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विश्व कप टॉप 5 : तेंदुलकर का गेंद और बल्ले से कमाल, जब कोहली बने चेज़मास्टर, ईडन में भारत के यादगार पल

जब भारत और साउथ अफ़्रीका कोलकाता में खेलेंगे, तो इसी मैदान पर खेली गई कुछ अविस्मरणीय मुक़ाबले भी याद आएंगे

विराट कोहली ने 2009 में कोलकाता में ही अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय शतक जड़ा था  Getty Images

5 नवंबर को 2023 विश्व कप के लीग स्टेज की दो सबसे मज़बूत टीमें कोलकाता के प्रसिद्ध ईडन गार्डंस मैदान पर आमने-सामने आएंगी। वैसे इस ऐतिहासिक मैदान पर भारत और साउथ अफ़्रीका के बीच यह चौथा वनडे अंतर्राष्ट्रीय मैच होगा - मार्च 2020 में कोविड के चलते एक और मैच पूरी तरह कैंसिल कर दिया गया था।

फ़रवरी 1987 से आयोजित हो रहे वनडे मैचों में भारत ने कई यादगार मुक़ाबलों में हिस्सा लिया है। आईए आपको पांच सर्वश्रेष्ठ मैचों की याद दिलाते हैं।

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5. शास्त्री जी का कमाल (1988)

ईडन गार्डंस में पहले तीन मैच 1987 में खेले गए थे, जिनमें उस साल का विश्व कप फ़ाइनल आख़िरी मैच था। अगले साल 2 जनवरी को भारत ने वेस्टइंडीज़ से यहां खेले गए अगले मुक़ाबले को 56 रनों से जीता।

शायद यह मार्जिन उतना अनोखा नहीं लगता होगा, लेकिन सात मैच की सीरीज़ में तीसरे वनडे में जीत भारत के लिए इस सीरीज़ में इकलौती जीत रही। हालांकि भारत ने उस समय की प्रमुख टीम के साथ टेस्ट सीरीज़ भी 1-1 की बराबरी पर फ़िनिश किया। मैच में मोहिंदर अमरनाथ (70), अरुण लाल (51) और मोहम्मद अज़हरउद्दीन (44) ने उपयोगी पारियां खेली और फिर मनिंदर सिंह (2/19) और कपिल देव (2/20) की अगुवाई में कसी हुई गेंदबाज़ी ने वेस्टइंडीज़ को 42वें ओवर में ऑल आउट कर दिया। इस दौरे पर नियमित कप्तान दिलीप वेंगसरकर के चोटिल होने पर रवि शास्त्री ने कई बार मोर्चा संभाला। इस मैच में ही तीन युवा डेब्यू कर रहे थे - स्पिन ऑलराउंडर के तौर पर खेल रहे वूरकरी रामन और अजय शर्मा, तथा तेज़ गेंदबाज़ संजीव शर्मा। शास्त्री ने तीनों को जीत में कुछ योगदान करने का मौक़ा दिया और ख़ुद भी तेज़ बल्लेबाज़ी की और दो अहम विकेट भी निकाले।

1991 में ईडन गार्डंस ने साउथ अफ़्रीका का ज़बरदस्त अभिवादन किया था  PA Photos

4. डॉनल्ड बनाम तेंदुलकर (1991)

कोलकाता को भारतीय शहरों में खेल की राजधानी का दर्जा क्यों दिया जाता है, यह साउथ अफ़्रीका से बेहतर कोई नहीं जानता। अपार्थाइड के जघन्य व्यवस्था के चलते 21 सालों के प्रतिबंध के बाद 1992 विश्व कप से कुछ दिनों पहले इस टीम ने अपना पहला औपचारिक वनडे मैच क्लाइव राइस की कप्तानी में ईडेन गार्डंस में ही खेला।

खचाखच भरे मैदान ने उनका अभिवादन किया, लेकिन कपिल देव के पहले ही ओवर में ऐंड्र्यू हडसन ने अपना विकेट गंवाया। केप्लर वेसेल्स ने अर्धशतक बनाया लेकिन टीम केवल 177 तक पहुंची।

जवाब में ऐलन डॉनल्ड ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहली बार बताया कि उनको 'व्हाइट लाइटनिंग' क्यों कहा जाने लगा। शास्त्री, नवजोत सिद्धू और संजय मांजरेकर के विकेटों के बाद भारत का स्कोर 20/3 था। ऐसे में 18-वर्षीय सचिन तेंदुलकर (62) और उन्हीं के कोच रमाकांत आचरेकर द्वारा प्रशिक्षित डेब्यू कर रहे प्रवीण आमरे (55) ने पारी को संभाला। दोनों को आउट करते हुए डॉनल्ड ने पंजा खोला लेकिन आख़िर में जीत तीन विकेट से भारत की रही।

3. चेज़मास्टर का जन्म (2009)

एक शक्तिशाली श्रीलंकाई टीम के लिए ओपनर उपुल थरंगा (118) ने टॉस जीतने के बाद अपनी टीम को 315 के स्कोर पर पहुंचाया। जवाब में कप्तानी कर रहे वीरेंद्र सहवाग और तेंदुलकर जल्दी आउट हो गए, लेकिन वहां से दो दिल्लीवालों की साझेदारी जमी। गौतम गंभीर ने अपने स्थिर अंदाज़ में पारी को बढ़ाया तो दूसरी छोर पर एक युवा बल्लेबाज़ ने तेज़ बल्लेबाज़ी करते हुए अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय शतक लगाया। गंभीर को अपने अविजित 150 रनों के लिए प्लेयर ऑफ़ द मैच का ख़िताब मिला, लेकिन उन्होंने प्रेज़ेंटेशन में उस युवा शतकवीर को अपना अवॉर्ड पकड़ा दिया।

शायद गंभीर को लगा की पूत के पांव तो पालने में ही दिख जाते हैं। 14 वर्ष बाद सारी दुनिया दूसरी पारी के दौरान विराट कोहली के कौशल का लोहा कई बार मान चुकी है।

2. पहली बार में हाहाकार (1987)

(फ़ाइल फ़ोटो) सलीम मलिक की भी कोलकाता से ज़बरदस्त यादें जुड़ी हैं  Ben Radford / Getty Images

फ़रवरी 1987 में भारत-पाकिस्तान के बीच सीरीज़ का दूसरा वनडे ईडेन गार्डंस में पहला वनडे मैच था। कृष्णमचारी श्रीकांत ने 123 रन ठोककर विश्व चैंपियन भारत को 40 ओवर में 238 के स्कोर तक पहुंचाया। पाकिस्तान के लिए रमीज़ राजा और डेब्यू कर रहे यूनिस अहमद ने शतकीय साझेदारी में अर्धशतक बनाए। (फ़न फ़ैक्ट : अहमद 1947 में भारत में जन्मे थे और 1969 में पाकिस्तान के लिए खेल चुके थे और इस दौरे पर कप्तान इमरान ख़ान ने उन्हें लगभग 18 साल बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लौटने का अवसर दिया।)

शास्त्री की स्पिन से भारत ने वापसी करते हुए 68 रन पर छह विकेट निकाल लिए, लेकिन सलीम मलिक चट्टान की तरह खड़े रहे और उनके बल्ले से केवल 36 गेंदों पर 72 नाबाद की पारी (आज से 36 साल पहले, ध्यान रहे) के चलते पाकिस्तान ने आख़िरी ओवर में मैच दो विकेट से निकाल लिया।

1. तेंदुलकर बनाम डॉनल्ड (1993)

1993 में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल (सीएबी) ने अपने 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर छह टीमों के हीरो कप का आयोजन किया, हालांकि आख़िर में पाकिस्तान इस टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं बना। राउंड रॉबिन के बाद भारत और साउथ अफ़्रीका का सेमीफ़ाइनल कोलकाता के एक धीमी पिच पर खेला गया।

पहले बल्लेबाज़ी करते हुए कप्तान अज़हर (90) और आमरे (48) ही पिच को समझ पाए और भारत को 195 के स्कोर तक ले गए। जवाब में हडसन (62) और ब्रायन मैक्मिलन (48 नाबाद) ने मेहमान को मैच में बनाए रखा। आख़िर में विकेटकीपर डेविड रिचर्डसन ने भी उपयोगी 15 रन बनाए लेकिन अंतिम ओवर शुरू होने से पहले रन आउट हो गए।

1991 और 1993 दोनों में जीत तेंदुलकर की रही  Phil O'Brien / PA Photos/Getty Images

आख़िरी ओवर में छह रन की ज़रूरत थी और कई सीनियर गेंदबाज़ के ओवर बचे थे। अज़हर यह सोच ही रहे थे कि जवागल श्रीनाथ, कपिल देव, सलिल अंकोला या अजय जाडेजा (जिन्होंने नौ ओवर में 2/31 दिए थे) में से किसे गेंद थमाई जाए, कि तेंदुलकर ने अपना पहला ओवर डालने का सुझाव दिया। अपने मिश्रण से उन्होंने बल्लेबाज़ों से ग़लतियां करवाई, फ़ानी डीविलियर्स रन आउट हुए और डॉनल्ड चार में से तीन गेंदों पर संपर्क नहीं कर पाए और भारत ने मैच दो रन से जीता

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देबायन सेन ESPNcricinfo में सीनियर सहायक एडिटर हैं और स्थानीय भाषा प्रमुख हैं @debayansen