श्रेयस की कहानी : कंधे की चोट से लेकर टेस्ट में जगह बनाने तक
इस घरेलू सत्र के बाद, इसमें कोई संदेह नहीं है कि अय्यर को इंग्लैंड में सीरीज़ के निर्णायक मुक़ाबले में अच्छी शुरुआत करनी चाहिए

एक साल पहले की बात है श्रेयस अय्यर ड्रेसिंग रूम के अंदर रोए थे। कुछ घंटे पहले, वह दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान और मुख्य बल्लेबाज़ सहित आईपीएल 2020 की उप विजेता टीम के कप्तान और भारत के सीमित ओवर क्रिकेट में लगभग अपनी जगह बना चुके थे। हालांकि, इस बीच उन्होंने कवर की दिशा में डाइव लगाई और अपना कंधा चोटिल कर बैठे।
वह जानते थे कि आईपीएल उनके लिए समाप्त हो चुका है। उससे ज़्यादा जरूरी उनका टी20 विश्व कप टीम में होना संदेह के घेरे में था।
कैपिटल्स की टीम ने ऋषभ पंत को अपना नियमित कप्तान बनाया और आगामी सत्रों के लिए रिटेन भी कर लिया। श्रेयस पिछले आईपीएल में शुरुआती सत्र नहीं खेले और कम क्रिकेट खेलने का मतलब था कि वह टी20 विश्व कप में बस एक रिज़र्व खिलाड़ी के तौर पर गए। उनके करियर में यह दो बड़ी खराब स्थितियां थी, क्या अब इससे भी ज़्यादा ख़राब हो सकता था?
साल के अंत की ओर बढ़ते हुए उनके लिए चीज़ें बदल गई। महामारी, वर्कलोड, चोटें और चयन, इन सभी ने उनके लिए नए दरवाज़ें खोल दिए। टेस्ट क्रिकेट को एक भव्य मंच कहना आईपीएल और विश्व कप की तुलना में अलग हो सकता है लेकिन खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में खुद को परखना अभी भी महत्वपूर्ण है।
जब श्रेयस को वह मौक़ा मिला, तो उन्होंने 2019 की शुरुआत के बाद से केवल एक प्रथम श्रेणी मैच खेला था। यहां आपने कौशल की सीधी परख घरेलू टेस्ट क्रिकेट मैच में होने वाली थी।
श्रेयस टेस्ट क्रिकेट में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 52.18 का औसत और 81.54 का स्ट्राइक रेट लेकर पहुंचे थे। घरेलू क्रिकेट की क्वालिटी के बारे में आप जो कुछ कहें, आप बिना मैच खेले 4000 से ज़्यादा रन नहीं बना सकते हैं, वह भी 50 के औसत और 80 के स्ट्राइक रेट से।
यह शायद भारतीय बल्लेबाज़ी में गहीनता की ओर इशारा करता है कि टेस्ट क्रिकेट में ब्रेक उन्हें कई अहम खिलाड़ियों की अनुपस्थिति की वजह से मिला। वैसे भी भारत का टेस्ट बल्लेबाज़ होने के लिए यह वास्तव में कठिन समय है। भारत केवल सर्वश्रेष्ठ पांच बल्लेबाज़ों को ही खिलाता है और जब बाहरी देशों में खेलने का नंबर आता है तो भी वह इसी संयोजन के साथ उतरने का दमखम दिखाते हैं।
इसके साथ घरेलू पिचों में बदलाव भी जोड़ें, जो पहले की तुलना में अधिक और जल्द ही टर्न लेने लगी हैं। टेस्ट टीमों में मंथन कम होता है, जिसका मतलब है कि नए स्पॉट शायद ही कभी खुलते हैं।
अपने पहले चार टेस्ट में श्रेयस ने स्पिन के ख़िलाफ़ अपने खेल की गुणवत्ता दिखाई और प्लेयर ऑफ़ द मैच बने। क्रीज़ पर उनका फुटवर्क कमाल का है, चाहे बात बैकफुट की हो या फ्रंटफुट की। वह क्रीज पर बहुत कम ही लपके जाते हैं। यह कला एक कम उम्र में भारत के अधिकांश अच्छे बल्लेबाज़ों में देखी जाती है लेकिन श्रेयस का आक्रामक गियर बदलना कम ही देखने को मिलता है।
वह अक्सर स्पिनरों को कमिटमेंट किए बिना उन्हें जल्दी फ़ॉरवर्ड मूवमेंट दिखाकर शॉर्ट ड्रॉप करने के लिए मजबूर कर सकते हैं। सतह जितनी पेचीदा होती है, गुणवत्ता उनके लिए उतनी ही आसान हो जाती है। जैसा कि बेंगलुरु में श्रीलंका के ख़िलाफ़ देखने को मिला।
कप्तान रोहित शर्मा ने भी श्रेयस के लिए कहा, "बहुत ही प्रभावित हूं श्रेयस के प्रदर्शन को देखकर। इस तरह की पिचों पर खेलना आसान नहीं होता है, खासकर जब आप चौथी पारी में टेस्ट मैच खेल रहे हों। यह कभी आसान नहीं होता है। उन्होंने कमाल का संयम दिखाया। वह जानते थे कि इस पिच पर क्या करना है। ग्राउंड के बाहर भी साफ़ था कि वह इस रणनीति के साथ जाना चाह रहे हैं।
"केवल चौथा टेस्ट खेलने वाले किसी खिलाड़ी की इस तरह की मानसिकता दर्शाती है कि वह बहुत परिपक्व है और अपने खेल को बहुत अच्छे से समझता है, जो हमारे लिए एक अच्छा संकेत है। इन परिस्थितियों में नंबर छह पर बल्लेबाज़ी करना कभी आसान नहीं होता है। खेल हमेशा संतुलन में होता है और एक यह उस स्थिति में किसी भी तरह से स्थानांतरित हो सकता है। मैंने सोचा कि उन्होंने इस अवसर का पूरी तरह से पफ़ायदा उठाया।"
बदलाव के इस दौर में, श्रेयस पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे द्वारा खाली किए गए स्थानों में से एक को हासिल किया है। यह मौक़े की ही बात है कि श्रेयस साउथ अफ़्रीका दौरे के दौरान बीमार पड़ गए। हमारे लिए यह जानने का अच्छा समय था कि नेतृत्वकर्ताओं ने उन्हें कैसे समझा, उस समय भी जब कोहली वहां पर चोट के कारण दूसरा टेस्ट नहीं खेले थे।
हालांकि हम नहीं जानते हैं कि क्या उन्होंने हनुमा विहारी को प्राथमिकता दी, क्योंकि श्रेयस अब भी नंबर तीन पर पहली पसंद नहीं थे या श्रेयस वाकई बीमारी की वजह से अपनी जगह वहां पर खोए थे।
लेकिन इस घरेलू सत्र के बाद इस बात में कोई संदेह नहीं रह गया है कि श्रेयस को इंग्लैंड में सीरीज़ के निर्णायक मुक़ाबले में पहले नंबर पर आंका जाना चाहिए। जैसा कि वह आईपीएल में कोलकाता नाइटराइडर्स का नेतृत्व करने की तैयारी करने के बारे में सोच रहे हैं, अगर वह पुणे में ड्रेसिंग रूम में उस रोने वाली रात के बारे में सोचते हैं तो श्रेयस शायद अब अपनी किस्मत को कोस नहीं पाएंगे।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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