मुश्किल परिस्थितियों में भी कोहली और सरफ़राज़ ने भारत को जीत का सपना देखने का साहस दिया
न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीसरे दिन दोनों बल्लेबाज़ों के बीच हुई साझेदारी ने भारत को अच्छी स्थिति में लाने का प्रयास किया है
हां या ना: कोहली-सरफ़राज़ ने भारत के लिए आउटसाइड चांस बना दिया है
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच बेंगलुरु टेस्ट के तीसरे दिन से जुड़े अहम सवालों पर संजय मांजरेकर का फ़ैसलाविराट कोहली और सरफ़राज़ ख़ान में ज़्यादा समानताएं नहीं हैं। हालांकि लगभग नौ साल पहले एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में, जहां भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच पहला टेस्ट खेला जा रहा है, वहां इन दोनों खिलाड़ियों ने IPL 2015 के एक यादगार पल को साझा किया था।
2018 में सरफ़राज़ और कोहली का रास्ता अलग-अलग हो गया। इसके बाद कोहली और सरफ़राज़ काफ़ी कम बार मैदान पर एक साथ नज़र आए। यह एक विशेष संयोग ही था कि जिस जगह पर उन्होंने वर्षों पहले वह प्यारा पल साझा किया था, वहीं वे पहली बार एक अंतर्राष्ट्रीय मैच में साथ बल्लेबाज़ी कर रहे थे।
जब इन दोनों ने साथ में बल्लेबाज़ी शुरु की तब भारत न्यूज़ीलैंड से 261 रन पीछे था और मुश्किल में था। यशस्वी जयसवाल और रोहित शर्मा के जल्दी आउट हो जाने के बाद भारत को एक अच्छी साझेदारी की ज़रूरत थी। ऐसे में सरफ़राज़ और कोहली को पारी को संभालना पड़ा। तीसरे दिन की पिच पर स्कोरबोर्ड को सकारात्मक रूप से चलाना आसान नहीं था। इसके अलावा दोनों खिलाड़ी अपने व्यक्तिगत संघर्षों का भी सामना कर रहे थे।
कोहली और सरफ़राज़ उन पांच भारतीय बल्लेबाज़ों में से थे, जो पहली पारी में शून्य पर आउट हुए थे। कोहली ने 2024 में टेस्ट मैच में अभी तक कोई अर्धशतक नहीं बनाया था। दूसरी तरफ़ सरफ़राज़ तब से भारतीय टीम में अपनी जगह के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जब उन्होंने इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ डेब्यू किया था। संभावना थी कि अगर शुभमन गिल फ़िट होते, तो सरफ़राज़ शायद प्लेइंग XI का हिस्सा नहीं बन पाते। यह उनकी ग़लती सुधारने और भारत को मुश्किल समय से निकालने का मौक़ा था। उन्होंने आक्रामक रास्ता अपनाने का फ़ैसला किया, और उम्मीद के मुताबिक पहला हमला सरफ़राज़ ने किया।
चार गेंदों की रक्षात्मक बल्लेबाज़ी के बाद, उन्होंने एजाज़ पटेल के ख़िलाफ़ अपने पसंदीदा स्वीप शॉट का इस्तेमाल करते हुए लगातार दो चौके जड़े। यह खेल का एक महत्वपूर्ण पल था। एजाज़ ने पहले दो भारतीय विकेट लिए थे, और यह ज़रूरी था कि उन्हें किसी भी तरह की लय में आने से रोका जाए। एक समय पर कोहली 22 गेंदों में 9 रन बना कर खेल रहे थे और सावधानीपूर्ण अपनी पारी को आगे बढ़ा रहे थे। फिर उन्होंने विलियम ओरूर्क के ख़िलाफ़ एक सुंदर सा कवर ड्राइव लगाया। इसके बाद सरफ़राज़ ने भी हमला बोला तो चिन्नास्वामी स्टेडियम, जो कुछ देर से शांत था, फिर से गूंज उठा।
लेकिन इन दोनों बल्लेबाज़ों के चौके लगाने के बावजूद, बेंगलुरु में एक अनिश्चितता का माहौल था। यही स्कोरबोर्ड का प्रभाव होता है। भारत 121 रन पर 2 विकेट खो चुका था, रन रेट करीब 4.70 रन प्रति ओवर था, लेकिन फिर भी टीम 235 रन पीछे थी। फिर सरफ़राज़ के दो शॉट्स आए, जिसने सभी को 2015 की याद दिला दी। ये दोनों शॉट्स विलियम ओरूर्क के ओवर में आए, जो टेस्ट मैच के लिए काफ़ी असामान्य थे।
मांजरेकर: भारत ने यहां से और 300 रन बना दिए तो मज़ेदार होगा मुक़ाबला
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच खेले जा रहे बेंगलुरु टेस्ट के तीसरे दिन का लेखा जोखा संजय मांजरेकर के साथओरूर्क ने सरफ़राज़ को एक बाउंसर फेंकी, लेकिन लाइन ऑफ़ स्टंप के बाहर थी और पिच उतनी तेज़ नहीं थी। सरफ़राज़ ने गेंद की गति का उपयोग करते हुए इसे स्लिप्स के ऊपर से छक्के के लिए मार दिया। दो गेंदों बाद उन्होंने फिर से शॉर्ट गेंद फेंकी। यह एक तेज़ बाउंसर थी जो सीधे सरफ़राज़ के शरीर की ओर आ रही थी। लेकिन उन्होंने पीछे की ओर झुकते हुए, लगभग डक करते हुए, बल्ले का चेहरा खोल दिया और गेंद को विकेटकीपर के ऊपर से मार दिया, इस शॉट को लगाने के क्रम में वे लगभग गिर गए थे।
इस शॉट को देखने के बाद कोहली हंसी से लोटपोट हो गए। बेंगलुरु में दर्शक खुशी से झूम उठे। और उस समय सभी ने महसूस किया कि खेल का रुख़ बदल रहा है।
इस समय तक कोहली भी खेल का आनंद लेना चाहते थे। जब एजाज़ ने अपना 11वां ओवर फेंका तो कोहली ने स्टेप आउट करते हुए एक सीधा-शानदार सिक्सर मारा। लेकिन शॉट के बाद उनकी प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट हो गया कि वह पूरी तरह अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे। कोहली ने एक कदम दाईं ओर बढ़ाया, अपने दस्तानों के स्ट्रैप को ठीक किया और सिर्फ सरफ़राज़ की ओर देखकर सिर हिलाया। अगली गेंद पर उन्होंने स्क्वायर लेग की तरफ़ एक स्वीप शॉट खेला, जिससे 45 गेंदों में साझेदारी का अर्धशतक पूरा हो गया। फिर कोहली ने ओवर की आखिरी गेंद पर लॉन्ग लेग पर एक और चौका जड़ा।
इस सब के बीच दर्शक लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे। दर्शक लगभग पूरे दिन शांत थे क्योंकि न्यूज़ीलैंड और रचिन रविंद्र ने काफ़ी रन बनाए थे। जब भारत की पारी शुरू हुई, तो यहां तक कि एक साधारण डिफ़ेंस का भी ज़ोरदार जयकारों के साथ स्वागत किया गया। जब कोहली और सरफ़राज़ ने अंततः भारत के पक्ष में चीज़ें मोड़ दीं तो ऐसा लगा मानो बेंगलुरु में हंगामा मच गया।
RCB-RCB के नारे लगने लगे, लेकिन जल्द ही यह इंडिया-इंडिया में बदल गया। भारत आर्मी अपने गीत गा रही थी, मैक्सिकन वेव आधे घंटे तक चली, ढोल की आवाज़ कानों में गूंज रही थी और इन सबके बीच सरफ़राज़ और कोहली ने अपनी पारी जारी रखी।
इन दोनों के बीच की मित्रता भी साफ़ दिख रही थी। ओरूर्क के 45वें ओवर की पहली गेंद एक बेतरतीब शॉर्ट गेंद थी जो लेग स्टंप से दूर थी। सरफ़राज़ ने उस पर शॉट लगाने का प्रयास किया और फिर कोहली की ओर शरमाते हुए देखा, यह जानते हुए कि दिन का खेल ख़त्म होने में 15 मिनट बचे थे और उन्होंने ग़लती कर दी थी।
इस जोड़ी ने तीसरे विकेट के लिए 136 रन जोड़े । अगर कोहली आख़िरी गेंद पर आउट न हुए होते, तो यह उनके लिए एक लगभग परफ़ेक्ट दिन होता। लेकिन वे यह जानते हैं कि मुश्किल स्थिति में उन्होंने भारत को जीत का सपना देखने का साहस दे दिया है। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में केवल एक बार ऐसा हुआ है कि कोई टीम 46 से कम पर आउट होने के बाद मैच जीत सकी हो। और वह 1887 में हुआ था। अगर सरफ़राज़ थोड़ी देर तक टिक सके और मेज़बान टीम को एक मज़बूत बढ़त दिला सके, तो अगले कुछ दिनों में बेंगलुरु में कुछ अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिल सकते हैं।
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