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साउदी ने जो किया, वह भारत में बहुत ही कम देखने को मिलता है

भारत में तेज़ गेंदबाज़ विकेट लेने के लिए रिवर्स स्विंग पर निर्भर रहते हैं, लेकिन साउदी ने परंपरागत स्विंग से पांच विकेट लिए

पांच विकेट लेने के बाद अपने साथियों के साथ सेलिब्रेट करते साउदी  BCCI

आप भारत में कैसे कोई टेस्ट मैच जीत सकते हैं? टॉस जीतिए, पहले बल्लेबाज़ी करिए, एक बड़ा स्कोर खड़ा किजिए और दूसरी टीम पर दबाव बनाइए। इंग्लैंड ने इस साल की शुरुआत में चेन्नई में यही किया था। या फिर अगर आपके पास दो विश्व स्तरीय स्पिनर और रिवर्स स्विंग कराने वाला तेज़ गेंदबाज़ हो, तो भी आप भारत को भारत में हरा सकते हैं, जैसा कि फिर से इंग्लैंड ने 2012-13 में किया था। या फिर आपको ग्रीन टॉप विकेट मिले, जैसा कि 2007-08 में साउथ अफ़्रीका को मिला था। या फिर एक टर्नर पिच पर आप टॉस जीत जाए, ताकि मैच को अपने मन से चला सके, जैसा कि 2016-17 में पुणे में ऑस्ट्रेलिया ने कर दिखाया था।

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लेकिन कानपुर टेस्ट में न्यूज़ीलैंड को ऐसा कोई लाभ प्राप्त नहीं था। वे टॉस हार गए, उनके स्पिनर उतने प्रभावी नहीं दिखे और चौथी पारी में यह पिच सबसे अधिक टर्न करेगी, जब न्यूज़ीलैंड को बल्लेबाज़ी करना है। हालांकि इस मैच में अभी बहुत कुछ होना बाक़ी है, लेकिन दूसरे दिन भारत के 345 रन के जवाब में उन्होंने बिना विकेट खोए 129 रन बनाकर यह दिखा दिया है कि मैच में वह कहीं आगे हैं। उन्होंने अपने पिछले कानपुर टेस्ट में भी भारत के 318 रन के जवाब में दूसरे दिन की समाप्ति पर एक विकेट खोकर 152 रन बनाए थे।

इस मैच में टिम साउदी ने बिना रिवर्स स्विंग प्राप्त किए ही पांच विकेट लिए। सिर्फ़ चेतेश्वर पुजारा की विकेट में उन्हें रिवर्स मिला था, बाक़ी के चार विकेट में उन्होंने परंपरागत स्विंग प्राप्त किया। भारत में ऐसी गेंदबाज़ी को देखना सुखद और आश्चर्यचकित करने वाला था।

हालिया कुछ समय में 2015-16 में साउथ अफ़्रीका के काइल एबॉट ने ऐसा करके दिखाया था या फिर भुवनेश्वर कुमार बिना रिवर्स स्विंग की मदद से ऐसा करने में सफल रहे हैं। साउदी ने भुवनेश्वर की तरह ही हवा में गेंद को घुमाया और इसमें उनका अनुभव काम आया। वह 79 टेस्ट खेल चुके हैं, उन्हें इस कला में मास्टरी हासिल है। उन्हें पता है कि उन्हें कब, कैसे और कितना गेंद हिलाना है, कैसे ऐंगल का प्रयोग करना है और फिर पुराने गेंद से भी कैसे स्विंग और सीम हासिल करनी है। हालांकि भुवनेश्वर की तरह वह इनस्विंग अधिक नहीं कर सकते हैं, लेकिन वॉबल-सीम के द्वारा वह बल्लेबाज़ों को छका सकते हैं, जैसा कि उन्होंने अक्षर पटेल के साथ किया।

इससे पहले मैच के शुरुआती दिन खिंचाव के कारण साउदी अपना ओवर पूरा किए बिना ही मैदान से बाहर चले गए थे। लेकिन दूसरे दिन उन्होंने सुनिश्चित किया कि वह पूरी तरह फ़िट होकर मैदान में उतरे और भारतीय बल्लेबाज़ी क्रम को झकझोर दें।

दूसरे दिन की शुरुआत में साउदी के पास सिर्फ़ चार ओवर पुरानी गेंद थी। हालांकि इसके अलावा उनके पक्ष में कुछ भी नहीं था। पिच से कोई मदद नहीं मिल रही थी और ना ही हवा में गेंद स्विंग हो रही थी। साउदी राउंड द विकेट आकर गुड लेंथ पर गेंदबाज़ी करने लगे। उन्होंने अर्धशतक बना चुके रवींद्र जाडेजा को पहले चार बाहर जाती गेंदों से सेट किया और फिर एक अंदर आती गेंद पर तेज़ पगबाधा की अपील हुई। यह एक नज़दीकी मामला था जिसमें अंपायर के फ़ैसले के कारण जाडेजा क्रीज़ पर थे, क्योंकि डीआरएस में भी इसे अंपायर्स कॉल बताया गया। लेकिन अगली दो गेंद बाद जाडेजा के स्टंप बिखरे हुए थे।

यह एक बेहतरीन स्विंग गेंदबाज़ी का प्रदर्शन था। उन्होंने 25वें ओवर में अपना पांचवां विकेट लिया। उन्होंने लगातार एंगल बदलते हुए बल्लेबाज़ों के दिमाग में भ्रम पैदा किया और विकेट लिए। उन्होंने दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के विरूद्ध लेग साइड में सिर्फ़ छह रन दिया।

यह एशिया में एक दुर्लभ गेंदबाज़ी का भी प्रदर्शन था। साउदी ने एशिया में 12 टेस्ट में 23.86 की औसत से विकेट लिए हैं, जो कि उनके कुल औसत 27.99 से कहीं बेहतर है। एक तेज़ गेंदबाज़ के रूप में इस सदी में उनसे अधिक भारत में पांच विकेट सिर्फ़ ज़हीर ख़ान ने झटके हैं। 2018 के बाद से पुराने गेंद (40 से 80 ओवर) से साउदी का औसत 16.39 रहा है।

आंकड़े कहते हैं कि साउदी भारत में बेहतरीन रहे हैं, लेकिन उनके पास ना तो डेल स्टेन की तरह तेज़ गति है और ना ही कर्टनी वॉल्श, कर्टली ऐम्ब्रोस या फिर ग्लेन मैक्ग्रा की तरह लंबाई है। वह बस अपने अनुभव और विविधताओं का प्रयोग यहां करते हैं।

यह साउदी का भारत का तीसरा दौरा है। इसके अलावा वह श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का भी दो-दो दौरा कर चुके हैं। वह जब सीमित ओवर की क्रिकेट खेलते हैं, तो भी लाल गेंद को अपने साथ लेकर चलते हैं, ताकि टेस्ट मैच के लिए ख़ुद को तैयार किया जा सके। आईपीएल और टी20 विश्व कप के दौरान भी उन्होंने ऐसा किया। नेट में भी वह अधिकतर पुरानी गेंद से गेंदबाज़ी करते हैं।

साउदी से जब पूछा गया कि वह ऐसा क्यों करते हैं, तो उन्होंने कहा, "मुझे भी नहीं पता कि मैं ऐसा क्यों करता हूं। हालांकि मैंने इसे अपना रूटीन बना लिया है कि जब भी नेट में जाऊं तो पुरानी गेंदों से अधिक अभ्यास करूं। स्विंग ही मेरा कौशल है। जब गेंद स्विंग होती है तो आप और ख़तरनाक हो जाते हैं, लेकिन जब पुरानी गेंद स्विंग होने लगती है, तो आपके पास बचने का बहुत ही कम मौक़ा रहता है।"

Tim SoutheeIndiaNew ZealandIndia vs New ZealandNew Zealand tour of IndiaICC World Test Championship

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में सहायक संपादक हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के उप संपादक दया सागर ने किया है