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सुनील गावस्कर के एकमात्र वनडे शतक और चेतन शर्मा के हैट्रिक का गवाह रहा है भारत-न्यूज़ीलैंड मुक़ाबला

ICC वनडे टूर्नामेंट्स में भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच हुए 12 मुक़ाबलों में कीवी टीम 6-5 से आगे हैं

शमी न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ ICC वनडे मुक़ाबलों में दो बार पंजा ले चुके हैं  Associated Press

चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2025 में रविवार को भारत अपने आख़िरी ग्रुप मुक़ाबले में न्यूज़ीलैंड से भिड़ेगा। चैंपियंस ट्रॉफ़ी में भारत और इंग्लैंड की भिड़ंत बस एक बार हुई है। 2000 के इस फ़ाइनल में सौरव गांगुली के शतक के बावजूद कीवी टीम ने भारत को चार विकेट से हराया था और पहली बार कोई ICC टूर्नामेंट जीता था।

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हालांकि अगर ICC वनडे टूर्नामेंट्स में भारत और न्यूज़ीलैंड के मुक़ाबलों की बात की जाए तो कीवी टीम का पलड़ा थोड़ा सा भारी नज़र आता है। दोनों टीमें ICC वनडे टूर्नामेंट्स में अब तक 12 बार एक-दूसरे से भिड़ चुकी हैं, जिसमें छह बार न्यूज़ीलैंड, जबकि पांच बार भारतीय टीम को जीत मिली है, वहीं एक मुक़ाबला रद्द हो गया था।

विश्व कप, 1975

शॉट खेलते टर्नर (फ़ाइल फ़ोटो)  Getty Images

किसी ICC टूर्नामेंट में भारत और न्यूज़ीलैंड की यह पहली भिड़ंत थी। मैनचेस्टर में हुए इस मुक़ाबले में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए भारतीय टीम ने आबिद अली के 70 रनों की मदद से निर्धारित 60 ओवरों में 230 रन बनाए थे। तब वनडे मुक़ाबला 60 ओवरों का होता था।

जवाब में न्यूज़ीलैंड की टीम कप्तान और सलामी बल्लेबाज़ ग्लेन टर्नर के शतकीय पारी की मदद से इस लक्ष्य को 59वें ओवर में प्राप्त कर लिया। भारतीय गेंदबाज़ों ने कसी हुई गेंदबाज़ी तो की लेकिन विकेट नहीं निकाल पाए। बल्लेबाज़ी में अर्धशतक के बाद गेंदबाज़ी में भी आबिद ने दो विकेट लिए।

विश्व कप, 1979

इस बार टॉस न्यूज़ीलैंड ने जीता, लेकिन उन्होंने भारत को बल्लेबाज़ी के लिए आमंत्रित किया। भारत निर्धारित 60 ओवर नहीं खेल सका और 55.5 ओवरों में सिर्फ़ 182 के स्कोर पर ऑलआउट हो गया। सुनील गावस्कर ने 55 रन ज़रूर बनाए, लेकिन इसके लिए उन्होंने 144 गेंदें ले लीं। कपिल देव और करसन घावरी को छोड़कर भारत का कोई भी बल्लेबाज़ 90 के स्ट्राइक रेट को पार नहीं कर सका, बाक़ी बल्लेबाज़ कठिन परिस्थितियों में 50-60 के स्ट्राइक रेट में झूलते रहें। हालांकि तब समय दूसरा था और क्रिकेट भी इसी तरह का होता था।

न्यूज़ीलैंड ने लक्ष्य को 57 ओवरों में सिर्फ़ दो विकेट खोकर प्राप्त कर लिया। एक बार फिर से न्यूज़ीलैंड के सलामी बल्लेबाज़ों ने जीत की नींव रखी। ब्रूस एगर ने शानदार 84 रन बनाए और भारत के पूर्व कोच जॉन राइट ने उनका बेहतरीन साथ देते हुए पहले विकेट के लिए 100 रनों की साझेदारी की। राइट 48 रन बनाकर मोहिंदर अमरनाथ का शिकार हुए। इसके बाद ग्लेन टर्नर ने फिर से खूंटा गाड़ लिया और न्यूज़ीलैंड को जिताकर ही वापस आए।

जॉन राइट (फ़ाइल फ़ोटो)  Getty Images

विश्व कप, 1987

1983 में जिस साल भारत ने विश्व कप जीता, उस साल भारत और न्यूज़ीलैंड का एक भी मैच नहीं हुआ। लेकिन 1987 में जब विश्व कप पहली बार भारत आया, तो कीवी टीम से मेज़बानों की दो बार भिड़ंत हुई और दोनों बार भारतीय टीम ने जीत दर्ज कर मुक़ाबले को 2-2 से बराबर कर लिया।

ग्रुप ए में भारत और न्यूज़ीलैंड की टीमें एक साथ थीं और राउंड रॉबिन के आधार पर सभी टीमों का एक साथ दो-दो बार मुक़ाबला होना था। पहला मुक़ाबला बेंगलुरू में हुआ, जहां भारतीय टीम ने न्यूज़ीलैंड पर 16 रनों की जीत दर्ज की। कप्तान कपिल देव ने 58 गेंदों में शानदार 72 रन बनाए और नवजोत सिद्धू (71 गेंदों में 75) के साथ भारत को 50 ओवरों में 252 के अच्छे स्कोर तक ले गए। जवाब में न्यूज़ीलैंड की टीम निर्धारित ओवरों में 236 के स्कोर तक ही पहुंच सकी।

दोनों टीमों के बीच दूसरा ग्रुप मुक़ाबला नागपुर में हुआ और यह मैच ऐतिहासिक हो गया, क्योंकि महान सुनील गावस्कर ने अपने वनडे करियर का एकमात्र वनडे शतक इसी मैच में बनाया था, वहीं चेतन शर्मा ने इसी मैच में हैट्रिक ली थी। यह भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पहली, जबकि विश्व कप में किसी भी गेंदबाज़ की पहली हैट्रिक थी।

न्यूज़ीलैंड की टीम पहले बल्लेबाज़ी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में सिर्फ़ 221 रन बना सकी, जवाब में गावस्कर के शतक, श्रीकांत के 75 और अज़हरूद्दीन के 41 रनों की मदद से भारत ने नौ विकेट की एक बड़ी जीत दर्ज की। इस पारी की सबसे बड़ी बात यह रही कि गावस्कर और श्रीकांत दोनों ने 100 के ऊपर के स्ट्राइक रेट से रन बनाए और भारत ने सिर्फ़ 32.1 ओवरों में लक्ष्य को हासिल कर लिया।

चेतन शर्मा (फ़ाइल फ़ोटो)  Getty Images

विश्व कप, 1992

यह विश्व कप न्यूज़ीलैंड में हो रहा था और दिन के मुक़ाबले में डुनेडिन की मददग़ार परिस्थितियों का फ़ायदा उठाने के लिए न्यूज़ीलैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया। अपना पहला विश्व कप खेल रहे सचिन तेंदुलकर ने नंबर चार पर आते हुए 84 रनों की पारी खेली, लेकिन भारतीय टीम निर्धारित 50 ओवरों में छह विकेट खोकर सिर्फ़ 230 रन ही बना सकी। क्रिस हैरिस ने तीन और दीपक पटेल ने दो विकेट लिए, वहीं भारतीय कप्तान मोहम्मद अज़हरूद्दीन ने 98 गेंदों में 55 रनों की पारी खेली।

जवाब में मार्क ग्रेटबैच (73) और ऐंड्रयू जोंस (67) के अर्धशतकों की मदद से न्यूज़ीलैंड ने लक्ष्य को 47.1 ओवरों में ही प्राप्त कर लिया। मनोज प्रभाकर ने तीन और वेंकटपति राजू ने दो विकेट लिए, लेकिन यह भारत के काम नहीं आया व एक और विश्व कप मुक़ाबला न्यूज़ीलैंड के नाम था।

विश्व कप, 1999

इस बार भारतीय शीर्ष क्रम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, अजय जाडेजा और मोहम्मद अज़हरूद्दीन जैसे नाम थे, लेकिन फिर भी भारतीय टीम निर्धारित 50 ओवरों में सिर्फ़ 251 रन ही बना सकी। सबको शुरुआत मिली, लेकिन जाडेजा (76) को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज़ 30 से अधिक का स्कोर नहीं बना सका। जवाब में मैट हॉर्न के 74 और रॉबर्ट टोज़ के 60 रनों की बदौलत न्यूज़ीलैंड ने 49वें ओवर में लक्ष्य को हासिल कर लिया।

अजय जाडेजा (फ़ाइल फ़ोटो)  Graham Chadwick / Getty Images

विश्व कप, 2003

इस मैच के हीरो ज़हीर ख़ान रहें, जिन्होंने मददग़ार परिस्थितियों में चार विकेट लेकर कीवी बल्लेबाज़ों को झकझोर दिया। ज़हीर ने पहले ही ओवर में लगातार गेंदों पर क्रेग मकमिलन और नेथन ऐस्टल को आउट कर न्यूज़ीलैंड के स्कोर को शून्य रन पर दो विकेट कर दिया था। इसके बाद से कभी भी कीवी टीम उबर नहीं सकी और सिर्फ़ 45.1 ओवरों में 146 रनों पर ऑलआउट हो गई।

जवाब में मोहम्मद कैफ़ के 68 और राहुल द्रविड़ के 53 रनों की मदद से भारतीय टीम ने लक्ष्य को 41वें ओवर में प्राप्त कर लिया। हालांकि भारत की भी शुरुआत ख़राब रही थी और उन्होंने पांचवें ओवर में ही वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली के विकेट 21 रनों पर गंवा दिए थे। लेकिन कैफ़ और द्रविड़ ने संयम दिखाते हुए एक धीमी शतकीय साझेदारी की और 41वें ओवर में भारत जीत की दहलीज़ पर खड़ा था।

द्रविड़ और कैफ़ के बीच बेहतरीन साझेदारी  Reuters

विश्व कप, 2019

16 सालों बाद भारतीय टीम किसी वनडे विश्व कप मुक़ाबले में न्यूज़ीलैंड से भिड़ रही थी, लेकिन यह मुक़ाबला बारिश के कारण बिना कोई गेंद फेंके रद्द हो गया। हालांकि सेमीफ़ाइनल में भारतीय टीम फिर से न्यूज़ीलैंड से भिड़ी और इस बार मुक़ाबला कीवी टीम के नाम रहा। न्यूज़ीलैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए केन विलियमसन (67) और रॉस टेलर (74) के अर्धशतकों की मदद से निर्धारित 50 ओवरों में 239 का स्कोर बनाया। भारत की तरफ़ से भुवनेश्वर कुमार ने तीन विकेट लिए।

भारत की बल्लेबाज़ी क्रम और फ़ॉर्म को देखते हुए यह लक्ष्य आसान कहा जा सकता था। लेकिन जब भारत के पहले चार विकेट सिर्फ़ 24 रनों पर गिर गए, तो फिर से यह लक्ष्य मुश्किल हो गया। रोहित शर्मा, केएल राहुल और विराट कोहली सभी एक-एक रन के निजी स्कोर पर आउट हुए। मैट हेनरी और ट्रेंट बोल्ट ने भारत के शीर्ष क्रम को झकझोर कर रख दिया।

यह धोनी की आख़िरी अंतर्राष्ट्रीय पारी थी  Getty Images

हालांकि इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी (72 गेंदों में 50) और रवींद्र जाडेजा (59 गेंदों में 77) की मदद से भारत लक्ष्य के बेहद क़रीब पहुंचने में क़ामयाब रहा। जब तक धोनी और जाडेजा क्रीज़ पर थे, लग रहा था कि भारत मैच जीतकर फ़ाइनल में पहुंच जाएगा। लेकिन चार गेंदों के अंतराल में दोनों का विकेट गिरने के बाद समीकरण भारत के लिए मुश्किल हो गई। यह मैच भारत के सफलतम कप्तानों में से एक धोनी के अंतर्राष्ट्रीय करियर का आख़िरी मैच साबित हुआ।

विश्व कप 2023

2023 वनडे विश्व कप के दौरान शमी  Associated Press

इस विश्व कप में भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड से दो बार भिड़ी। जहां पहली बार लीग मुक़ाबले में भारत ने मोहम्मद शमी के पांच विकेट और विराट कोहली के 95 रनों की मदद से न्यूज़ीलैंड को चार विकेट से हराया। वहीं सेमीफ़ाइनल में शमी ने फिर से पंजा खोलते हुए सात विकेट लिए और कोहली ने इस बार नर्वस नाइंटीज़ को पार करते हुए शानदार शतक लगाया। श्रेयस अय्यर ने भी इस मैच में शतक लगाया और भारतीय टीम यह मुक़ाबला बेहद आसानी से 70 रनों से जीतकर फ़ाइनल में पहुंची थी।

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दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95