह समान निरंतरता नज़र नहीं आती। यही कारण है कि वह लगातार भारतीय टेस्ट दल में रहने के बावजूद शुरुआती एकादश में अपनी जगह नहीं बना पाते हैं।

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2011 में यादव जब पहली बार टीम का हिस्सा बने थे तब ऐसा लगा जैसे पिछले दशक के तेज़ गेंदबाज़ आशीष नेहरा, ज़हीर ख़ान, इरफ़ान पठान और आरपी सिंह की सूची में एक और तगड़ा तेज़ गेंदबाज़ शामिल हो गया है। बढ़-चढ़कर कहा जा रहा था कि यादव भारत के सबसे तेज़ गेंदबाज़ हैं। वह इसलिए क्योंकि इससे पहले भारत के पास गिने चुने ऐसे गेंदबाज़ आए थे जो लगातार तेज़ गति से गेंदबाज़ी करने में सक्षम थे। साथ ही उनकी कहानी उतार चढ़ावों से भरी हुई थी - मुश्किल बचपन, टेनिस बॉल क्रिकेट, अच्छी लय पकड़ना, पीठ की चोट, दमदार वापसी।

इन दिनों भारत में तेज़ गेंदबाज़ों की कमी नहीं है जिस वजह से टीम अधिक मज़बूत हो गई है। अगर मोहम्मद सिराज 2000 के दशक में खेल रहे होते तो शायद उन्हें अपना 38वां प्रथम श्रेणी मैच खेलने से पहले ही भारत के लिए डेब्यू करने का मौक़ा मिल जाता। यादव ने उन मुश्किल दिनों में क्रिकेट में कदम रखा था और टीम का अहम हिस्सा थे। हालांकि टीम में उनकी भूमिका थोड़ी कम हो गई हैं, पहली पारी में उन्होंने दिखाया की उनमें विकेटों की भूख अभी बाक़ी है।

यादव भारत की ओर से पहली पारी में सबसे सफल गेंदबाज़ बनकर उभरे। कई मौक़ो पर उन्होंने रन भी लुटाए। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के दिनों में यादव की बहुत आलोचना हुई थी क्योंकि वह और उनके साथी तेज़ गेंदबाज़ विदेशी दौरों पर विकेट चटकाने में असफल थे। यह नाइंसाफ़ी थी क्योंकि यादव ने आंकड़े इतने बुरे भी नहीं थे। यादव ने विदेशी सरज़मीं पर अपने पहले सात टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया में खेले जहां तेज़ गेंदबाज़ों को लय पकड़ने में परेशानी होती है। उस समय युवा थे और उनका आक्रमण ज़्यादा मज़बूत नहीं था।

2019 की शुरुआत से भारत ने विदेशी दौरों पर कुल 13 टेस्ट मैच खेले है और यादव केवल चौथी बार टीम में खेल रहे हैं। ख़ास बात तो यह है कि 2014 से अब तक भारत ने तीन बार पांच-पांच मैचों की सीरीज़ के लिए इंग्लैंड का दौरा किया है और यादव के लिए यह इस देश में मात्र दूसरा टेस्ट मैच हैं।

हम सब जानते हैं कि यादव को "होम-स्पेशलिस्ट" कहा जाता है जो एक तेज़ गेंदबाज़ के लिए थोड़ा विचित्र हैं। आम तौर पर स्पिनरों को इस तरह से देखा जाता है। इंग्लैंड ने हाल के दिनों में जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड को उस नज़र से देखना शुरू किया है। माना जाता है कि अगर आप उच्च स्तर के तेज़ गेंदबाज़ हो तो आप किसी भी परिस्थिति में खेल सकते हो। यादव हमेशा भारतीय दल का हिस्सा रहे हैं लेकिन उन्हें विदेशों में टेस्ट मैच खेलने का मौक़ा कम ही मिला है। 10 साल बाद ऐसा लग सकता है कि यादव वक्त के साथ ख़ुद को बेहतर बनाने में नाकाम रहे, लेकिन उन्होंने माना है कि अगर आपको खेलने का मौक़ा ही ना मिले तो आप आसानी से ख़ुद को बेहतर नहीं बना सकते है।

जो रूट को आउट करने के बाद उत्साहित उमेश यादव  AFP/Getty Images

अपने करियर की तरह दूसरे दिन भी यादव ने बीच-बीच में कमाल का प्रदर्शन किया। जो रूट और डाविड मलान को आउट करते हुए उन्होंने टीम को बढ़िया स्थिति में पहुंचाया। लेकिन लंच के बाद वह एक अलग ही गेंदबाज़ नज़र आए। उन्होंने अपनी लाइन और लेंथ पकड़ने में संघर्ष किया और चौके खर्च किए। वह फ़ुल गेंदों से बल्लेबाज़ों को परेशान करने की कोशिश करते हैं जिससे हर ओवर में एक ख़राब गेंद डल जाती है और सारा प्रेशर कम हो जाता है।

यादव के डेब्यू टेस्ट मैच के बाद से भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने 55 बार एक पारी में (कम से कम 10 ओवर डालने के बाद) चार रन प्रति ओवर से ज़्यादा रन लुटाए हैं। उनमें से 17 बार यादव ने यह कारनामा किया है और 13 बार घर से बाहर खेलते हुए। उनके बचाव में उन्होंने 2016 के बाद से केवल चार बार इतनी महंगी इकॉनमी से गेंदबाज़ी की है। इस दौरान वह और परिपक्व हो गए है लेकिन उनके द्वारा घर से बाहर खेले गए टेस्ट मैचों की संख्या भी कम होती चली गई है।

यादव के डेब्यू के बाद से 25 गेंदबाज़ों ने 150 से अधिक विकेट लिए है। केवल छह गेंदबाज़ों का स्ट्राइक रेट यादव से बेहतर है और सिर्फ़ एक गेंदबाज़ की इकॉनमी उनसे ख़राब। यह दर्शाता है कि विकेट लेने के साथ-साथ यादव कई मौक़ों पर महंगे साबित हुए हैं।

यादव का करियर कुछ ऐसा ही रहा है। शायद वह विकेट लेने और रन बचाने की नावों में एक साथ सफ़र करने के प्रयास में ठीक से किसी एक मंजिल तक पहुंच नहीं पाए। 2011 में अगर आप कहते कि वह 50 टेस्ट खेलेंगे और 150 से ज़्यादा विकेट लेंगे तो आप ख़ुशी ख़ुशी उसे स्वीकार करते क्योंकि तब कपिल देव, जवागल श्रीनाथ और ज़हीर ख़ान के नाम उससे ज़्यादा विकेट थे। लेकिन जब आप करियर के तीसरे भाग में इशांत शर्मा की परिपक्वता, मोहम्मद शमी के आगमन, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के भविष्य की ओर नज़र करते है, तब आप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या यादव सच में अपनी क़ाबिलियत पर खरे उतरे हैं या हमें उनसे और उम्मीदें रखनी चाहिए।

Umesh YadavIndiaEngland vs IndiaICC World Test ChampionshipIndia tour of England

उस्मान समिउद्दीन ESPNcricinfo में सीनियर एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।