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ऑस्ट्रेलिया बनाम साउथ अफ़्रीका : क्यों स्टार्क और यानसन के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ों को आक्रमण करना चाहिए

ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ़्रीका के मैच में क्या होनी चाहिए दोनों टीमों की रणनीति

अभ्यास सत्र के दौरान मिचेल स्टार्क  AFP/Getty Images

इस विश्व कप में बल्ले के साथ सबसे तेज़ शुरुआत करने के मामले में ऑस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर है। हालांकि गेंदबाज़ी में सबसे ख़राब शुरुआत करने के मामले में भी ऑस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर है। वहीं अगर साउथ अफ़्रीका की बात करें तो बल्लेबाज़ी में उनकी शुरुआत काफ़ी धीमी रही है। इस मामले में तो वह पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से भी पीछे हैं। गेंदबाज़ी के मामले में उनकी टीम का प्रदर्शन बल्लेबाज़ी प्रदर्शन से बिल्कुल उलट है। पावरप्ले में अफ़्रीकी गेंदबाज़ों ने किसी भी टीम की तुलना में सबसे अधिक विकेट झटके हैं।

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साउथ अफ़्रीका की टीम ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेले गए अपने पिछले चार मुक़ाबले में उन्हें मात दी है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया लगातार सात मैच जीतने के बाद पूरी तरह से लय में दिख रही है। इसके अलावा नॉकआउट मुक़ाबलों में साउथ अफ़्रीका की टीम का जो इतिहास है, वह किसी से छुपा नहीं है।

आइए यह जानने का प्रयास करते हैं कि कोलकाता में इन दोनों टीमों कौन-कौन सी रणनीति के तहत चलने पर जीत मिल सकती है।

टॉस जीतने पर क्या करें?

यह एक ऐसा मामला है, जहां ज़्यादा सोचने की ज़रूरत ही नहीं है। साउथ अफ़्रीका को लक्ष्य का पीछा नहीं करना चाहेगा और ऑस्ट्रेलिया चाहेगा कि अफ़्रीकी टीम लक्ष्य का पीछा करे। पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ भले ही साउथ अफ़्रीका की टीम ने चेज़ करते हुए जीत हासिल की थी लेकिन उन मैचों में भी उन्हें अच्छा ख़ासा संघर्ष करना पड़ा था। पिछले चार वनडे मैचों में जहां साउथ अफ़्रीका की टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया है, वहां भी अफ़्रीकी टीम पहले बल्लेबाज़ी ही कर रही थी।

हालांकि मौसम का पूर्वानुमान यह है कि कोलकाता में बारिश होने वाली है। अगर इस कारण से ऑस्ट्रेलिया की टीम पहले गेंदबाज़ी करने के लिए मान जाती है तो इससे साउथ अफ़्रीका की परेशानियां कम हो सकती है।

फिर भी उम्मीद करें कि दोनों पक्ष ओस या बारिश का जोख़िम उठाएंगे क्योंकि पहले बल्लेबाज़ी करने से मिलने वाला फ़ायदा इतना बड़ा है कि उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

टीम संयोजन कैसा होना चाहिए

पहले सेमीफ़ाइनल में भले ही भारत और न्यूज़ीलैंड को अपने टीम संयोजन के बारे में ज़्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं होगी लेकिन दूसरे सेमीफ़ाइनल की दोनों टीमों को अपने प्लेइंग 11 में थोड़ा सोच विचार करना होगा। ऑस्ट्रेलिया को यह सोचना होगा कि वह मार्नस लाबुशेन और मार्कस स्टॉयनिस में से किसका चयन करे। लाबुशेन के टीम में आने से मध्यक्रम को मज़बूती मिलेगी और स्टॉयनिस के टीम में आने से निचले मध्यक्रम को एक आक्रामक बल्लेबाज़ और छठा गेंदबाज़ी विकल्प मिल जाएगा।

हालांकि फ़ॉर्म और टीम का झुकाव थोड़ा सा लाबुशेन के साथ है। बीच के ओवरों में लाबुशेन की बल्लेबाज़ी की आवश्यकता पड़ सकती है। हालांकि लाबुशेन को तभी टीम में शामिल किया जा सकता है, जब ऑस्ट्रेलियाई टीम को यह भरोसा हो कि ट्रैविस हेड और मिचेल मार्श टीम के लिए गेंदबाज़ी कर सकते हैं क्योंकि उनका पांचवां गेंदबाज़ी विकल्प ग्लेन मैक्सवेल हैं। साथ ही बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ लाबुशेन का रिकॉर्ड उनके ख़िलाफ़ जा सकता है क्योंकि बीच के ओवरों में उन्हें केशव महाराज का सामना करना पड़ेगा।

साउथ अफ़्रीका ने कोलकाता में अपने लीग मैच में तबरेज़ शम्सी को शामिल किया था। शम्सी का प्रदर्शन उस मैच में बहुत अच्छा नहीं था, लेकिन उन्होंने परिस्थितियों को अच्छी तरह से समझा: पिच में स्पिनरों के लिए काफ़ी मदद थी। कुल मिलाकर अफ़्रीकी टीम को शम्सी और जेराल्ड कोएत्‍ज़ी के बीच में किसी एक को चुनना होगा। कोएत्‍ज़ी निचले क्रम की बल्लेबाज़ी में आक्रमकता भी लाएंगे।

स्टार्क पर दबाव डालिए

मिचेल स्टार्क को इस विश्व कप में स्विंग करने वाली परिस्थितियों में गेंदबाज़ी करने के अधिक मौके़ नहीं मिले हैं, जो आंशिक रूप से उनकी इकॉनमी रेट 6.55 और औसत 43.9 को दर्शाता है। कोलकाता में भी गेंद ज़्यादा स्विंग या सीम नहीं हुआ है। इसलिए विशेष रूप से यदि साउथ अफ़्रीका लक्ष्य का पीछा करेगा तो शायद स्टार्क को निशाना बनाया जा सकता है क्योंकि हमने देखा है कि आम तौर पर यदि आप इस टूर्नामेंट में लक्ष्य का पीछा करने में पिछड़ जाते हैं, तो वापसी का कोई रास्ता नहीं है।

मैक्सवेल को ज़ैम्पा से पहले गेंदबाज़ी दी जाए

साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ अपने पिछले तीन मैचों में ऐडम ज़ैम्पा ने 63.25 की औसत और 8.43 प्रति इकॉनमी से रन ख़र्च किए हैं। उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया ज़ैम्पा से पहले मैक्सवेल के साथ जाएगा, कम से कम इसलिए नहीं क्योंकि क्विंटन डिकॉक को हाल ही में ऑफ़ स्पिन पसंद नहीं आई है। इस विश्व कप में ऑफ़ स्पिन के ख़िलाफ़ उनका स्ट्राइक रेट 78.37 रहा है। जब वह ऑफ़ स्पिनरों के ख़िलाफ़ दबाव में होते हैं तो उसे कम करने के लिए वह रिवर्स स्वीप लगाते हैं और ऐसा करते हुए पिछले छह प्रयासों में वह दो बार आउट हुए हैं।

साउथ अफ़्रीका के लिए समस्या यह है कि ऑफ़ स्पिन के ख़िलाफ़ तेम्बा बवूमा के आंकड़े और भी ख़राब हैं। अगर ऐसी स्थिति आती है जहां डिकॉक मैक्सवेल के ख़िलाफ़ फंस जाते हैं, तो उन्हें क्षतिपूर्ति के लिए रासी वैन दर दुसें और दूसरे बल्लेबाज़ों की आवश्यकता होगी।

रिवर्स स्विंग मैच में ला सकती है ट्विस्ट

साउथ अफ़्रीका का प्रयास यह रहा है कि शुरुआत में सधी हुई बल्लेबाज़ी की जाए और इसके बाद लगातार रन रेट को बढ़ाया जाए। अंतिम के ओवरों में साउथ अफ़्रीकी बल्लेबाज़ी सबसे ज़्यादा ख़तरनाक रही है। हालांकि यह याद रखा जाना चाहिए कि कोलकाता में पाकिस्तान के गेंदबाज़ों को स्विंग मिली थी। अगर ऑस्ट्रेलिया की टीम शुरुआत में विकेट नहीं निकाल पाती है तो रिवर्स स्विंग तलाशना उनके लिए बहुत ज़रूरी हो जाएगा।

साउथ अफ़्रीका की टीम भी अगर पहले गेंदबाज़ी करती है तो वह इसी प्रयास में रहेगी। अगर ऐसा होता तो हमें क्रॉस सीम गेंदबाज़ी देखने के लिए तैयार रहना चाहिए।

यानसन को टारगेट कीजिए

साउथ अफ़्रीका के इस विश्व कप में सफल होने का एक बड़ा कारण मार्को यानसन रहे हैं। यहां तक ​​कि जब वह गेंद को स्विंग नहीं करा रहे होते तब भी उनकी ऊंचाई से उन्हें बहुत फ़ायदा मिलता है। हालांकि दो मैच ऐसे रहे हैं जहां वह 90 से अधिक रन दे चुके हैं।

पिछले कुछ मैचों के रुझानों से पता चलता है कि अगर यानसन अपने ज़ोन में आ जाए तो वह ख़तरनाक हो जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया शायद चाहेगा कि हेड और मार्श यानसन के ख़िलाफ़ आक्रमण करें, जबकि डेविड वॉर्नर दूसरे छोर पर सामान्य रूप से बल्लेबाज़ी करते रहें।

बीच के ओवरों में महाराज खेल बदल सकते हैं

साउथ अफ़्रीका चाहेगा कि जब तक महाराज गेंदबाज़ी करने आए उनके तेज़ गेंदबाज़ पहले तीन बल्लेबाज़ों को आउट कर दें। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लाबुशेन और स्टीव स्मिथ बाएं हाथ के स्पिनरों के ख़िलाफ़ सहज नहीं हैं। रवींद्र जाडेजा और मिचेल सैंटनर ने इन दोनों बल्लेबाज़ों को विश्व कप के लीग स्टेज में आउट किया था।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के असिस्टेंट एडिटर हैं