गंभीर : बदलाव का दौर ऐसा ही होता है
भारतीय कोच ने कहा, "भारतीय क्रिकेट में शायद ही कभी ऐसा हुआ है कि बल्लेबाज़ी और स्पिन दोनों विभाग एक साथ बदलाव के दौर से गुजर रहे हों। आमतौर पर जब बल्लेबाज़ी स्थिर रहती है, तब गेंदबाज़ी में बदलाव होता है"
हां या ना: सीरीज़ हार भारत के WTC फ़ाइनल क्वालिफ़िकेशन के लिए बड़ा झटका है
स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ों की कमी भारतीय टीम के सीरीज़ हारने का सबसे बड़ा कारण रहीभारत ने घरेलू टेस्ट मैचों की सीरीज़ में 12 साल का स्वर्णिम काल बिताया। लेकिन एक साल से थोड़े ज़्यादा समय में उन्होंने तीन में से दो टेस्ट सीरीज़ में हार का सामना किया है। पिछले साल उन्हें न्यूज़ीलैंड से 3-0 से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। और अब साउथ अफ़्रीका से उन्हें 2-0 से हार मिली है। ये नतीजे गौतम गंभीर की कोचिंग अवधि के दौरान आए हैं। उन्होंने जुलाई 2024 में भारत के हेड कोच का पद संभाला था।
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें अब भी लगता है कि वह टेस्ट क्रिकेट के लिए इस पद के सही दावेदार हैं, तो गंभीर ने कहा कि यह फै़सला लेना उनका काम नहीं है।
दूसरे टेस्ट में गोआहाटी में भारत को 408 रन से मिली हार के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में गंभीर ने कहा, "यह BCCI का फै़सला है। मैंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भी यही कहा था कि भारतीय क्रिकेट सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। मैं महत्वपूर्ण नहीं हूं। आज भी मैं यही बात कह रहा हूं।"
गंभीर का कहना था कि न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ मिली हार पर ही ज़्यादा ध्यान दिए जाने के कारण उनकी उपलब्धियों को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। भारतीय टीम के कोच के रूप में उनकी सफलताओं में इंग्लैंड में 2-2 की टेस्ट सीरीज़ और इस साल चैंपियंस ट्रॉफ़ी एवं एशिया कप की जीत शामिल है।
उन्होंने कहा, "इंग्लैंड में भी एक युवा टीम ने ही अच्छा नतीजा हासिल किया था। और मुझे पता है कि लोग इसे जल्दी भूल जाएंगे क्योंकि कई लोग न्यूज़ीलैंड की सीरीज़ की बात करते रहते हैं। और मैं वही कोच हूं जिसके साथ टीम ने चैंपियंस ट्रॉफ़ी और एशिया कप भी जीता था।
"यह ज़रूर है कि इस टीम खिलाड़यों में थोड़ा कम अनुभव है। इन्हें सीखना है और ये उस दिशा में पूरा प्रयास कर रहे हैं।"
न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ घरेलू मिली हार के बीच भारतीय टीम बड़े बदलावों से गुज़री है। आर अश्विन, विराट कोहली और रोहित शर्मा टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं। शुभमन गिल कप्तान बन चुके हैं। बल्लेबाज़ी क्रम में भी बड़े पैमाने पर युवा और अनुभवहीन खिलाड़ी हैं।
गंभीर ने कहा, "सबसे पहली बात तो यह है कि न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ जो टीम थी, वह अलग थी। यह टीम पूरी तरह से अलग है। उस बल्लेबाज़ी क्रम के अनुभव की तुलना इस टीम से करना बिल्कुल अलग बात है। इसलिए हर बात की तुलना न्यूज़ीलैंड से करना गलत नैरेटिव है।
"मैं बहाने नहीं देता। न पहले कभी दिया है, न आगे दूंगा। लेकिन इस टीम के शीर्ष आठ में से चार या पांच बल्लेबाज़ों ने 15 से कम टेस्ट खेले हैं। वे मैदान पर सीखने की प्रक्रिया में हैं और धीरे धीरे आगे बढ़ेंगे।
"टेस्ट क्रिकेट कभी आसान नहीं होता है। ख़ासकर तब जब आप एक शीर्ष गुणवत्ता वाली टीम के ख़िलाफ़ खेल रहे हों तो यह और मुश्किल होता है। इसलिए इन्हें समय देना होगा। मैं यह शब्द इस्तेमाल करना पसंद नहीं करता लेकिन बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहा है।"
गोआहाटी में मिली यह हार भारत की रनों के हिसाब से टेस्ट में सबसे भारी हार है। भारत एक समय पर 95 के स्कोर पर सिर्फ़ एक विकेट गंवा कर खेल रहा था लेकिन 122 तक पहुंचते-पहुंचते स्कोर 122 पर सात हो गया। गंभीर का मानना था कि यही वह समय था, जब मैच हाथ से निकल गया। मार्को यानसन ने उस दौरान चार विकेट लिए थे।
गंभीर बोले, "95 पर 1 से 120 पर 7 स्वीकार्य नहीं है। हम हमेशा स्पिन के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ी की बात करते हैं लेकिन एक तेज़ गेंदबाज़ ने उस स्पेल में चार विकेट ले लिए। इससे पहले भी ऐसे पतन हुए हैं। किसी को आगे आकर इसे रोकना होगा।
Philander: 'Harmer out-bowled the Indian spinners'
Saba Karim says that South Africa have outclassed the Indians in all three departments"मेरे लिए तीस मिनट का वह स्पेल मैच को हमसे दूर ले गया। तीसरे दिन एक वक़्त ऐसा था, जब हम मैच में थे। सिर्फ़ एक विकेट गंवा कर हम 95 रन बना चुके थे। वहां से पांच छह विकेट ऐसे गिरना हमें लगातार पीछे धकेलता रहा।"
गंभीर ने किसी खिलाड़ी की प्रत्यक्ष आलोचना नहीं की। लेकिन जवाबों के दौरान उन्होंने यह जरूर स्पष्ट किया कि जिम्मेदारी कैसे मापी जाती है।
उन्होंने कहा, "यह बहुत अहम है कि आप ड्रेसिंग रूम और टीम की कितनी परवाह करते हैं। जिम्मेदारी और मैच की स्थिति सिखाई नहीं जा सकती। कौशल पर बात हो सकती है, उसे सुधारा जा सकता है, मानसिक पहलू पर बात की जा सकती है। लेकिन मैदान में जाते समय अगर आप टीम को खु़द से ऊपर रखेंगे और यह नहीं सोचेंगे कि 'मैं ऐसे ही खेलता हूं, मेरे पास दूसरा तरीका नहीं', तभी आप ऐसे पतन रोक पाएंगे।
"मेरे लिए जिम्मेदारी से ज़्यादा यह देखना ज़रूरी है कि खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट की कितनी परवाह करते हैं और ड्रेसिंग रूम में मौजूद साथी खिलाड़ियों की कितनी परवाह करते हैं।"
"मुझे नहीं लगता कि भारतीय क्रिकेट में इससे पहले कभी ऐसा दौर आया है जब स्पिन गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी दोनों विभाग एक साथ बदलाव के दौर से गुज़र रहे हों"गौतम गंभीर
भारत के सामने बड़ा सवाल यह है कि अपनी घरेलू परिस्थितियों में टेस्ट टीम इस तरह की लड़खड़ाहट से कैसे उबरे। गंभीर ने कहा कि इसका हल टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देने में है।
उन्होंने कहा, "अगर हम सच में टेस्ट क्रिकेट को लेकर गंभीर हैं तो टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देना शुरू करें। यह तभी होगा जब सभी हिस्सेदार साथ आएंगे। अगर हमें भारत में टेस्ट क्रिकेट को आगे बढ़ाना है तो सामूहिक प्रयास करना होगा। सिर्फ़ खिलाड़ियों या सपोर्ट स्टाफ या किसी एक व्यक्ति को दोष देने से कुछ नहीं होगा।
"चीज़ों को कालीन के नीचे नहीं छिपाया जा सकता। सफ़ेद गेंद क्रिकेट में रन बनाते ही अगर हम लाल गेंद क्रिकेट में हुई गलतियों को भूल जाते हैं तो यह ग़लत है।
"टेस्ट क्रिकेट में सफल होने के लिए सबसे ज़्यादा कौशल या सबसे प्रतिभावान खिलाड़ी जरूरी नहीं होते। जिनके पास सीमित कौशल हो लेकिन मानसिक रूप से मजबूत हों, वह भी टेस्ट क्रिकेट में आगे बढ़ते हैं।"
भारत के सामने दूसरी चिंता यह है कि उनके स्पिनर साउथ अफ़्रीका के स्पिनरों से पीछे रह गए हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को घरेलू क्रिकेट में नए स्पिनरों की तलाश करनी चाहिए? गंभीर ने कहा कि टीम में मौजूद स्पिनरों को सहयोग और समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने वॉशिंगटन सुंदर का ज़िक्र किया। वॉशिंगटन ने 17 टेस्ट में 32.97 की औसत से 36 विकेट लिए हैं।
उन्होंने कहा, "इसीलिए हम वॉशी को जितने मौके़ दे सकते हैं दे रहे हैं। लेकिन अगर आप उनसे वही उम्मीद करेंगे जो अश्विन ने सौ से ज्यादा टेस्ट खेलने के बाद दी, तो यह उस युवा खिलाड़ी के लिए ग़लत होगा। वह अभी 10,12, 15 टेस्ट पुराने हैं।
"वह अपनी कला सीख रहे हैं। अलग परिस्थितियों में गेंदबाज़ी सीख रहे हैं। अलग परिस्थितियों में स्पेल फेंकना सीख रहे हैं। और जब एक साथ इतने अनुभवी खिलाड़ी टीम से जाते हैं तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं।
"यही बदलाव की प्रक्रिया है। इसलिए बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों इकाइयों को समय देना होगा। भारतीय क्रिकेट में शायद ही कभी ऐसा हुआ है कि बल्लेबाज़ी और स्पिन दोनों विभाग एक साथ बदलाव के दौर से गुजर रहे हों। आमतौर पर जब बल्लेबाज़ी स्थिर रहती है, तब गेंदबाज़ी में बदलाव होता है। लेकिन इस टीम में दोनों क्षेत्रों में बदलाव चल रहा है।
"इसलिए हमें और आपको इन्हें समय देना होगा। इनमें कौशल है, प्रतिभा है, क्षमता है। तभी ये इस ड्रेसिंग रूम में हैं और तभी इन्होंने पहले भी प्रदर्शन किया है।"
Read in App
Elevate your reading experience on ESPNcricinfo App.
