आईसीसी का स्थानीय भारतीय अंपायर पर भ्रष्टाचार निरोधी संहिता के उल्लंघन का आरोप
जतिन कश्यप को देना है 14 दिनों में जवाब, 2022 एशिया कप क्वालीफ़ायर से जुड़ा है मामला

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने भारतीय अंपायर जतिन कश्यप पर भ्रष्टाचार निरोधी संहिता के दो मामलों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। जतिन को आरोपों का जवाब देने के लिए 19 मई से 14 दिनों के भीतर का समय दिया गया है। ये मामला वर्ष 2022 में आयोजित हुए अंतर्राष्ट्रीय खेलों से संबंधित हैं।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को पता चला है कि पंजाब के भटिंदा शहर में रहने वाले जतिन पर ओमान में वर्ष 2022 में हुए एशिया कप क्वालीफ़ायर के दौरान हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को भ्रष्ट करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया था। समझा जाता है कि जतिन भारत के एक स्थानीय अंपायर हैं और आईसीसी की आधिकारिक मैच अधिकारियों के पैनल में शामिल नहीं हैं। चूंकि यह एक अंतर्राष्ट्रीय आयोजन था, इसलिए आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई के पास जांच शुरू करने का अधिकार था। हालांकि वह टूर्नामेंट में अंपायरिंग नहीं कर रहे थे।
आईसीसी के एक बयान के अनुसार, कश्यप पर आचार संहिता के अनुच्छेद 2.4.6 और 2.4.7 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
मुख्य रुप से ये अनुच्छेद आईसीसी की एंटी-करप्शन यूनिट (एसीयू) की जांच में सहयोग नहीं करने से जुड़े हैं। इनके अनुसार " संभावित भ्रष्ट आचरण के संबंध में एंटी-करप्शन यूनिट की जांच में, बिना बाध्यकारी औचित्य के, सहयोग करने में विफल होना या इंकार करना है। साथ ही जांच के लिए एसीयू द्वारा मांगे गए दस्तावेज या कोई सटीक और पूरी जानकारी प्रदान करने (बिना किसी सीमा के) में विफल होना भी शामिल है।" भ्रष्टाचार से जुड़ी किसी भी जांच के लिए एसीयू द्वारा इस तरह की मांग (चाहे अनुच्छेद 4.3 या अन्यथा के अनुसार औपचारिक मांग के हिस्से के रूप में) जांच का हिस्सा होती है।
साथ ही इन अनुच्छेद का संबंध एसीयू की जांच में बाधा डालना या देरी करने से भी जुड़ा है। इसके अनुसार "संहिता के तहत संभावित भ्रष्ट आचरण के संबंध में एसीयू की जांच में बाधा डालना या देरी करना, जिसमें (सीमा के बिना) छिपाना भी शामिल है। साथ ही ऐसे किसी भी दस्तावेज या अन्य जानकारी के साथ छेड़छाड़ करना या उसे नष्ट करना जो उस जांच के लिए प्रासंगिक हो सकता है या ऐसे दस्तावेज को छिपाना,उसके साथ छेड़छाड़ करना या उसे नष्ट जो संहिता के तहत भ्रष्ट आचरण का सबूत हो या उन सबूतों तक जांच को ले जा सकता हो।"
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