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इयन चैपल : एक समस्या के दो समाधान होते है और क्रिकेट हमेशा जटिल को चुनता है

"जब नियमों के मुताबिक नॉन स्ट्राइकर को रन आउट करना कानूनी है तो यह खेल भावना के ख़िलाफ़ कैसे हो सकता है?"

अगर रोहित शर्मा नियमानुसार अपनी अपील को लागू करते तो दसून शानका शतक से वंचित रह जाते  BCCI

क्रिकेट विवादों के दो प्रमुख स्रोत - गेंदबाज़ के छोर पर रन आउट और तीसरे अंपायर को रेफ़र किए गए कैच - ने फिर से सुर्ख़ियां बटोरी है।

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गेंदबाज़ के छोर पर रन आउट को आसानी से हल किया जा सकता है और होना चाहिए। मूल नियम पर्याप्त से अधिक था और इसे कभी भी बदला नहीं जाना चाहिए था। यह एक अनुस्मारक है कि आम तौर पर एक समस्या के दो समाधान होते हैं - एक सरल और एक जटिल। क्रिकेट जटिल को चुनने के लिए प्रसिद्ध है।

बल्लेबाज़ को बिना चेतावनी दिए गेंदबाज़ के छोर पर रन आउट करने का प्रयास खेल भावना के अंतर्गत नहीं है। एक ऐसे कैच के लिए अपील करना, जो फ़ील्डर जानता है कि उसने पकड़ा है, भीड़ की धिक्कार का शिकार नहीं होना चाहिए क्योंकि यह कानूनी है।

श्रीलंका के विरुद्ध गुवाहाटी वाले मैच में मैं पसंद करता अगर भारतीय कप्तान रोहित शर्मा, रद्द करने के बजाय, अपने विपरीत क्रमांक दसून शानका के ख़िलाफ़ रन आउट की अपील को लागू करते। जैसा कि मैंने भारत के 2020-21 के दौरे के दौरान आर अश्विन से कहा था : "बल्लेबाज़ों को तब तक मांकडिंग करते रहो जब तक कि वे अंत में यह नहीं जान लेते कि वे जो कर रहे हैं वह अवैध है।"

अश्विन ने 2019 के आईपीएल मैच में गेंदबाज़ के छोर पर जॉस बटलर को रन आउट किया था। उनके कार्यों - जिनकी सराहना की जानी चाहिए थी - की व्यापक रूप से निंदा की गई और यहां तक ​​कि एमसीसी द्वारा "खेल भावना के विपरीत" के रूप में वर्णित किया गया।

जब क्रिकेट के नियमों के मुताबिक यह कानूनी है तो यह खेल भावना के ख़िलाफ़ कैसे हो सकता है?

क्यों जनता द्वारा गेंदबाज़ को डांटा जाता है और अक्सर धोखा देने के लिए धिक्कारा जाता है जबकि फ़ायदा उठाने की कोशिश तो बल्लेबाज़ कर रहा होता है?

अगर बल्लेबाज़ अपना बल्ला क्रीज़ में टिकाकर गेंदबाज़ के हाथ से गेंद को छूटते हुए देख बैक-अप करता है तो वह रन आउट नहीं होगा। इस प्रक्रिया में वह कुछ जानकारी भी हासिल कर सकता है जो बाद में उसी गेंदबाज़ का सामना करते हुए स्ट्राइकर छोर पर होने पर उसकी मदद करेगा।

गेंदबाज़ों को गेंद को छोड़े बिना अपना हाथ ऊपर ले जाने और फिर रन आउट करने के लिए स्टंप्स बिखेरने की अनुमति होनी चाहिए। पुराने कानून के तहत इसकी अनुमति थी। अगर बल्लेबाज़ उस कानून के तहत रन आउट हो जाते, तो वे जल्दी से कानूनी रूप से बैकअप करना सीख जाते।

एक दशक से पहले एक मैच में इंग्लैंड ने श्रीलंकाई बल्लेबाज़ के विरुद्ध कैच की अपील की। श्रीलंकाई थर्ड अंपायर के नॉट-आउट के निर्णय पर इंग्लैंड के कई कॉमेंटेटेरों ने निराशा व्यक्त की। अगली सुबह टोनी ग्रेग ने उसी स्थान पर खड़े रहकर एक सही कैच का उदाहरण दिया।

विभिन्न कैमरों ने ग्रेग के पुन: अधिनियमन के शॉट्स एकत्र किए और सही कैच होने के बावजूद कुछ कोणों से यह एक बम्प बॉल के रूप में दिखाई दिया। जैसा कि इस मामले में देखा गया, एक तस्वीर हमेशा सच नहीं बोलती है।

ग्रेग के सुविचारित क़दम से तीसरे अंपायर को भेजे जा रहे कैच के रिप्ले का निश्चित अंत होना चाहिए था। साथ ही, प्रशासकों को यह बताना चाहिए था और मीडिया के बीच व्यापक रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए था कि ऑन-फ़ील्ड अंपायर भविष्य में कैच पर निर्णय लेंगे। हालांकि, यह क़दम कभी नहीं उठाया गया और ज़मीन के क़रीब के कैच को अभी भी तीसरे अंपायर के पास भेजा जाता है। हैरानी की बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ़्रीका के बीच सिडनी टेस्ट में ऐसे तीन रेफ़रल हुए और इन सबने विवाद खड़ा कर दिया।

एक ईमानदार फ़ील्डर जानता है कि उसने गेंद को कब पकड़ा है। अंपायर को अपना निर्णय लेने से पहले कुछ संकेतकों पर विचार करने की आवश्यकता है - उदाहरण के लिए, ज़मीन पर टप्पा खा चुकी गेंद, पहले उंगलियों में दर्ज होने के बजाय सीधे हथेली में जाती है। अंपायर को क्षेत्ररक्षक की विश्वसनीयता के बारे में भी पता होना चाहिए और निर्णय लेते समय इस पर विचार किया जाना चाहिए।

प्रत्येक प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कप्तान फ़ील्डिंग के दौरान ईमानदारी के साथ व्यवहार करने की अपनी ज़िम्मेदारी से अवगत हैं।

कैच पर निर्णय अंपायरों को मैदान पर लेने चाहिए और उन्हें इस मामले में एक अविश्वसनीय वीडियो सिस्टम पर भरोसा नहीं करना चाहिए। अंपायर पहले ही सॉफ़्ट सिग्नल दे चुके हैं, तो वह अंतिम निर्णय क्यों नहीं ले सकते हैं?

प्रशासकों के योगदान के बिना ही क्रिकेट के खेल को लेकर पहले ही काफ़ी विवाद हो चुका है।

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ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयन चैपल एक स्तंभकार हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।