भारत की लड़ाई इंग्लैंड से नहीं ख़ुद से है
वे सीरीज़ में 0-1 से पिछड़े हैं और अब इस टेस्ट में उनके पास अनुभव की कमी होगी

नवंबर 2011 में पिछली बार भारत घर में विराट कोहली और रवींद्र जाडेजा के बिना कोई टेस्ट खेला था, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग ही है। शीर्ष छह में केवल दो ही बल्लेबाज़ों के पास 20 मैचों का अनुभव है और उम्मीद है उन्हें एक बार फिर स्पिन की मुफ़ीद पिच मिलेगी और उन्हें इतने रन बनाने होंगे कि इंग्लैंड वहां तक पहुंच नहीं पाए। ऐसे में भारत की लड़ाई इंग्लैंड से अधिक खु़द से ही है।
बेन स्टोक्स बहुत सारी चीज़ें मिस नहीं करते लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। शुभमन गिल क्रीज़ पर हैं और कोई शॉर्ट मिडविकेट नहीं है। जो रूट को आगे आना पड़ा और अपने कप्तान को याद दिलाना पड़ा कि उनकी योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गायब था।
जहां गति और उछाल नहीं होता है ऐसी पिच पर फ़ॉर्म में रहने वाला बल्लेबाज़ भी मुश्किल में पड़ सकता है। वे ये अद्भुत शॉट केवल इसलिए मारेंगे ताकि गेंद किसी क्षेत्ररक्षक के हाथों तक पहुंच जाए। हैदराबाद में यह साबित हो गया है।
जहां केएल राहुल जैसा कोई खिलाड़ी जो अपने फु़टवर्क में सावधानी बरतता है - आगे, पीछे और यहां तक कि बग़ल में भी और उनकी कलाई का काम गैप ढूंढने और स्कोरबोर्ड को चलाने में सक्षम था। गिल सिर्फ़ अपने अगले पैर को बाहर कर रहे थे गेंद तक पहुंचककर पैड के क़रीब गेंद को खेल रहे थे। यह सख्त हाथों से डिफ़ेंड करने वाले बल्लेबाज़ का एक उत्कृष्ट संकेत है।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के शो ज़ूम्ड इन पर संजय मांजरेकर ने कहा था, "उन्हें थोड़ा हल्के हाथ से खेलने की दरकार है। बस यह महसूस करें कि आप स्पिनरों को खेल रहे हैं और जब फ्रंटफु़ट पर आ रहे हों, तो शायद एक और दो की तलाश करें और निश्चित रूप से बैकफु़ट पर खेलें।"
गिल ने एक ऐसे व्यक्ति से भारत का नंबर तीन बनने की मांग की थी, जो गेंदबाज़ों से मांग करता था कि अगर वे उन्हें आउट करना चाहते हैं तो वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें, लेकिन उन्होंने अभी तक उस तरह की क्षमता प्रदर्शित नहीं की है जिसकी उन्हें आवश्यकता है। पिछली 11 में से उनकी 10 पारियां 35 रन से कम रन की थी। पूर्व भारतीय कप्तान और कोच अनिल कुंबले ने गिल को संभालने को लेकर मेज़बान ब्रॉडकास्टर पर सवाल उठाया था। उन्हें वह छूट दी गई है जो शायद चेतेश्वर पुजारा को भी नहीं मिली होगी।"
श्रेयस अय्यर एक और दीर्घकालिक निवेश है जिससे भारत को कुछ असुविधा हो रही है। दिसंबर 2022 में मीरपुर में 97 रन बनाने के बाद से उनका औसत 14.55 का हो गया है और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 35 का है। स्पिनरों को हिट करना उनकी यूएसपी है और जब हैदराबाद में आख़िरी दिन इसकी सबसे अधिक ज़रूरत थी तो वह चोटिल जैक लीच को अपना विकेट गंवा बैठे। वह इससे बेहतर कर सके थे, जहां गेंद थोड़ी मुलायम हो जाती है और उसका सामना करना आसान होता है। वास्तव में, उन्होंने ऐसी चीज़ की जो एक स्पिन हिटर को नहीं करनी चाहिए। उन्होंने गेंद का पीछा किया और स्लिप में कैच दे दिया। भारत उसमें अधिक खुश होता अगर वह पहली पारी की तरह आउट होते, जहां उन्होंने छक्के मारने का प्रयास किया था।
रजत पाटीदार ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में प्रत्येक तीन पारी बाद एक अर्धशतक या उससे अधिक का स्कोर किया है। एक उन्होंने शतक 2022 में बनाया जहां मध्य प्रदेश ने अपना पहला रणजी ख़िताब जीता। एक उन्हें इस महीने की शुरुआत में इंग्लैंड लांयस के ख़िलाफ़ बनाया जिसके बाद कोहली के निजी कारणों से बाहर होने की वजह से उन्हें चुना गया।
घरेलू क्रिकेट में रन बनाने वाली इन सभी रन-मशीनों के लिए चुनौती हमेशा यह नहीं है कि वे सक्षम हैं या नहीं, क्योंकि वे हैं, बल्कि यह है कि क्या वे इस लड़ाई में इतने स्पष्ट दिमाग़ वाले हैं कि निर्णय ले सकें जिससे बदलाव आ सके। अपने सबसे मज़बूत एकादश के क़रीब होते हुए भी रविवार को भारत हार गया।
बल्लेबाज़ इंग्लैंड के स्पिनरों पर कोई आक्रमण नहीं कर रहे थे, जिससे उन्हें स्थापित होने का समय मिल गया और उन्हें विकेट लेने के मौक़े मिलने लगे। जब ऐसे मौके़ पर खिलाड़ी ऐसा नहीं कर पाते हैं तो सोचिए वह कैसे करेंगे जो बाहर से आ रहे हैं? कोई ऐसा जिसको कभी खु़द को साबित करने का ऐसा मौक़ा नहीं मिला। आख़िरकार, भारत के पास केवल पांच के लिए जगह है, बल्कि तीन, क्योंकि कोहली और रोहित शर्मा पहले से ही हैं। यही कारण है कि सरफ़राज़ ख़ान को बुलाया गया है, जिन्होंने पिछले सप्ताह ही लायंस के ख़िलाफ़ 160 गेंद में 161 रन की पारी खेली थी।
विशाखापत्तनम में घरेलू ड्रेसिंग रूम में रोहित की रिवर्स स्वीप खेलते हुए तस्वीर लगी होनी चाहिए। वह एकमात्र बल्लेबाज थे जो भारत से दूर जा रहे मैच का रुख बदलने के लिए कुछ अलग करने को तैयार थे।
भारत के पास उपलब्ध प्रतिभा को संभालने का तरीक़ा हाल ही में ग़लत कारणों से सुर्खियों में आया है, लेकिन इस पूरे दौर के दौरान रोहित और द्रविड़ दोनों ही उन लोगों के समर्थन में मुखर रहे हैं जिन्हें उन्होंने अपने साथ जोड़ा है। वे इस तथ्य को नहीं देखेंगे कि वे एक ऐसे मैच में जा रहे हैं जिसमें उन्हें कम अनुभव वाली टीम के साथ जीतना ही एक चारा है। वे अपनी बेंच स्ट्रेंथ विकसित कर रहे हैं, इसका पूरा कारण यह सुनिश्चित करना है कि आपातकाल के समय में भी उनके पास अच्छे विकल्प हों। पाटीदार, सरफ़राज़, सौरभ कुमार और वॉशिंगटन सुंदर ने दिखाया है कि वे क्या करने में सक्षम हैं। उन्हें इसे फिर से करना होगा और पहले से कहीं अधिक करना होगा।
अलगप्पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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