बांग्लादेश में ग़ुस्सा ज़ाहिर करने पर हरमनप्रीत: 'मुझे किसी बात का अफ़सोस नहीं'
हरमनप्रीत को नहीं लगता कि उन्होंने "किसी खिलाड़ी या किसी व्यक्ति के लिए कुछ भी ग़लत कहा है"

भले ही भारतीय महिला टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर पर दो मैचों का प्रतिबंध लगा हो लेकिन पिछले महीने ढाका में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ खेले गए तीसरे वनडे मैच के दौरान अपने कृत्य पर उन्हें कोई पछतावा नहीं है।
क्रिकेट पेपर से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगी कि मुझे किसी बात का पछतावा है क्योंकि दिन के अंत में एक खिलाड़ी के रूप में आप यह देखना चाहते हैं कि निष्पक्ष चीजे़ं हो रही हैं या नहीं। एक खिलाड़ी के रूप में आपको हमेशा ख़ुद को और आप जो महसूस कर रहे हैं उसे व्यक्त करने का अधिकार है।"
ढाका में खेल गए उस वनडे मैच के दौरान जब अंपायर ने उन्हें आउट करार दिया था, तब उस फ़ैसले पर असंतोष जताते हुए हरमनप्रीत ने अपने बल्ले से विकेट को हिट किया था। इसके बाद पोस्ट मैच प्रजेंटेशन के दौरान अंपायरिंग को "निराशाजनक" बताया था। उनका ग़ुस्सा यहीं नहीं रूका, जब दोनों टीम के खिलाड़ी एक साथ फ़ोटो खिंचवाने के लिए आए तो उन्होंने बांग्लादेशी खिलाड़ियों से कहा था कि प्लीज़ "अंपायर को भी बुला लीजिए।" हरमनप्रीत के इस बात का यह मतलब था कि अंपायर भी बांग्लादेशी टीम का हिस्सा थे।
हरमनप्रीत को "अंपायरिंग निर्णय पर असहमति दिखाने" के लिए तीन डिमेरिट प्वाइंट और मैच अधिकारियों की "सार्वजनिक आलोचना" के लिए एक और डिमेरिट प्वाइंट दिया गया था। इसके अलावा इन दोनों कृत्यों के लिए उनकी मैच फ़ीस का 50% और 25% जुर्माना लगाया गया। जब कोई खिलाड़ी 24 महीने की अवधि के भीतर कुल चार या अधिक डिमेरिट अंक हासिल करता है, तो उन अंकों को निलंबन अंक में बदल दिया जाता है। हरमनप्रीत के साथ भी यही हुआ था और उन्हें दो मैचों के लिए बैन कर दिया गया था।
दो मैचों में लगे प्रतिबंध के तहत सितंबर-अक्तूबर में होने वाले एशियन गेम्स में हरमनप्रीत पहले दो मैचों में हिस्सा नहीं ले पाएंगी।
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