गंभीर : दो-तीन मैचों के बाद युवा भारतीय खिलाड़ियों में हाइप बनाना उल्टा पड़ जाएगा
गंभीर ने सीनियर भारतीय खिलाड़ी आर अश्विन से कहा कि भारत की टी20आई टीम का चयन IPL प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए

गौतम गंभीर ने कहा है कि गेंदबाज़ी की गति जैसे विशिष्ट मानदंडों के आधार पर युवा भारतीय खिलाड़ियों के बारे में हाइप बनाना उन्हें "प्रतिफल" दे सकता है और उन्हें कड़ी मेहनत करने से "विचलित" कर सकता है। कोलकाता नाइटराइडर्स के मेंटॉर और भारतीय टीम के कोच के पद की रेस में आगे चल रहे गंभीर ने कहा है कि टी20आई में टीम चयन IPL प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए ना, लेकिन केवल बल्लेबाज़ी औसत या गेंदबाज़ी गति के आधार पर नहीं होना चाहिए।
गंभीर ने आर अश्विन के यूट्यूब चैनल पर कहा, "भारत में हमने युवा खिलाड़ियों में बहुत अधिक हाइप बनाना शुरू कर दिया है। अगर कोई 150 तक गेंद कर रहा है तो हर कोई उत्साहित हो जाता है। प्वाइंट यह है कि आपको परिस्थति को भी देखने की ज़रूरत है। टी20 क्रिकेट में औसत और रन इतने प्रभाव नहीं डालेंगे। जब बल्लेबाज़ का चयन हो तो यह स्ट्राइक रेट है और जब गेंदबाज़ का चयन हो तो यह देखना है कि वह कितने मुश्किल ओवर डाल सकता है। अगले दो-तीन सालों में यही चर्चा होगी।
"हम रनों की संख्या और औसत, कोई 150 डाल रहा है तो उसके बारे में चर्चा करते रहते हैं। कई बार जब आप वेस्टइंडीज़ या बांग्लादेश जाते हो तो आपको ऐसे गेंदबाज़ की ज़रूरत नहीं है जो 150 किमी की गति से गेंद करता हो। आपको ऐसा गेंदबाज़ चाहिए जो कटर डाल सकता है। यही सोच चयनकर्ताओं की होनी चाहिए। कई बार आप प्राकृतिक कौशल चुन लेते हो, लेकिन दो-तीन मैचों के बाद हाइप बनाना सही नहीं है, हमें एक संतुलित दृटिकोण की ज़रूरत है।"
"भारत में ग्राफ़ ऊपर-नीचे जाता है और यह एक युवा खिलाड़ी के लिए सही नहीं है। जब बात युवा खिलाड़ियों की हो तो यहीं पर विशेषज्ञ और कमेंटेटरों को संतुलित रहने की ज़रूरत है। उनके लिए कड़ी मेहनत और जो अच्छे काम वे कर रहे हैं उनसे भटक जाना आसान है। क्योंकि अचानक जब आप किसी युवा खिलाड़ी के अच्छा प्रदर्शन करने की बात करने लगते हैं तो यह उनके लिए उल्टा पड़ सकता है।
गंभीर ने घरेलू क्रिकेट की अहमियत पर भी बात की और उन्होंने साथ ही कहा कि IPL के प्रदर्शन लाल गेंद क्रिकेट चयन में प्रभाव नहीं डालने चाहिए।
गंभीर ने कहा, "भारत की टी20 टीम IPL प्रदर्शन के आधार पर चुनी जानी चाहिए। 50 ओवर के प्रारूप में टीम का चयन विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी से होना चाहिए और आपकी टेस्ट टीम प्रथम श्रेणी क्रिकेट के आधार पर होनी चाहिए। अगर आप 50 ओवर प्रारूप या लाल गेंद क्रिकेट के लिए चयन IPL टूर्नामेंट के आधार पर करेंगे तो यह युवा खिलाड़ियों के लिए शॉर्ट कट हो जाएगा और वे लाल गेंद क्रिकेट या 50 ओवर प्रारूप पर फ़ोकस करना बंद कर देंगे।"
गंभीर - 'वनडे क्रिकेट में दो नई गेंद क्रिकेट में सबसे ख़राब चीज़'
वनडे में 2011 में दो नई गेंद नियम के इस्तेमाल की शुरुआत की गई और गंभीर ने कहा कि यह क्रिकेट में हुई सबसे ख़राब चीज़ है। उन्होंने साथ ही कहा कि इससे अश्विन और ऑस्ट्रेलिया के नेथन लॉयन जैसे उंगलियों के स्पिनर वनडे प्रारूप से दूर हो गए हैं।
गंभीर ने अश्विन से कहा, "क्रिकेट में सबसे ख़राब चीज़ यही हुई है कि दो नई गेंद का इस्तेमाल शुरू किया गया। आपने मैच से उंगलियों के स्पिनर का पूरा कौशल छीन लिया। आपके पास दो नई गेंद है, आपके पास पांच खिलाड़ी अंदर है, तो आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि एक उंगलियों का स्पिनर पिच से कुछ निकाल सकता है और आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उंगलियों का स्पिनर प्लेइंग इलेवन का हिस्सा हो सकता है?"
उन्होंने कहा, "आपने इससे दुनिया के दो सर्वश्रेष्ठ उंगलियों के स्पिनर अश्विन और लॉयन को दूर कर दिया है। यही कारण है कि वहां आप लोग नहीं खेल रहे हैं क्योंकि वहां आप लोगों के लिए कुछ नहीं है। यदि आप 20वें ओवर में गेंदबाज़ी कर रहे हैं तो आप 10 ओवर पुरानी गेंद से गेंदबाज़ी कर रहे हैं और पांच खिलाड़ी अंदर है और पिच भी सपाट है। बड़े बल्लेबाज़ हैं और पॉवर हिटर्स भी हैं, साथ ही छोटी बाउंड्री है और डीआरएस भी है। यह आपके और लॉयन के लिए नहीं है। यह काम ICC का है। यह काम ICC कि आप हर तरह के गेंदबाज़ को प्रमोट करो जो ऑफ़ स्पिनर या उंगलियों का स्पिनर बनना चाहता है। आप मुझे बताइए कितने युवा उंगलियों के स्पिनर बनना चाहते हैं? ऑफ़ स्पिन या बायें हाथ की स्पिन एक कला है और ये कोई नहीं बनना चाहता क्योंकि वे जानते हैं कि सफ़ेद गेंद क्रिकेट में उनका कोई भविष्य नहीं है।"
गंभीर ने कहा कि ICC को देखना चाहिए कि वे बॉल मैन्यूफैक्चर्स बदलें, फिर उस नियम को बदलें जो खिलाड़ियों पर प्रभाव डाल रहा है।
गंभीर ने कहा, "मुझे वह प्रारूप या नियम पसंद है जहां पर एक नई गेंद रहती है। यह खिलाड़ी की समस्या नहीं है। अगर बॉल बनाने वाले 50 ओवर तक गेंद की शेप को बरक़रार नहीं रख सकते हैं तो अच्छा है आप मैन्यूफैक्चर को ही बदल दें। एक गेंद 50 ओवर तक अपना रंग बनाए नहीं रख सकती है। यह मैन्यूफैक्चर की समस्या है। जब लोग मध्य ओवरों में विकेट लेने की बात करते हैं तो अचानक से उन्हें पता चलता है कि केवल कलाई के स्पिनर विकेट ले सकते हैं। हां आपके पास कैरम बॉल या फ्लिकर भी विकेट दिला सकती हैं लेकिन विशुद्ध ऑफ़ स्पिन या बायें हाथ की स्पिन की कला कहां है या बायें हाथ का स्पिनर जो हवा में या विकेट से बीट करा सकता है वह कहां है?
"क्योंकि आपके पास विकेट से मदद नहीं है और पांच खिलाड़ी अंदर है। तो मुझे लगता है कि ICC को सोचना होगा और फिर हम आगे बढ़ सकते हैं और पूरे 50 ओवर में एक गेंद से खेल सकते हैं।"
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