इमरान ख़ान को पुलिस ने किया गिरफ्तार
इससे पहले भी इमरान को गिरफ्तार करने की हुई कई कोशिशें

पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को इस्लामाबाद में गिरफ्तार कर लिया गया है। कई मामलों में उन्हें जमानत के लिए आवेदन करना था। हालांकि उन जमानतों के आवेदन के लिए उनका कोर्ट में पेश होना ज़रूरी था। इसी कारण से इस्लामाबाद के लोकल मीडिया ने यह बताया है कि मंगलवार को उन्हें उन मामलों के लिए गिरफ्तार नहीं किया गया है, जिसके लिए वह जमानत की अर्जी देने के लिए पेश होने वाले थे।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ों ने उस वारंट को देखा है, जिसके तहत इमरान की गिरफ्तारी हुई है। उसमें कहा गया है कि इमरान पर राष्ट्रीय जवाबदेही अध्यादेश की एक धारा के तहत "भ्रष्टाचार और भ्रष्ट आचरण" के अपराध का आरोप लगाया गया है।
स्थानीय मीडिया के अनुसार लगभग 2:15 (स्थानीय समय) बजे इमरान को पाकिस्तानी रेंजर्स के द्वारा गिरफ्तार किया गया था। आगे की जांच के लिए उन्हें राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) को सौंप दिया गया। इस्लामाबाद में धारा 144 भी लगाया गया है, जो एक औपनिवेशिक युग का कानून है। जिसके अनुसार बड़ी सभाओं को प्रतिबंधित किया जाता है।
इस्लामाबाद पुलिस ने ट्विटर पर एक बयान जारी कर के कहा है कि इमरान को अल क़ादिर विश्वविद्यालय में गिरफ्तार किया गया है। यह वही संस्थान है, जिसे उन्होंने 2019 में प्रधान मंत्री के रूप में स्थापित किया था। इमरान अभी भी वहां के चेयरमेन हैं। इमरान पर लगे आरोप में ज़मीन से जुड़ी लेन देन और दान का जिक्र किया गया है, जिसमें पाकिस्तान के पाकिस्तानी व्यवसायी और रियल एस्टेट दिग्गज मलिक रियाज का नाम भी शामिल है। यूके की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी ने दिसंबर 2019 में रियाज़ से लगभग 19,63,57,55,979 रूपए की संपत्ति जब्त की थी। पाकिस्तान सरकार ने इस राशि का क्या किया था। इस बात की भी जांच चल रही है।
पाकिस्तान में मौजूदा संघीय सरकार, जिसने अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के बाद इमरान की सरकार को बदल दिया था। इमरान की गिरफ्तारी की मांग लगातार की जा रही थी। मार्च में उनके आवास से उन्हें गिरफ्तार करने के दो अलग-अलग ठोस प्रयास हुए, जहां गिरफ्तारी का विरोध करने में मदद करने के लिए उनके आवास के बाहर बड़ी संख्या में समर्थकों की भीड़ ने पुलिस को विफल कर दिया। इमरान की पीटीआई पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। पार्टी का कहना है कि ये झूठे आरोप हैं। हालांकि बाद में उन सभी लोगों को रिहा कर दिया गया था।
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