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कैसे T20 क्रिकेट स्पिनरों को तेज़ गति से गेंदबाज़ी करने के लिए मजबूर कर रहा है

सपाट पिच और बल्लेबाज़ों की आक्रामक मानसिकता धीमी गति के स्पिनरों का काम काफ़ी मुश्किल बना रही है

कुलदीप यादव 2.0 पहले के कुलदीप यादव से काफ़ी अलग हैं  Associated Press

कुलदीप यादव 2017 में पहली बार भारतीय टीम में आए थे। शुरुआती सालों में वह बल्लेबाज़ों को अपने बाएं हाथ के कलाई की स्पिन से काफ़ी परेशान कर रहे थे। हालांकि कम गति बल्लेबाज़ों को बड़े शॉट्स लगाने से रोकने में लगातार सफल हो रही थी। हालांकि बल्लेबाज़ों ने दो साल के अंदर ही उनका तोड़ ढूंढ लिया।

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परिणाम यह हुआ कि वह IPL टीम में अपनी जगह बनाए रखने के लिए संघर्ष करे रहे थे। वनडे में भी उनके आंकड़े काफ़ी ख़राब होते चले गए। 2019 से 2021 का साल तो उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। इस दौरान उन्होंने अपना IPL अनुबंध भी खो दिया।

इसके बाद कुलदीप को वापसी का रास्ता तलाशना था। इसके लिए उन्होंने अपनी गेंद की गति में काफ़ी परिवर्तान किया। कुल मिला कर मामला यह था कि कुलदीप की गति पहले से ज़्यादा हो गई लेकिन एक्शन बिल्कुल वही था। उनके इस बदलाव ने उन्हें फिर से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में धमाकेदार एंट्री दिला दी। उनकी तेज़ गति के कारण बल्लेबाज़ उनके लेंथ के प्रति सही समय पर एडजस्ट नहीं कर पा रहे थे। इसके कारण कुलदीप को अगर कोई टर्न या ग्रिप मिलता था तो बल्लेबाज़ों को काफ़ी परेशानी होती थी।

कुछ हद तक यह उतना दिखाई देने वाला बदलाव नहीं है लेकिन ज़्यादातर स्पिनरों के लिए यह कहानी रही है। जब UAE में हुए T20 विश्व कप के लिए राहुल चाहर को युज़वेंद्र चहल से पहले तरज़ीह दी गई तो इसका एक मात्र कारण चाहर की गति थी। 2021 के बाद 'गति' स्पिनरों के लिए एक बज़वर्ड बन गई।

2017 में बल्लेबाज़ स्पिनरों के ख़िलाफ़ उतने आक्रामक नहीं थे, जितना वह आज के समय में हैं। अब बल्लेबाज़ों स्पिनरों के हर चौथे गेंद (औसतन) को सीमा रेखा के बाहर भेजने की फ़िराक में होते हैं। शायद इसी कारण से स्पिनरों को अपनी गति बढ़ानी पड़ी, ताकि वह तेज़ी से क्रीज़ से आगे न निकल सकें। पारंपरिक तौर पर टेस्ट मैच में अच्छी लंबाई स्टंप्स से चार से पांच मीटर की दूरी को माना जाता है। इस लंबाई पर गेंद गिराने से बल्लेबाज़ आगे आता था और ग़लतियां करता था, लेकिन गेंद को टर्न होने के लिए पर्याप्त जगह मिलती थी। हाल के समय में स्पिनर्स ने "रक्षात्मक" लेंथ का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जहां गेंद स्टंप्स से पांच से छह मीटर की दूरी पर गिरती है। यह बल्लेबाज़ को आक्रामक शॉट खेलने से रोकता है। ये बदलाव स्पिनर्स की रणनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाते हैं।

नीचे दिए गए तीन ग्राफों का सेट IPL में पिछले कुछ वर्षों के दौरान 4 से 7 मीटर श्रेणी के भीतर तीन लंबाई के भीतर प्रतिशत के परिवर्तन को दर्शाता है। यह स्पष्ट है कि रक्षात्मक विकल्प का वर्चस्व शुरू हो गया है, भले ही स्पिनर्स ने लगातार बल्लेबाज़ के हिटिंग आर्क से दूर जाकर 4-5 मीटर लंबाई में कम गेंदें डाली हैं। स्पिनर्स अब 4-6 मीटर की बजाय 5-7 मीटर की रेंज को अपना लक्ष्य बना रहे हैं।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि पिचों अब पहले से ज़्यादा सपाट बनाई जा रही है। सीमा रेखा को छोटा किया जा रहा है। साथ ही बल्लेबाज़ भी अब पहले से अधिक साहस के साथ अपने खेल को आगे बढ़ा रहे हैं। IPL में इम्पैक्ट प्लेयर से जैसे नियम ने बल्लेबाज़ों को साहसी होने का एक और कारण दे दिया है। इसी कारण से स्पिनर्स ज़्यादा रक्षात्मक होते जा रहे हैं। हालांकि जहां भी उन्हें मदद मिलती है, वह अपनी गति को तुरंत कम कर लेते हैं।

स्पिनर्स गेंद को स्टंप्स से अधिक दूरी पर गिराकर बल्लेबाज़ों को आक्रामक शॉट खेलना मुश्किल बना रहे हैं। नीचे दिया गया ग्राफ़ IPL में तीन लंबाई श्रेणियों के लिए वर्ष दर वर्ष बल्लेबाज़ी स्ट्राइक रेट दिखाता है। यह स्पष्ट है कि जब आप बल्लेबाज़ों को तेज़ी से रन बनाने के लिए रोकना चाहते हैं तो छोटी लंबाई आदर्श होती है। विशेष रूप से 2024 के सीज़न में 4-5 मीटर की लंबाई पर ज़्यादा गेंदबाज़ी की गई थी। पिछले वर्षों की तुलना में इस सीज़न में पिचें काफ़ी ज़्यादा सपाट थी।

अंतिम ग्राफ़ IPL के पिछले तीन सीज़न में विभिन्न गति और लंबाई श्रेणियों के लिए बल्लेबाज़ी स्ट्राइक रेट को दिखाता है। यह गति और लंबाई के आपसी संबंध को दिखाता है, जो मौजूदा T20 क्रिकेट में सपाट पिचों और आक्रामक बल्लेबाज़ी को रोकने लिए महत्वपूर्ण है। जब गेंदबाज़ शॉर्टिश (5-6 मीटर) लेंथ के साथ जा रहे हों, तो बल्लेबाज़ों को बैकफ़ुट पर जाकर हिट करने से रोकने में फ़ायदेमंद होता है। जब लेंथ फुलर होते हैं, तो तेज़ गति से गेंदबाज़ी करना महंगा होता है। कम गति से गेंदबाज़ी करने के लिए 4-5 मीटर की लंबाई सबसे अच्छा काम करती है। इस रणनीति का प्रयोग चहल जैसे गेंदबाज़ों ने कुशलता से किया है, लेकिन छोटी सीमा रेखाओं के साथ धीमी गति से की जाने वाली गेंदबाज़ी में सफलता मिलने की संभावनाएं सिकुड़ रही हैं।

T20 युग के शुरुआती दिनों में कहा गया था कि यह स्पिनरों के प्रभाव को काफ़ी कम कर देगा। हालांकि स्पिनरों ने भी अपनी अलग-अलग रणनीति से ख़ुद की महत्ता को बनाए रखने में क़ामयाब हुए हैं। हालांकि बदलती परिस्थितियों के साथ उनकी आगे की यात्रा काफ़ी रोमांचक होने वाली है।

Kuldeep YadavIndia