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पार्शवी चोपड़ा : स्केटिंग से लेग स्पिन तक का सफ़र

एक समय तेज़ गेंदबाज़ बनना चाहती थीं पार्शवी लेकिन अब अपनी गुगली से विश्व स्तरीय बल्लेबाज़ों को परेशान कर रही हैं

पार्शवी चोपड़ा ने इस डब्ल्यूपीएल में सिर्फ़ दो मैच खेले हैं, लेकिन दोनों में प्रभावित किया है  BCCI

युवा पार्शवी चोपड़ा को लेग स्पिन के बारे में थोड़ी-बहुत बातें पता हैं। उन्हें पता है कि उन्हें विकेट लेने के चक्कर में बहुत मार मिल सकती है, इसलिए उनका इकॉनमी रेट बहुत ऊंचा रहेगा।

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यूपी वॉरियर्स के गुजरात जायंट्स के ख़िलाफ़ मैच में ऐश्ली गार्डनर और दयालन हेमलता ने 93 रन जोड़ लिए थे। दोनों के पास अलग-अलग तरीक़े के स्ट्रोक थे और दोनों अपनी टीम को एक बड़े स्कोर की तरफ़ ले जा रही थीं। फिर भी यूपी की कप्तान अलिसा हीली ने डेथ ओवरों में पार्शवी पर विश्वास जताया।

17वें ओवर में गेंदबाज़ी करने उतरीं पार्शवी रन रोकने की बजाय विकेट लेने के लिए गईं। उन्होंने पहला गेंद ऑफ़ स्टंप के बाहर फ़्लाइट के साथ डाला। यह गुगली थी, जिसे हेमलता समझ नहीं सकीं और लॉन्ग ऑन के हाथों में कैच दे दिया। 19वें ओवर की पहली गेंद पर भी पार्शवी ने ऐसा ही किया। गार्डनर भी पार्शवी की फ़्लाइटेड गुगली को समझ नहीं सकीं और क्रीज़ से बाहर निकलकर मारने के चक्कर में स्टंप आउट हो गईं।

यह पार्शवी का विमेंस प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) में सिर्फ़ दूसरा मैच था लेकिन उन्होंने दो अंतर्राष्ट्रीय बल्लेबाज़ों को आउट कर अपनी छाप छोड़ दी। पार्शवी ने हाल के दिनों में ग्रेटर नोएडा के युवराज सिंह सेंटर ऑफ़ एक्सेलेंस में कोच विशाल भाटिया के निर्देशन में अपनी गुगली पर काम किया है।

विशाल ने बताया, "डब्ल्यूपीएल से पहले हमने अलग-अलग परिस्थितियों के लिए गेंदबाज़ी के अलग-अलग विकल्पों पर काम किया। इसमें गुगली का प्रयोग प्रमुख था। अंडर-19 विश्व कप में उसने अधिक गुगली नहीं डाली थी, लेकिन अब वह पूरे आत्मविश्वास के साथ गुगली कर सकने में सक्षम है।"

अंडर-19 विश्व कप में पार्शवी के नाम दूसरा सर्वाधिक विकेट था  ICC/Getty Images

उन्होंने आगे बताया, "हमने बल्लेबाज़ का स्टांस देखकर बल्लेबाज़ को पढ़ने और उसी अनुसार गेंदबाज़ी करने का अभ्यास किया। पावरप्ले या डेथ में कैसे गेंदबाज़ी करनी है, इस पर अभ्यास किया। मैंने उसको बताया कि उसे किसी बड़े नाम नहीं बल्कि किसी बल्लेबाज़ को गेंदबाज़ी करनी है।"

पार्शवी बचपन में स्केटिंग किया करती थीं, लेकिन अपने पापा, चाचा और दादा की बात मानकर उन्होंने क्रिकेट में प्रवेश करने का फ़ैसला किया। 2017 में उन्होंने टीवी पर महिला विश्व कप देखा और उन्हें भारत के लिए नीली जर्सी में खेलने की प्रेरणा मिली। जब उनके पिता गौरव चोपड़ा को इस बारे में पता चला तो उन्होंने विशाल और जेपी नौटियाल की कोचिंग में पार्शवी को क्रिकेट खेलने के लिए एकेडमी भेजा।

गौरव बताते हैं, "मैंने उसे क्रिकेट अभ्यास से कभी भी समझौता नहीं करने दिया, भले ही पढ़ाई से कभी समझौता करना पड़े। वह पढ़ाई में शुरू से बहुत अच्छी थी। लेकिन जिंदगी में किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए आपको सिर्फ़ एक चीज़ पर फ़ोकस करना होता है। अगर आप एक साथ कई चीजें करने की कोशिश करेंगे तो आपको अपेक्षित सफलता नहीं मिलेगी।"

शुरुआत में पार्शवी एक तेज़ गेंदबाज़ बनना चाहती थीं, हालांकि बाद में उन्होंने लेग स्पिन गेंदबाज़ी शुरू की। एक बार सही एक्शन, रन-अप और स्पिन पकड़ने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

2019-20 के सीज़न में महिलाओं के अंडर-19 वनडे टूर्नामेंट में उत्तर प्रदेश की तरफ़ से खेलते हुए उन्होंने 20 विकेट लिए। कोरोना लॉकडाउन के समय उनके पिता ने नौटियाल के निर्देशन और विशाल के वीडियो कॉल पर दिए गए इनपुट की सहायता से घर पर ही विकेट तैयार किया।

गौरव ने बताया, "स्केटिंग में बहुत अधिक स्ट्रेचिंग होने के कारण पार्शवी का शरीर बहुत लचीला है। उसका रिस्ट पोज़िशन बहुत नेचुरल है। हमें बस उसके लाइन-लेंथ पर काम करना पड़ा। उसने भी चीज़ों को तेज़ी से पकड़ा और घंटों अभ्यास किया करती थी।"

पार्शवी ने 2022 के अंडर-19 टी20 ट्रॉफ़ी के दौरान आठ विकेट झटके और उनका चयन भारत के अंडर-19 टीम में हुआ। अंडर-19 टी20 विश्व कप में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद डब्ल्यूपीएल की नीलामी में उन्हें उनकी गृहराज्य यूपी की टीम ने 10 लाख रुपये में ख़रीदा।

पार्शवी के परिवार में वह एकमात्र अपनी पीढ़ी की लड़की हैं और उन्हें शेन वॉर्न की गेंदबाज़ी बहुत पसंद है। अंडर-19 टी20 विश्व कप और डब्ल्यूपीएल में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने लेग स्पिन के झंडे को ऊंचा किया हुआ है, जिसे वॉर्न ने फहराया था।

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एस सुदर्शनन ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं