मैं अब अगले मैच की चिंता नहीं करता, वर्तमान में जीता हूं : हर्षल
2021 आईपीएल में सबसे अधिक विकेट लेने वाले हर्षल पटेल से बातचीत

हर्षल पटेल इस समय अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ फ़ॉर्म में हैं। पिछले साल आईपीएल में सर्वाधिक 32 विकेट लेकर उन्होंने 31 वर्ष की उम्र में भारतीय टीम में अपना दावा पेश किया। उनकी हालिया सफलता क्रिकेट और जीवन के प्रति उनकी बदली हुई व्यवहारिक सोच से आई है।
गुजरात, हरियाणा, अमेरिका आप तीनों जगह रहे हैं? आप किसे घर मानते हैं?
अहमदाबाद मेरा हमेशा से घर रहा है। मैं यहीं पर जन्मा, पला-बढ़ा हूं। मैंने क्रिकेट भी यहीं से खेलना शुरू किया। 2003 विश्व कप के बाद मैं कोचिंग कैंप में जाना शुरू किया। उस समय एक अख़बार में मेरी तस्वीर सहित एक ख़बर आई थी कि कैसे विश्व कप शुरू होने से युवाओं में क्रिकेट का खुमार बढ़ गया है। यह क्रिकेट की मेरी पहली यादें हैं। मैं अपने उम्र के खिलाड़ियों में सबसे अच्छा था और मैंने अंडर-15, अंडर-17 और अंडर-19 में बहुत अच्छा किया।
आप 18 साल की उम्र में बेहतर मौक़े की तलाश में हरियाणा आ गए? अब एक भारतीय खिलाड़ी के रूप में अहमदाबाद लौटकर आपको कैसा लग रहा है?
मैं ऐसा नहीं सोच रहा। मैं अपने आपको उस क्रिकेटर के रूप में सोच रहा जो अभी अपने खेल के शीर्ष पर है और लगातार कुछ न कुछ सीखना चाहता है, बेहतर होना चाहता है। जो कुछ भी मेरी तरफ़ आएगा, मैं उसे ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार करूंगा।
क्या जब गेंद आपके हाथ में होती है तो आप अपने आप को सर्वश्रेष्ठ महसूस करते हैं?
100 फ़ीसदी। मैं ऐसा अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में भी लिख चुका हूं, जब 2019 का रणजी सीज़न मेरे लिए बहुत बेहतरीन गया था। मैं इसके लिए पिछले तीन-चार से कड़ी मेहनत कर रहा था। मुझे टीम इंडिया के ट्रेनर से भी इनपुट मिलता था लेकिन मैंने अपना ख़ुद का एक अभ्यास कार्यक्रम बनाया था, जिस पर मैं पिछले तीन साल से काम कर रहा था। यह अभ्यास कार्यक्रम मेरे ख़ुद के अनुभवों पर आधारित था। कई लोग कहते हैं कि 30 साल के बाद आप शारीरिक रूप से कमज़ोर होने लगते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। यही आपका शीर्ष काल होता है। मैं फ़िलहाल अपने शारीरिक और मानसिक मज़बूती के शीर्ष पर हूं।
आईपीएल 2021 में जाते वक़्त आपने क्या सोचा था?
मैंने 2018 से ही अपने आप से सवाल करना शुरू कर दिया था। उस साल मैं अपनी बेस प्राइस 20 लाख रुपये पर बिका था, जो मेरे लिए निराश करने वाला था। मुझे लगा कि एक क्रिकेटर के रूप में मेरी कोई वैल्यू ही नहीं है। इसके बाद मैंने अपने स्किल्स को और बेहतर करना शुरू किया। मुझे महसूस हुआ कि मैं अच्छे यॉर्कर डाल सकता हूं, लेकिन मैं मैच में उनका उपयोग कम करता हूं। इसके बाद मैं जो नेट में करता था, वही मैच में भी करना शुरू किया। इसके लिए मैंने अपने आपको मानसिक रूप से मज़बूत करना शुरू किया ताकि मैं स्वतंत्र ढंग से अपने आपको मैच में भी लागू कर सकूं।
क्या आप कभी ऊब भी जाते हैं?
हां, कई बार। कई बार मुझे ऐसा लगा कि मैं शायद प्रोफ़ेशनल क्रिकेट के लिए नहीं बना हूं और फिर अगले ही दिन नेट्स में जाकर मैं अभ्यास भी करने लगता था। तब लगता था सब कुछ ठीक तो है। यह चक्र कई बार होता था। अब मैं मैदान से बाहर 'क्रिकेटर हर्षल' की जगह 'व्यक्ति हर्षल' होता हूं। मैंने अब दबाव लेना बंद कर दिया है कि मुझे हर समय अच्छा ही करना है। जब मैंने ऐसा करना शुरू किया तो मेरे अंदर से असफलता का डर भी धीरे-धीरे ख़त्म होने लगा। मैंने अब अपने खेल को एन्जॉय करना शुरू कर दिया।
आप एक बल्लेबाज़ के रूप में भी बेहतर हुए हैं, आपने इस पर कब ध्यान देना शुरू किया?
यह टीम में योगदान देने का एक और तरीक़ा है। अगर मैं किसी दिन गेंद के साथ अपना योगदान नहीं कर सका, तो बल्ले के साथ करूंगा और अगर बल्ले के साथ नहीं कर सका तो फील्डिंग में करूंगा। अगर मैं बल्लेबाज़ी के लिए आता हूं तो मैं सात गेंद में 15 से 20 रन बनाने की कोशिश करूंगा। मैं नैसर्गिक रूप से गेंद का अच्छा टाइमर हूं।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के दया सागर ने किया है
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