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लखनऊ : पाकिस्तान की पहली टेस्ट जीत, सिद्धू की आतिशबाज़ी और कुंबले के पहले 10-विकेट का गवाह शहर

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के 100 अंतर्राष्ट्रीय शतकों में से एक शतक का नाता नवाबों के इस शहर से भी है

इमरान ख़ान ने लखनऊ में एक जुझारू पारी खेली थी  Getty Images

विश्व कप में भारतीय टीम का कारवां लखनऊ पहुंच चुका है, जहां रविवार को उनका सामना गत विजेता इंग्लैंड से होगा। यह पहली बार है जब नवाबों का शहर कहे जाने वाला लखनऊ विश्व कप की मेज़बानी कर रहा है और भारत पहली बार यहां पर कोई विश्व कप मैच खेलेगा।

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लखनऊ में यूं तो तीन स्टेडियम ऐसे हैं, जहां पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेले गए हैं, लेकिन यह भी सच है कि इन मैचों की संख्या गिनती भर ही है। भारत ने यहां पर सिर्फ़ इकाई की संख्या में अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबले खेले हैं।

हालांकि संख्या में कम होने के बावजूद इस ऐतिहासिक शहर में कुछ दिलचस्प और ऐतिहासिक मैच हुए हैं, जिन्हें क्रिकेट प्रशंसक और विशेषज्ञ लंबे समय तक याद रखते हैं। आइए डालते हैं ऐसे ही कुछ प्रमुख लखनऊवां मुक़ाबलों पर नज़र।

पाकिस्तान का पहला अंतर्राष्ट्रीय दौरा और पहली टेस्ट जीत

बात 1952 की है। भारत का विभाजन हो चुका था और पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ के लिए पाकिस्तान पहली बार किसी अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर भारत आई थी। पहला मैच दिल्ली में हुआ, जहां भारत के शीर्ष ऑलराउंडर वीनू मांकड़ की पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 5 विकेट की बदौलत भारत ने मैच को पारी और 70 रनों से जीत लिया।

सीरीज़ का दूसरा मैच लखनऊ के यूनिवर्सिटी ग्राउंड में खेला गया, जो कि लखनऊ का पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच भी था। इस मैच में पहले टेस्ट के हीरो वीनू मांकड़ और दोनों अर्धशतकवीर विजय हज़ारे और हेमू अधिकारी नहीं खेल रहे थे। भारत के कप्तान लाला अमरनाथ ने जूट मैटिंग विकेट पर टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया, जो कि पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ों महमूद हुसैन और फ़ज़ल महमूद के सामने ग़लत साबित हुआ। दोनों ने क्रमशः तीन और पांच विकेट निकालकर भारतीय बल्लेबाज़ी क्रम की रीढ़ ही तोड़ डाली और भारतीय टीम सिर्फ़ तीन घंटे और 25 मिनट के भीतर ही 106 रन के स्कोर पर ऑलआउट हो गई।

फ़ज़ल महमूद (फ़ाइल फ़ोटो), विभाजन से पहले वह पंजाब और उत्तर भारत के लिए भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल चुके थे  Getty Images

जवाब में बल्लेबाज़ी करने उतरी पाकिस्तानी टीम ने अपने सलामी बल्लेबाज़ नज़र मोहम्मद की 515 मिनटों में खेली गई नाबाद 124 रन की मैराथान पारी की बदौलत 331 रन का अपेक्षाकृत बड़ा स्कोर खड़ा किया। यह किसी भी पाकिस्तानी बल्लेबाज़ का टेस्ट मैचों में पहला शतक था। दूसरी पारी में फ़ज़ल तो और भी घातक साबित हुए और उन्होंने सात विकेट लेकर भारतीय पारी को 182 रन पर समेट दिया और पाकिस्तानी टीम पारी और 43 रनों से जीतकर टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली सफलता का जश्न मना रही थी।

इमरान की सूझ-बूझ भरी पारी, श्रीलंका का कोलैप्स

इसके बाद इस शहर में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट पूरे 37 सालों बाद 1989 में लौटा, जब भारत अपने पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म शताब्दी वर्ष मना रहा था। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने नेहरू की याद में नेहरू कप का आयोजन किया, जिसमें मेज़बान भारत के अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ भी भाग ले रहे थे।

इस टूर्नामेंट का 14वां मुक़ाबला पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच लखनऊ के के डी सिंह बाबू स्टेडियम में खेला गया। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पाकिस्तान ने अपने कप्तान इमरान ख़ान की 84 रन की पारी की बदौलत निर्धारित 50 ओवरों में 6 विकेट खोकर 219 का स्कोर खड़ा किया। जवाब में एक समय हाशन तिलकरत्ने (71) और अरविंद डिसिल्वा (83) के बीच हुई तीसरे विकेट की 150 रनों की साझेदारी की बदौलत श्रीलंकाई टीम आसानी से लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी। लेकिन 187 के स्कोर पर तिलकरत्ने एक ग़फ़लत की वजह से रन आउट हो गए और श्रीलंकाई टीम अगले 26 रनों के भीतर कोलैप्स होकर 6 रन से यह मुक़ाबला हार गई थी।

इस मैच के दौरान पाकिस्तानी टीम को लखनऊ के दर्शकों का भरपूर समर्थन मिला था, जिसकी बाद में इमरान और जावेद मियांदाद ने भी तारीफ़ की थी।

जब सिद्धू ने मुरली को नचाया

सचिन तेंदुलकर के शतक का भी गवाह रहा है यह शहर  The Hindu Photo Archives

जहां पाकिस्तानी टीम को लखनऊ में खेले गए अपने दो मुक़ाबले में से दोनों में सफलता मिली थी, वहीं भारतीय टीम को यहां पर अपनी पहली जीत का इंतज़ार था। यह इंतज़ार जनवरी 1994 में समाप्त हुआ, जब श्रीलंकाई टीम तीन टेस्ट और तीन वनडे मैचों की सीरीज़ खेलने भारत आई। इस सीरीज़ का पहला टेस्ट लखनऊ के के डी सिंह बाबू स्टेडियम में हुआ, जहां भारतीय टीम ने नवजोत सिंह सिद्धू (124) व सचिन तेंदुलकर (142) के शतकों और मध्यक्रम के बल्लेबाज़ों की उपयोगी पारियों की बदौलत 511 का बड़ा स्कोर खड़ा किया।

टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक 800 विकेट लेने वाले मुथैय्या मुरलीधरन को अपनी जादुई स्पिन की बदौलत बल्लेबाज़ों को नचाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इस मैच में भारतीय सलामी बल्लेबाज़ सिद्धू ने मुरली को अपनी बल्लेबाज़ी की धुन पर ता-ता थैय्या कराया था। वह मुरली पर सबसे अधिक मेहरबान थे और उन्होंने अपनी पारी के आठ में से छह छक्के मुरली के ही ऊपर जड़े। हालांकि मुरली ने इस पारी के दौरान पांच विकेट लिए, जो भारतीय स्पिन ग्रेट अनिल कुंबले के लिए शुभ संकेत थे।

श्रीलंका ने भी अपने सलामी बल्लेबाज़ों रोशन महानामा (73) और दलीप समरावीरा (42) के 120 रन की साझेदारी की बदौलत अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन इसके बाद कुंबले का जादू शुरू हुआ और उन्होंने महानामा के साथ-साथ श्रीलंकाई बल्लेबाज़ी की रीढ़ हाशन तिलकरत्ने और अरविंद डिसिल्वा को भी चलता किया। कुंबले ने इस पारी में कुल 4 विकेट लिए और श्रीलंका 218 पर ऑलआउट होकर 293 रनों से पीछे थी।

भारतीय कप्तान मोहम्मद अज़हरूद्दीन ने घूमती हुई पिच पर श्रीलंका को फॉलोऑन खिलाया। चोटिल उंगली के साथ खेल रहे कुंबले दूसरी पारी के दौरान तो और भी घातक हो गए। उन्होंने 7 विकेट लेकर श्रीलंकाई बल्लेबाज़ी क्रम की रीढ़ ही तोड़ दी और मैच को पांचवें दिन तक जाने ही नहीं दिया। यह कुंबले की टेस्ट करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी थी और 11 विकेटों के साथ उन्होंने पहली बार 10-विकेट हॉल के रिकॉर्ड को भी अपने नाम किया था।

इस मैच को याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और लखनऊ के पूर्व क्रिकेटर संतोष सूरी कहते हैं, "जहां पहले दिन एक छोर पर सचिन ज़िम्मेदारी से बल्लेबाज़ी कर रहे थे, वहीं दूसरे छोर पर नवजोत छक्के लगा-लगाकर मुरली को दिन में तारे दिखा रहे थे। पहले दिन का खेल समाप्त होने के बाद सचिन 88 रन पर थे और लग रहा था कि दूसरे दिन उन्हें शतक बनाने में कुछ समय लग सकता है। लेकिन सचिन ने अपना शतक पूरा करने में बस एक ही ओवर लिए। उन्होंने तेज़ गेंदबाज़ प्रमोद्या विक्रमसिंघे पर एक के बाद एक तीन चौके जड़े और 25000 दर्शकों को रोमांचित कर दिया। वैसे तो टेस्ट मैचों में दिन शुरू होने के बाद धीरे-धीरे स्टैंड भरते हैं, लेकिन चूंकि सचिन का शतक होने वाला था, इसलिए लखनऊ की जनता खेल शुरू होने से पहले ही स्टेडियम को भर चुकी थी। बाद के दिनों में अनिल कुंबले ने अपना पहला 10-विकेट हॉल लिया, जो कि सचिन और सिद्धू की पारियों के बाद सोने पर सुहागा जैसा था।"

रोहित का आतिशी शतक

पांच साल पहले की रोहित शर्मा की आतिशी शतकीय पारी को लखनऊ के युवा दर्शक अभी भी याद करते हैं  Associated Press

लखनऊ के नवनिर्मित इकाना स्टेडियम में भारत ने अपना पहला मुक़ाबला नवंबर 2018 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ खेला। यह इस स्टेडियम का भी पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच था, जहां पर भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने अपना चौथा और आख़िरी टी20आई शतक जड़ा था।

टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम ने रोहित और शिखर धवन की 14 ओवर में हुई 123 रनों की साझेदारी की मदद से निर्धारित 20 ओवरों में 195 रन जड़े थे। शिखर जहां एक छोर पर 100 के आस-पास के स्ट्राइक रेट से रन बना रहे थे, वहीं दूसरी छोर पर रोहित 180 के ऊपर के स्ट्राइक रेट से तोड़-फोड़ मचा रहे थे। उन्होंने 8 चौकों और 7 छक्कों की मदद से इस पारी में नाबाद 111 रन बनाए, जिसकी बदौलत भारतीय टीम 200 के क़रीब पहुंची। वहीं बाक़ी का काम भारतीय गेंदबाज़ों ने किया और वेस्टइंडीज़ की टीम निर्धारित 20 ओवरों में सिर्फ़ 124 रन ही बना सकी।

रोहित इस विश्व कप में एक शतक, एक अर्धशतक और दो 40+ रन की पारियों की मदद से 311 रनों के साथ इस विश्व कप में सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में छठे स्थान पर हैं। लखनऊ के दर्शकों को भारतीय कप्तान से एक बार फिर से ऐसी ही पारी की उम्मीद होगी।

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दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95