किसान के बेटे ने रणजी ट्रॉफ़ी में बनाई पहचान
31 वर्षीय गौरव ने दिल्ली के ख़िलाफ़ 10 विकेट लिए

"क्या आपने मुझे खेतों में काम करते हुए बड़ा नहीं किया? अगर क्रिकेट मेरे काम नहीं आया तो मैं भी वही करूंगा।"
10 वर्ष पहले जब गौरव यादव 21 वर्ष के थे तब उन्होंने अपने पिता से यही कहकर क्रिकेट के लिए मनाया था। मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाके बिसोनी कलां से ताल्लुक़ रखने वाले गौरव ने कोई एज ग्रुप क्रिकेट नहीं खेली है लेकिन वह अपनी तेज़ गेंदबाज़ी की बदौलत अपना नाम बनाना चाहते हैं।
रणजी ट्रॉफ़ी के मौजूदा सीज़न में दिल्ली के ख़िलाफ़ पहला मैच गौरव का पुडुचेरी के लिए पहला प्रथम श्रेणी मैच भी था। गौरव ने इस मैच में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 98 रन देकर 10 विकेट निकाले। गौरव ने 2012-13 में मध्य प्रदेश के लिए डेब्यू किया था लेकिन 10 साल की यात्रा में गौरव को मध्य प्रदेश के लिए सिर्फ़ 30 मैच में ही खेलने का अवसर मिला।
मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (MPCA) के मुख्य चयनकर्ता रहने के दौरान पूर्व भारतीय लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी ने टेनिस बॉल क्रिकेट खेल रहे गौरव की प्रतिभा को तलाशा था। गौरव को मुंबई के ख़िलाफ़ अंडर-25 के एक मुक़ाबले में मौक़ा दिया गया और उन्होंने उसमें पांच विकेट हासिल किया। इसके ठीक अगले ही सप्ताह उन्होंने इंदौर में गुजरात के ख़िलाफ़ रणजी ट्रॉफ़ी में डेब्यू भी कर लिया।
गौरव ने कहा, "हिरवानी सर ने मुझे गेंदबाज़ी करता देख संजय जगदाले (पूर्व अध्यक्ष, MPCA) से कहा था कि मुझे तराशा जाना चाहिए। मैं चयन के लिए गेम खेलने आया था। लेकिन तभी एक चयनकर्ता ने मुझे अगले दिन आने से मना कर दिया। मैं चौंक गया था क्योंकि मैंने अच्छी गेंदबाज़ी की थी। तभी वह हंस पड़े और उन्होंने कहा कि तुम अब रणजी टीम से जुड़ने जा रहे हो।"
गौरव का चोट के साथ चोली और दामन जैसा रिश्ता रहा है। अपने दूसरे सीज़न से ठीक पहले तेज़ गेंदें डालने के चक्कर में उनका टखना मुड़ गया। रिकवर होने के बाद वह बाइक से गिर पड़े और अपना बायां पैर चोटिल कर बैठे। एक अन्य बार वह सीज़न की शुरुआत से ठीक पहले ही बीमार पड़ गए।
गौरव कहते हैं, "आप जानना चाहते होंगे कि मैंने इतना कम क्यों खेला? दरअसल ये सभी कारण रहे हैं। जब आप नहीं खेलते हैं तब इसका असर आपके फ़ॉर्म पर पड़ता है और जब आप चोटिल होते हैं तो चयनकर्ता भी कई बार जोखिम नहीं लेना चाहते।"
हालांकि गौरव सिर्फ़ हताशा की कैद में नहीं रहे। 2021-22 में जब मध्य प्रदेश ने रणजी ट्रॉफ़ी जीता तब उन्होंने पांच मैचों में 23 विकेट हासिल किए जोकि उस सीज़न किसी भी तेज़ गेंदबाज़ द्वारा लिए गए सर्वाधिक विकेट थे।
गौरव ने कहा, "उस सीज़न के बाद मुझे लगा कि मुझे अब नियमित तौर पर अवसर मिलेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले सीज़न मैंने आंध्र प्रदेश के ख़िलाफ़ क्वार्टर फ़ाइनल में अच्छी गेंदबाज़ी (2 पारियों में पांच विकेट) की। इस मैच में मैं चोटिल हो गया। चयनकर्ताओं और कोच (चंद्रकांत पंडित) को लगा कि मुझे बंगाल के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल खेलना चाहिए। लेकिन मैं और टीम दोनों ही अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए।"
इस सीज़न की शुरुआत से पहले वेंकटेश अय्यर ने पुडुचेरी से गौरव की सिफ़ारिश की थी जोकि एक तेज़ गेंदबाज़ की तलाश कर रहे थे।
गौरव ने कहा, "मुझे लगा कि अगर यहां आने का मुझे फ़ायदा ना भी मिले तब भी मुझे जोखिम उठाना चाहिए क्योंकि इससे कम से कम मुझे कोई पछतावा नहीं होगा। मुझे लगता है कि मैं व्हाइट बॉल क्रिकेट में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकता हूं। मैं विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी (2019-20) में संयुक्त तौर पर सर्वाधिक विकेट(23) लेने वाला गेंदबाज़ भी था। लेकिन इसके बाद कोरोना आ गया और मेरे नाम पर उतना विचार नहीं किया गया। इसलिए मुझे हर प्रारूप खेलना था।"
पिछले साल उन्होंने पहली बार आईपीएल फ्रैंचाइज़ी के ट्रायल्स अटेंड किए और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने उन्हें अपने नेट गेंदबाज़ के तौर पर चुन लिया। हालांकि यह एक ऐसा अवसर था जो उन्होंने पहले भी मिल सकता था लेकिन चंद्रकांत पंडित ने उन्हें रेड बॉल क्रिकेट पर ही ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा था। बकौल गौरव नेट्स में गेंदबाज़ी करते हुए विराट कोहली को भी काफ़ी प्रभावित किया था और इससे उन्हें काफ़ी आत्मविश्वास मिला था।
गौरव को पता है कि 31 की उम्र में वह खोए हुए अपने समय की भरपाई कर रहे हैं। लेकिन वह पछतावे को अब कोसों दूर छोड़ आए हैं। वह अपनी टीम के लिए ज़्यादा से ज़्यादा मैच जीतना चाहते हैं।
"मैं अब ज़्यादा नहीं सोचता, वर्तमान में ही रहना चाहता हूं। मेरा ध्यान सिर्फ़ अगली गेंद डालने पर होता है। अगर रणजी नहीं, तो क्लब क्रिकेट। मैं इससे ज़्यादा की अपेक्षा भी नहीं रखता। अगर आईपीएल में अवसर मिलता है तो यह काफ़ी अच्छा होगा। मैं अपनी टीम के लिए लंबे स्पेल डालना चाहता हूं और अपनी टीम की जीत दिलाना चाहता हूं।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं
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