टेस्ट टीम में वापसी करना चाहते हैं सूर्यकुमार यादव
'अभी घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन करना ही सिर्फ़ मेरे हाथ में है'

भारत के T20I कप्तान सूर्यकुमार यादव भारत के लिए लाल गेंद की क्रिकेट में वापसी करना चाहते हैं। हालांकि वह ख़ुद भी यह मानते हैं कि यह उतना आसान नहीं रहने वाला है।
मुंबई के ही सरफ़राज़ ख़ान और श्रेयस अय्यर के अलावा केएल राहुल और रजत पाटीदार टेस्ट टीम में जगह बनाने के मामले में सूर्यकुमार से आगे हैं। लेकिन सूर्यकुमार घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन कर भारतीय टीम में वापसी करना चाहते हैं।
बुची बाबू टूर्नामेंट खेलने कोयंबटूर पहुंचे सूर्यकुमार ने मुंबई के अभ्यास सत्र के बाद कहा, "काफ़ी लोगों ने अपनी जगह बनाने के लिए मेहनत की है और मैं भी इस जगह को दोबारा हासिल करना चाहता हूं। मैंने टेस्ट में इंडिया के लिए डेब्यू किया था, इसके बाद मैं चोटिल भी हो गया। बहुत लोगों को मौक़े भी मिले और उन्होंने अच्छा भी किया है। इस समय वे अवसर मिलने के हक़दार भी हैं। अगर मेरी जगह बनती है तो मुझे भी मौक़ा मिलेगा, लेकिन यह मेरे हाथ में नहीं है। मेरे बस में सिर्फ़ इतना है कि मैं बुची बाबू और दलीप ट्रॉफ़ी में प्रदर्शन करूं और अपनी बारी का इंतज़ार करूं।"
इस समय सूर्यकुमार बुची बाबू टूर्नामेंट का हिस्सा बनने कोयंबटूर पहुंचे हैं, जिसके बाद वह दलीप ट्रॉफ़ी में हिस्सा लेने के लिए अनंतपुर का रुख़ करेंगे। सूर्यकुमार, ऋतुराज गायकवाड़ के नेतृत्व वाली इंडिया सी टीम का हिस्सा हैं।
सूर्यकुमार ने कहा, "लाल गेंद क्रिकेट हमेशा से मेरी प्राथमिकता रही है। जब मैं बड़ा हो रहा था, उसी दौरान मुंबई के मैदानों में खेलते हुए लंबे प्रारूप की क्रिकेट के प्रति मेरा लगाव बढ़ता गया। मैंने पिछले 10 वर्षों में काफ़ी प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेली है। मैं हमेशा मुंबई के लिए खेलने के लिए मिलने वाले अवसर का लाभ उठाना चाहूंगा, चाहे वो बुची बाबू या दलीप ट्रॉफ़ी हो। काफ़ी खिलाड़ियों ने इन टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया है और आगे चलकर उन्हें देश के लिए खेलने का मौक़ा मिला है।"
प्रथम श्रेणी किकेट में सूर्यकुमार के आंकड़े अच्छे हैं। उन्होंने 82 प्रथम श्रेणी मैच में 43.62 की औसत से 5628 रन बनाए हैं, जिसमें 14 शतक और 29 अर्धशतक शामिल है।
सूर्यकुमार ने कहा, "यहां परिस्थितियों को भांपना बेहद ज़रूरी है। मुंबई में लाल मिट्टी होती है लेकिन यहां (कोयंबटूर) की मिट्टी काली है। विकेट भी काफ़ी अलग है। बड़े प्रारूप में आपको हमेशा एक क़दम आगे रहना होता है। जब आप खेलने लग जाते हैं तब अन्य चीज़ें अपने आप घटित होने लगती हैं। इसलिए ज़्यादा सोचना नहीं चाहिए। मैदान में जाकर अपने खेल का आनंद उठाने पर ध्यान होना चाहिए और अगर आप अच्छा नहीं कर पाए तो अगले अवसर पर एक बार फिर बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के कंसलटेंट सब एडिटर नवनीत झा ने किया है।
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