Features

चेतेश्वर पुजारा का फॉर्म में वापस आना भारतीय टीम के लिए राहत भरी बात

अब यह देखना है कि पुजारा इस प्रदर्शन को निरंतरता में बदलते हैं या नहीं

पुजारा-रोहित के पॉज़िटिव अप्रोच ने भारत की उम्मीद जगा दी: मनिंदर सिंह

पुजारा-रोहित के पॉज़िटिव अप्रोच ने भारत की उम्मीद जगा दी: मनिंदर सिंह

हेडिंग्ले टेस्ट के तीसरा दिन रहा भारतीय बल्लेबाज़ों के नाम

ऐसा तब होता है जब आप कुछ मज़बूत इरादा दिखाते हैं और दबाव को वापस गेंदबाज़ों पर स्थानांतरित हो जाता है। आस-पास के कैचिंग फील्डर को हटा दिए जाते हैं। सिंग्लस आसानी से मिलने लगते हैं। अच्छी गेंदें कम खतरनाक हो जाती हैं, और आप स्कोरिंग दर को बनाए रखते हुए अपने साथी बल्लेबाज़ की मदद भी करते हैं। जब स्कोर बोर्ड चलता रहता है तो अगला आने वाला बल्लेबाज़ आत्मविश्वास के साथ मैदान पर आता है, भले ही आप आउट हो जाएं।

Loading ...

नहीं, क्षमा करें, यह लेख उस तरीके से आगे नहीं बढ़ेगा, जैसा कि आपने अभी पढ़ा। यह उल्टे क्रम में घटनाओं का विवरण है। हेडिंग्ले में इसके विपरीत हुआ। खराब फॉर्म में चल रहे चेतेश्वर पुजारा को पहली 13 गेंदों का सामना करते हुए, उन्हें लेग स्टंप पर तीन हाफ़ वॉली गेंदें मिली, और उन तीनों गेंदों पर उन्होंने आसानी से चौका बटोरा। क्रिकइन्फो लॉग्स के अनुसार, उन्होंने आख़िरी बार विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फ़ाइनल के दौरान लेग स्टंप पर हाफ़-वॉली गेंद का सामना किया था, और इससे पहले सिडनी में कुछ चुनौतीपूर्ण गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ 150 गेंदों का सामना करने के बाद इस तरह के गेंदों का सामना करने का मौका मिला था।

पुजारा उस तरीके से रन नहीं बना रहे हैं जिसकी उम्मीद आप टेस्ट में एक नंबर 3 बल्लेबाज़ से करते हैं। जनवरी 2019 में ऑस्ट्रेलिया में अपने पिछले टेस्ट शतक और इस टेस्ट की शुरुआत के बीच पुजारा का औसत 28.03 रहा था।

पुजारा ऑस्ट्रेलियाई दौरे से ही कुछ ऐसी गेंदों का सामना कर रहे थे जो उस श्रृंखला के सबसे अच्छे गेंदों मेंं से एक था। वो लगातार अच्छे गेंदों पर आउट हो रहे थे। ट्रेंटब्रिज में जेम्स एंडरसन के जिस गेंद पर वह आउट हुए वो भी शायद मौजूदा सीरीज़ के सबसे बेहतरीन गेंदों में से एक थी। ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद, टप्पा खाने के बाद अंदर आते हुए, जो उनको खेलने के लिए मज़बूर रही थी और उसके बाद एक ऐसी गेंद जो बाहर की तरफ जा रही हो।

दूसरी पारी के दौरान फ्लिक करते हुए पुजारा  Getty Images

इससे भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं हैं। लॉर्ड्स में उन्होंने अपने शरीर से बाहर गेंद को पुश किया और गेंद बल्ले का एज लेकर स्लिप के हाथों में चली गई, पुजारा काफ़ी कम बार ऐसी शॉट्स खेलते हैं। पहले पारी में भी वो गेंद के मूवमेंट के साथ, अपने बल्ले को उसी दिशा में लेकर गए और फिर से बाहरी किनारा लगा। इससे पहले भी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में कुछ इसी तरीके की शॉट खेल कर आउट हो गए थे और कहीं ना कहीं यह उनके एक खराब आदतों में शुमार हो रही थी जिसके कारण वो बार-बार पवेलियन वापस लौट जा रहे थे।

हालांकि हेंडिंग्ले में दूसरी पारी के दौरान उनके इस बुरी आदत की तरह गेंदबाज़ों का ध्यान नहीं गया और उस तरीके से गेंदबाज़ी भी नहीं की गई। पुजारा का स्ट्राइक रेट शायद टेस्ट गेंदबाज़ी की गुणवत्ता का सबसे शुद्ध पैमाना है। क्योंकि वह अच्छी गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ पलटवार नहीं करते हैं और न ही अनुचित जोख़िम उठाते हैं। जब उन्हें खराब गेंदें मिलती है तो उस पर वह रन बटोरने का प्रयास करते हैं। हालांकि दूसरी पारी में पुजारा ने रोहित शर्मा और विराट कोहली के साथ जो साझेदारी की उसमें ज़्यादा रन बनाने वाले पार्टनर पुजारा ही थे। अमूमन उनको इतनी कमजोर गेंदें नहीं मिलती हैं, जितना उन्हें कल मिला और उन गेंदों का पुजारा ने बख़ूबी फ़ायदा उठाया। ज़्यादातर तेज़ गेंदबाज़ों की योजना पुजारा के स्टंप पर हमला करना था। गेंदबाज़ लगातार मिडिल और लेग स्टंप पर गेंदबाज़ी करते रहे। कुल मिला कर इंग्लैंड के गेंदबाज़ ज़्यादा आक्रमकता के साथ गेंदबाज़ी कर रहे थे। ऐसा शायद इसलिए था क्योंकि पिच गेंदबाज़ों के लिए उस तरीके सहायक नहीं थी जैसा पहले दिन थी।

क्रिकइन्फो लॉग्स के अनुसार, एंडरसन ने इंग्लैंड में एक भी पारी में कभी भी स्टंप्स पर या लेग साइड में एक बल्लेबाज़ को इतनी ज़्यादा गेंदें नहीं फेंकी थी। पुजारा ने भी मिडविकेट से लेकर फाइन लेग तक के क्षेत्र में कभी इतने अधिक चौके नहीं लगाए हैं। कल की पारी में 8 चौके शामिल थे जो इस दिशा में लगाए गए थे। एशिया के बाहर उन्होंने इससे पहले एक पारी में मिडि विकेट और फ़ाइन लेग के बीच सबसे ज़्यादा 4 चौके लगाए थे।

ऐसा लग सकता है कि ये आंकड़े पुजारा की पारी को पूरा सम्मान नहीं दे रहे हैं। ऐसा नहीं है। अगर गेंदबाज़ों ने फुलर लेंथ की बोलिंग की तो पुजारा ने बढ़िया फ्लिक औक ड्राइव लगाए। अगर उन्होंने शॉर्ट पिच गेंदे की तो पुजारा ने कट या पुल शॉट लगाया। अगर किसी गेंदबाज़ नहीं बढ़िया गेंदे की तो पुजारा ने उस गेंद को पूरा सम्मान दिया और ऐसा उन्होंने अपने पूरे करियर में किया है।

यह पारी एक उदाहरण था कि कुछ साल पहले जब कभी भी एक सीरीज़ के दौरान बल्लेबाज़ों के लिए सहायक पिचों पर या फिर एक कमजोर गेंदबाज़ी के सामने टेस्ट क्रिकेट कैसा हुआ करता था। बल्लेबाज़ों को कुछ राहत मिलती थी। कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि ये ऐसे मैच थे जिन्होंने संघर्षरत बल्लेबाज़ों को वापस फॉर्म में आने का भरपूर मौका देते थे। दूसरी पारी में हेडिंग्ले एक दुर्लभ सपाट पिच की तरह आचरण कर रही थी और गेंदबाज़ी भी थोड़ी आसान थी। आज टेस्ट क्रिकेट में, खासकर भारत, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों के ख़िलाफ़ आपको ऐसी कोई पारी देखने को नहीं मिलती है।

अगर कोई खिलाड़ी पुजारा के साथ बीच मैदान पर बल्लेबाज़ी कर रहा है तो उसे पता होना चाहिए कि पुजारा कमजोर गेंदो का इंतजार कर रहे हैं। रोहित शर्मा की एक टेस्ट ओपनर के तौर पर वापसी भी किसी बड़े रहस्य से कम नहीं है। तीसरे दिन के के अंत में रोहित ने जिस तरीके से 50 रन बनाया, एक अनुशासन भरे पारी का बेहतरीन नमूना था। उन्होंने एक ओपनर के तौर पर किए गए बदलावों के बारे में बात किया।

अपनी साझेदारी के दौरान विकेटों के बीच दौड़ लगाते हुए पुजारा और रोहित  Getty Images

रोहित ने कहा, 'जब मैंने ओपनिंग शुरू की तो मुझे पता था कि इन हालात में क्या चुनौतियां हैं। "इसे ध्यान में रखते हुए, मैंने अपने खेल में कुछ बदलाव किए। मुझे पता है कि रन सबसे महत्वपूर्ण हैं लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण था कि मैं इन परिस्थितियों में बीच पिच पर समय बिताऊं।"

"जितना अधिक समय आप पिच पर बिताते हैं, बल्लेबाज़ी उतनी आसान लगने लगती है। एक बात यह भी है कि उनके गेंदबाज़ बहुत अनुशासित होते हैं। वे पूरे दिन एक ही स्थान पर गेंदबाज़ी करते रहते हैं। वे अपनी जगह नहीं छोड़ते हैं। मैं भी अपने शॉट खेलना चाहता हूं, लेकिन मौका नहीं मिलता क्योंकि वो सटीक लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाज़ी करते रहते हैं और उसका सम्मान करना जरूरी है।"

अगर रोहित इस सीरीज में 39.45 के स्ट्राइक रेट से चल रहे हैं - और अगर आप ऑस्ट्रेलिया में दो टेस्ट जोड़ते हैं तो यह 42.08 का स्ट्राइक रेट हो जाएगा। इस साफ हो जाता है कि तेज रन बनाना कितना मुश्किल है। पुजारा ने दूसरी पारी के लिए बाहर जाने से पहले कुछ जादुई बक्शा नहीं खोला , लेकिन उनके ख़िलाफ़ जो कमजोर गेंदबाज़ी हुई, उससे उनको फ़ायदा मिला।

Rohit SharmaCheteshwar PujaraIndiaEnglandEngland vs IndiaICC World Test ChampionshipIndia tour of England

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।