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भारत vs ऑस्ट्रेलिया: क्या पावरप्ले को जीतने वाली टीम बनेगी विश्व कप चैंपियन ?

एक नज़र उन महत्वपूर्ण रणनीतियों पर जो विश्व कप फ़ाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया के लिए काफ़ी कारगार साबित हो सकती है

फ़ाइनल मैच के पिच को काफ़ी क़रीब से देखते हुए भारतीय कप्तान रोहित शर्मा  ICC via Getty Images

पावरप्ले के दौरान जिन टीमों के बल्लेबाज़ों ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया और जिन टीमों के गेंदबाज़ों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, वह टीम 2023 के विश्व कप का फ़ाइनल खेल रही है। यह शुरुआती खिलाड़ियों (गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी में) का विश्व कप रहा है। पहले दस ओवरों में भारतीय टीम का प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया से बेहतर रहा है। भारत ने जहां 6.87 के रन रेट से पावरप्ले में बल्लेबाज़ी की है तो वही ऑस्ट्रेलिया लिए यह रन रेट 6.55 का रहा है। अगर गेंदबाज़ी की बात की जाए तो ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों ने 4.75 की इकॉनमी से रन दिए हैं, वहीं भारतीय गेंदबाज़ों ने सिर्फ़ 4.34 की इकॉनमी से रन दिए हैं। यही कारण है कि भारत को फ़ाइनल में सबसे मज़बूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। रविवार को अहमदाबाद में दोनों टीमों को किन रणनीतियों पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए, आइए उस पर बात करते हैं: -

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ऑस्ट्रेलिया के ओपनिंग बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ शमी को गेंद सौंपे

भारतीय टीम मोहम्मद शमी के साथ गेंदबाज़ी की शुरुआत कर सकती है। इस टूर्नामेंट के दौरान अहमदाबाद में तेज़ गेंदबाज़ों को शुरुआत में थोड़ी मदद मिली है। अगर शमी ऑस्ट्रेलिया के दोनों बाएं हाथ के ओपनरों के ख़िलाफ़ नई गेंद से मूवमेंट प्राप्त करते हैं तो भारतीय टीम को फ़ायदा मिल सकता है। साथ ही शमी ने इस विश्व कप में बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ कुल 52 गेंदें फेंकी हैं और आठ विकेट लिए हैं। सिर्फ़ यही नहीं, बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों ने शमी की इन 52 गेंदों में सिर्फ़ 32 रन बनाए हैं। ट्रैविस हेड को ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंद पर परेशानी होती है और शमी उनकी इस कमज़ोरी का पूरा फ़ायदा उठा सकते हैं। शमी ऐसे भी राउंड द विकेट गेंदबाज़ी करने में काफ़ी माहिर हैं और वॉर्नर को गेंदबाज़ों का यह एंगल बिल्कुल भी पसंद नहीं है। शमी को शुरुआती ओवर में गेंदबाज़ी देने का एक और कारण यह भी है कि वॉर्नर ने वनडे में बुमराह के 130 गेंदों में कुल 117 रन बनाए हैं और एक बार भी आउट नहीं हुए हैं।

क्या ऑस्ट्रेलिया भारत को नई गेंद से परेशान कर सकता है?

ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ों ने शुरुआत में शानदार गेंदबाज़ी की है लेकिन वह इस विश्व कप में उतने विकेट हासिल नहीं कर पाए हैं, जितना वह हासिल करना चाहते थे। अगर ठीक-ठीक कहा जाए तो, ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों को उस तरह की परिस्थिति ही नहीं मिली है, जहां तेज़ गेंदबाज़ों को मदद मिले। जिस दिन पिच पर शुरुआत में तेज़ गेंदबाज़ों के लिए मदद थी, उस दिन साउथ अफ़्रीका के चार बल्लेबाज़ सिर्फ़ 23 के स्कोर पर पवेलियन पहुंच चुके थे। इस बात की पूरी उम्मीद है कि अहमदाबाद की पिच ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ों की स्किल्स को अच्छी तरह से परखेगी। जॉश हेज़लवुड ने इस टूर्नामेंट में अपनी लाइन और लेंथ के साथ काफ़ी अच्छे रहे हैं लेकिन अगर गेंद मूव नहीं करती है तो मिचेल स्टार्क महंगे साबित हो सकते हैं। अगर ऑस्ट्रेलियाई टीम देखती है कि पिच पर कोई स्विंग नहीं है तो उन्हें तीसरे ओवर में स्टार्क की जगह कमिंस से गेंदबाज़ी करवानी चाहिए क्योंकि अहमदाबाद के मैदान में हार्ड लेंथ काफ़ी कारगर साबित होती है।

रोहित और हेज़लवुड की भिड़त देखने लायक होगी

हेज़लवुड अगर अपने लय में रहते हैं और उसी लेंथ के साथ गेंदबाज़ी करते हैं, जिस तरह से वह अब तक करते आए हैं तो भारतीय बल्लेबाज़ों को काफ़ी परेशानी होने वाली है। भारत जब चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ लीग स्टेज के दौरान भिड़ा था तो साफ़ दिखा था कि भारतीय टीम को हेज़लुवड कितना परेशान कर सकते हैं। हालांकि इस बार रोहित शर्मा भी तैयार रहेंगे और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी कि वह चहलकदमी करते हुए हेज़लवुड के ख़िलाफ़ हवाई शॉट लगाएं। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई टीम तो यही चाहेगी कि रोहित अपने क्रीज़ में रह कर खेलें ताकि गेंद की लेंथ को सटीक रखा जा सके।

शमी के ख़िलाफ़ इस विश्व कप में बाएं हाथ के बल्लेबाज़ सिर्फ़ 32 रन बना सके हैं  Getty Images

ऑस्ट्रेलिया चाहेगा कि शुरुआत में लिए गए रिस्क का फ़ायदा मिले

ऑस्ट्रेलिया को पावरप्ले में एक शानदार दिन की ज़रूरत है। भारत के गेंदबाज़ इतनी आसानी से अपनी लेंथ से विचलित नहीं होंगे। ऑस्ट्रेलिया को उम्मीद होगी कि वॉर्नर जिस लय के साथ पिछले कुछ समय से वनडे में बुमराह के ख़िलाफ़ खेलते आ रहे हैं, उसी लय में बल्लेबाज़ी करें। साथ ही हेड जिस तरह से शुरुआत में जोख़िम उठाते हैं, उसका उन्हें फ़ायदा मिले।

प्लेइंग 11 में ऑस्ट्रेलिया कर सकता है बदलाव

ऐसा हो सकता है कि एक बार के लिए भारतीय टीम मोहम्मद सिराज की जगह पर आर अश्विन को खिलाने के बारे में सोचे। अश्विन ने इस विश्व कप में सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ही अपना एकमात्र मुक़ाबला खेला है। हालांकि भारत कहीं से भी सिर्फ़ दो तेज़ गेंदबाज़ों के साथ मैदान पर उतरना नहीं चाहेगा।

हालांकि ऑस्ट्रेलिया की टीम मार्कस स्टॉयनिस को मार्नस लाबुशेन की जगह पर प्लेइंग XI में शामिल करने की सोच सकता है। लाबुशेन इस विश्व कप में बाएं हाथ के स्पिनरों के ख़िलाफ़ काफ़ी परेशान रहे हैं। हालांकि एक बात यह भी है कि ऑस्ट्रेलिया के शुरुआती क्रम के बल्लेबाज़ काफ़ी ज़्यादा आक्रामक शैली के हैं। ऐसा हो सकता है कि ऑस्ट्रेलिया पहले 15 ओवर में ही अपने तीन विकेट गंवा दे, ऐसे में उन्हें एक ऐसे बल्लेबाज़ की ज़रूरत होगी, जो थोड़ा संयम के साथ खेलता है।

हेज़लवुड ने लीग चरण में रोहित शर्मा को एक अंदर आती गेंद पर पगबाधा आउट किया था  AFP/Getty Images

जाडेजा बीच के ओवरों में एकतरफ़ा राज करते हैं

बीच के ओवरों में रवींद्र जाडेजा बेहतरीन गेंदबाज़ी करते हैं। लीग चरण में उन्होंने स्मिथ और लाबुशेन को आउट किया था। साथ ही इस पूरे विश्व कप में वह सिर्फ़ 4.25 की इकॉनमी से रन दे रहे हैं। दाहिने हाथ के बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ तो वह सिर्फ़ 4.18 की इकॉनमी से रन ख़र्च कर रहे हैं और 3 से 7वें नंबर तक ऑस्ट्रेलिया की टीम में सिर्फ़ दाहिने हाथ के बल्लेबाज़ हैं।

ऐसा प्रतीत हो सकता है कि कुलदीप पिछले कुछ मैचों में अपनी लय से थोड़ा भटक गए हैं लेकिन फिर भी उनका औसत 24.53 का है और वह सिर्फ़ 4.32 की इकॉनमी से रन ख़र्च कर रहे हैं। अगर कोई बाएं हाथ का बल्लेबाज़ पावरप्ले के पड़ाव को पार कर देता है तो उनके ख़िलाफ़ भारत का पहला हथियार कुलदीप ही होंगे।

अगर पिच थोड़ी भी सूखी हुई है तो कहीं से रिवर्स स्विंग को नकारा नहीं जा सकता है। अहमदाबाद में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेले गए मैच में इसी पिच का प्रयोग किया गया था और वहीं गेंदबाज़ों को रिवर्स स्विंग मिली थी।

 ICC via Getty Images

लक्ष्य का पीछा करना ज़्यादा मुनासिब है

पिछले तीन विश्व कप फ़ाइनल लक्ष्य का पीछा करने वाली टीमों ने जीते हैं, और इसी तरह पिछले चार टी20 विश्व कप फ़ाइनल भी चेज़ करने वाली टीम ही जीती है। यह नहीं कहा जा सकता कि इस तथ्य का इस मैच पर कितना असर पड़ेगा, अहमदाबाद की परिस्थितियों में बाद में बल्लेबाज़ी करना कारगर साबित हो सकता है।

इस विश्व कप में अहमदाबाद में खेले गए चार लीग मैचों में से तीन मैच लक्ष्य का पीछा करने वाली टीमों ने जीते हैं। साथ ही दो आईपीएल फ़ाइनल भी लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम ने ही जीता है। यहां तक ​​कि जब ओस नहीं होती है, तब भी फ्लड लाइट्स में पिच बल्लेबाज़ी के लिए बेहतर हो जाती है।

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है