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रोहित शर्मा: यह मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि, मैं इसे बुरी तरह चाहता था

ट्रॉफ़ी के साथ द्रविड़ को विदाई देकर काफ़ी खुश हैं रोहित

मांजरेकर: हार्दिक, बुमराह और अर्शदीप भारत की ख़िताबी जीत के असली नायक हैं

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टी20 विश्व कप 2024 फ़ाइनल में भारत की ख़िताबी जीत का सटीक विश्लेषण संजय मांजरेकर के साथ

रोहित शर्मा ने T20 वर्ल्ड कप 2024 का फ़ाइनल जीतने को अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि बता दी है। मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में रोहित ने कहा, "मैं यह कह सकता हूं कि यह सबसे बेहतरीन समय होना चाहिए। इसका कारण है कि मैं बहुत आतुरता के साथ इसे पाना चाहता था। इतने सालों में मैंने जितने भी रन बनाए हैं, मुझे लगता है कि इसके मायने हैं, लेकिन मैं आंकड़ों पर बहुत निर्भर नहीं करता हूं। भारत के लिए मैच और ट्रॉफ़ी जीतने पर ही मेरा पूरा ध्यान होता है। अब इसे मेरे बगल में होना संभवतः सबसे बड़ा, मुझे नहीं पता, लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं पता कि यह सबसे बेहतरीन चीज़ है या नहीं, लेकिन निश्चित तौर पर यह सबसे बेहतरीन में से एक है।"

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मैच समाप्त होने के बाद रोहित मैदान पर ही लेट गए थे और कुछ समय तक उन्होंने अपना मुंह मैदान में ही घुसा लिया था। इसके बारे में पूछने पर रोहित ने कहा, "मुझे इसकी बुरी तरह ज़रूरत थी। इसे शब्दों में बता पाना मुश्किल है। उस समय मेरे दिमाग़ में क्या चल रहा था और मैं क्या सोच रहा था यह मैं कहना नहीं चाहूंगा, लेकिन निजी तौर पर यह मेरे लिए काफ़ी भावुक पल था।"

"मैं चाहता था कि उस लम्हें को मैं ख़ुद से ही समेटूं, लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। हालांकि, मैं हमेशा इसे याद करूंगा। इन्हीं लम्हों का तो आप इंतज़ार करते हैं और आप इनको लेकर प्लान नहीं बना सकते हैं। आप जीवन में कुछ चीज़ों को लेकर काफ़ी आतुर होते हैं और चीज़े इसी तरह हो जाती हैं और मैं अपने जीवन में इसके लिए काफ़ी आतुर था। बहुत खुश हूं कि इस बार हम लाइन क्रॉस कर ले गए।"

रोहित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ट्रॉफ़ी लेकर आए थे। 2007 में पहली बार विश्व कप जीतने के बाद रोहित कई बार ट्रॉफ़ी के क़रीब तक पहुंचे थे। 2011 का विश्व कप मिस करने के बाद रोहित छह विश्व कप में से पांच बार नॉकआउट में पहुचंने वाली भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे हैं।

रोहित ने द्रविड़ का तारीफ़ करते हुए कहा, "उन्होंने पिछले 20-25 सालों में भारत के लिए जो किया है, मुझे लगता है कि यही एकमात्र चीज़ थी जिसकी उनके दराज़ में कमी थी। मैं पूरी टीम की ओर से काफ़ी खुश हूं कि हम उनके लिए ऐसा कर पाए। आपने देखा कि उन्हें कितना गर्व हुआ और वह कितने उत्साहित थे।"

"जब उन्होंने खेला तो भारत के लिए काफ़ी कुछ किया। पिछले तीन सालों से वह इस टीम के साथ कड़ी मेहनत कर रहे हैं। कई मौक़ों पर उन्हें अपनी रणनीति को हल्का करना पड़ा था क्योंकि लड़कों के लिए उनकी बराबरी कर पाना आसान नहीं था। उन्होंने इसे प्राथमिकता दी। राहुल भाई ने पूरी टीम के लिए यह किया। राहुल भाई ने ख़ुद को दबाया। उन्होंने वह सीखा जो लड़कों को चाहिए था। उन्होंने इसे प्राथमिकता दी। राहुल भाई ने पूरी टीम के लिए यह किया। काम हमें ही करना था क्योंकि राहुल भाई ख़ुद जाकर बल्लेबाज़ी नहीं कर सकते।"

"तीन सालों में उन्होंने सबको उनकी भूमिका के बारे में साफ़ बताया। जो लड़के टीम के साथ नहीं हैं उनके भी संपर्क में वो बने रहे। उनसे लगातार टीम के बारे में बात करते रहे, उन्हें बताते रहे कि उनकी वापसी कब होगी, उन्हें समझाते रहे कि वापसी पर उनकी भूमिका क्या होगी। उन्होंने आते ही सबसे पहले यह काम किया था कि वह लड़कों को बताते थे कि उन्हें किससे क्या चाहिए।"

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सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के वरिष्ठ लेखक हैं